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Friday, 22 August, 2025
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बीस प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की अनिवार्य बिक्री को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई

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नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी-20) के राष्ट्रव्यापी क्रियान्वयन को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि लाखों वाहन चालकों को ऐसे ईंधन का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो वाहनों के लिए नहीं बनाया गया है।

अधिवक्ता अक्षय द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि लाखों वाहन चालक प्रतिदिन पेट्रोल पंप पर असहाय महसूस कर रहे हैं और उन्हें ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो उनके वाहन के लिए अनुकूल नहीं है।

याचिका में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सभी ईंधन स्टेशनों पर इथेनॉल मुक्त (ई0) पेट्रोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

इसमें कहा गया कि 2023 से पहले निर्मित कार और दोपहिया वाहन, और यहां तक ​​कि कुछ नए बीएस-VI मॉडल भी ऐसे उच्च इथेनॉल मिश्रण के अनुकूल नहीं हैं।

याचिका में इस कदम के कारण इंजनों को होने वाले नुकसान, माइलेज में कमी और अन्य परिणामों पर प्रकाश डाला गया है।

इसमें सभी पेट्रोल पंपों और वितरण इकाइयों पर इथेनॉल सामग्री की लेबलिंग करने के लिए भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि यह उपभोक्ताओं को स्पष्ट रूप से दिखाई दे।

याचिका में कहा गया, ‘‘प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि ईंधन वितरण के समय उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की इथेनॉल अनुकूलता के बारे में सूचित किया जाए। इंजनों में जंग लग रही है, ईंधन दक्षता कम हो रही है और मरम्मत के बिल बढ़ रहे हैं, जबकि बीमा कंपनियां इथेनॉल ईंधन से हुए नुकसान के दावों को खारिज कर रही हैं।’’

इसमें कहा गया कि हालांकि, भारत में केवल इथेनॉल-मिश्रित ईंधन ही बेचा जाता है तथा वितरण इकाइयों में इसकी संरचना का कोई खुलासा नहीं किया जाता है।

भाषा देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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