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Tuesday, 7 May, 2024
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राजीव गांधी के हत्या के दोषियों की रिहाई से कांग्रेस नाराज- बताया इसे पूरी तरह गलत, अस्वीकार्य

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी इसकी आलोचना करती है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया.

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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों के रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कांग्रेस ने आलोचना की है और इसे अस्वीकार्य व पूरी तरह गलत बताया है.

कांग्रेस के महासचिव और संचार कम्युनिकेशन के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है. कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया.’

कांग्रेस का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन सहित छह दोषियों को रिहा करने के आदेश के तुरंत बाद आया है.

बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की पीठ ने जेल में दोषियों के अच्छे आचरण को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित किया.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि वे बहुत लंबे समय से सलाखों के पीछे थे.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आवेदकों को किसी अन्य मामले में वांछित होने तक रिहा करने का निर्देश दिया जाता है. मामले को उसी के मुताबिक निपटाया जाता है.

शीर्ष अदालत ने आगे कहा, ‘नलिनी तीन दशक से अधिक समय से सलाखों के पीछे है और उसका आचरण भी संतोषजनक रहा है. उसके पास कंप्यूटर एप्लीकेशन में पीजी डिप्लोमा है. रविचंद्रन का आचरण भी संतोषजनक पाया गया है और वह अपनी कैद के दौरान कला में पीजी डिप्लोमा सहित विभिन्न अध्ययन किए हैं. उन्होंने चैरिटी के लिए कई तरह की रकम भी इकट्ठी की है.’

शीर्ष अदालत ने नलिनी, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार, एस राजा और श्रीहरन को रिहा किया है.

18 मई को, सुप्रीम कोर्ट ने एजी पेरारिवलन को रिहा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया था, जो हत्या के मामले में सात दोषियों में से एक थे.

नलिनी और रविचंद्रन ने साधी दोषी एजी पेरारीवलन की तरह रिहाई की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने दोषियों की समय पूर्व रिहाई की सिफारिश करते हुए कहा था कि 2018 की उनकी उम्रकैद की सजा के लिए सहायता और सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है.

इसने राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दी गई शक्ति को लागू करते हुए उनके आजीवन कारावास की सजा खत्म करने को लेकर राज्यपाल की सिफारिश मांगी थी.

नलिनी और रविचंद्रन ने पहले इसी राहत की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, हालांकि, उच्च न्यायालय ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.

मद्रास उच्च न्यायालय ने याचिका को ठुकराते हुए कहा था कि उसके पास संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियां नहीं हैं और इसलिए, वह उनकी रिहाई का आदेश नहीं दे सकता, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में पेरारिवलन के लिए किया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर उनकी याचिका पेरारीवलन की रिहाई पर आधारित है तो वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

पेरारिवलन की रिहाई के बाद, रविचंद्रन ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को एक पत्र भेजा था, जिसमें उनके सहित शेष छह दोषियों की रिहाई की मांग की गई थी और उल्लेख किया था कि राज्यपाल ने रिहाई की फाइलों को तीन साल से अधिक समय तक बिना विचार किए रखा है, जिसकी वह संविधान खिलाफ मानते हुए निंदा करता है.

सितंबर 2018 में तमिलनाडु सरकार द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर जेल से समय से पहले रिहाई के लिए पेरारिवलन की याचिका पर फैसला करते हुए, शीर्ष अदालत ने उसकी रिहाई का आदेश दिया था, जबकि छह अन्य दोषी जेल में रहे.

राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी पहचान धनु के रूप में हुई थी.


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