मुंबई: बाम्बे उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की याचिका पर 22 नवंबर को आदेश पारित किया जाएगा. याचिका में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग के साथ ही कहा गया है कि मंत्री को मादक पदार्थ रोधी एजेंसी के अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक सामग्री डालने से रोका जाए.
न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को मलिक और ज्ञानदेव वानखेड़े द्वारा सौंपे गए अतिरिक्त दस्तावेजों का संज्ञान लिया, जो एनसीबी के अधिकारी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर चल रहे विवाद से संबंधित हैं.
अदालत ने स्कूल नामांकन फार्म एवं स्कूल परित्याग प्रमाण पत्र का भी संज्ञान लिया जिसे मलिक ने सौंपा है. राकांपा नेता ने दावा किया कि यह समीर वानखेड़े का है और वह जन्म से मुस्लिम हैं.
ज्ञानदेव वानखेड़े ने इसके जवाब में दस्तावेज पेश किए जिसमें उनके बेटे के जन्म का प्रमाण पत्र और उनकी जाति का प्रमाण पत्र शामिल है जिसमें कथित रूप से दिखाया गया है कि वास्तव में वह अनुसूचित जाति के हैं.
उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि 22 नवंबर को आदेश पारित हो जाने तक वे नया दस्तावेज पेश करने से बचें.
मलिक का आरोप है कि समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं लेकिन अनुसूचित जाति श्रेणी से होने का दावा कर उन्होंने केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की. लेकिन वानखेड़े ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इंकार किया है.
वानखेड़े के पिता ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में मानहानि की याचिका दायर कर आग्रह किया कि मलिक को उनके एवं उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया में अपमानजनक बयान जारी करने से रोका जाए. उन्होंने सवा करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की भी मांग की है.
पिछले महीने क्रूज पार्टी पर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो की छापेमारी के बाद से मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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