नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित सुधारों को ऐतिहासिक कदम बताते हुए बृहस्पतिवार को इसकी सराहना की और कहा कि यह दुर्गा पूजा तथा दिवाली जैसे त्योहारों से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नागरिकों को दिया गया ‘‘बंपर उपहार’’ है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने दावा किया कि अब भी सच्चे ‘जीएसटी 2.0’ (जीएसटी के दूसरे संस्करण) का इंतजार है और यह ‘जीएसटी 1.5’ है क्योंकि अभी यह देखना होगा कि क्या इससे निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और क्या ‘एमएसएमई’ पर बोझ कम होगा।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि राज्यों की यह मांग अब भी अनसुलझी है तथा पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है कि राजस्व की क्षतिपूर्ति की अवधि को पांच साल के लिए बढ़ाया जाए।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि दुर्गा पूजा और दिवाली जैसे त्योहारों से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नागरिकों को ‘‘बंपर उपहार’’ दिया गया है।
उन्होंने जीएसटी परिषद द्वारा उठाए गए कदमों में खामियां निकालने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि यह विपक्षी पार्टी के दोहरे मानदंडों को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी उन फैसलों का विरोध करते हैं जिनका समर्थन उनकी पार्टी शासित राज्य सरकारों के वित्त मंत्रियों द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद के सभी निर्णय आम सहमति से लिए गए हैं।
नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संप्रग सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भी लागू नहीं कर पाई क्योंकि राज्यों को उस पर भरोसा नहीं था। उन्होंने दावा किया कि इसके विपरीत, उस समय कांग्रेस ने मूल्य वर्धित कर (वैट) के जरिए गरीबों और व्यापारियों को ‘लूटा’ और कर चोरी की भरपूर गुंजाइश छोड़ी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2017 में जीएसटी लागू करके ‘एक राष्ट्र एक कर’ की अवधारणा को साकार किया।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के लंबे कार्यकाल में किसी ने भी उसे एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू करने से नहीं रोका था।
कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा यह उल्लेख किए जाने पर कि उनके नेता राहुल गांधी जीएसटी परिषद द्वारा घोषित द्वि-स्तरीय कर ढांचे की लंबे समय से वकालत कर रहे थे, पात्रा ने कहा कि वह ‘‘ला ला लैंड’’ (स्वप्नलोक) में जी रहे हैं और इससे उनकी पार्टी को कोई लाभ नहीं होने वाला है।
पात्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘2014 से पहले राहुल गांधी और उनकी पार्टी को जीएसटी लागू करने से किसने रोका था? यह उनकी अपनी अक्षमता को दर्शाता है।’’
उन्होंने घरेलू सामान से लेकर कृषि क्षेत्र के उत्पादों और चिकित्सा उत्पादों तक कई वस्तुओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो इन सभी पर प्रस्तावित करों की तुलना में बहुत अधिक वैट (मूल्य वर्धित कर) लगाया जाता था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘लगभग एक दशक से कांग्रेस जीएसटी के सरलीकरण की माँग कर रही है। मोदी सरकार ने “एक राष्ट्र, एक कर” को ‘एक राष्ट्र, नौ कर’ बना दिया था।’
उन्होंने उल्लेख किया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी।
उन्होंने दावा किया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय जब जीएसटी विधेयक लाया गया था तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका विरोध किया था।
खरगे ने कहा कि आज यही भाजपा सरकार रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह का जश्न मनाती है, जैसे कि आम जनता से कर वसूलकर उसने कोई बहुत बड़ा काम किया हो।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी 2.0 की वकालत कर रही है जिससे दरों की संख्या कम हो, बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं पर दरों में कटौती हो, कर चोरी, गलत वर्गीकरण और विवादों की संख्या कम हो, उलटे शुल्क ढांचे (लागत की तुलना में उत्पादन पर कम कर) समाप्त हों, एमएसएमई पर अनुपालन का बोझ कम हो और जीएसटी कवरेज का विस्तार हो।’
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय वित्त मंत्री ने कल शाम जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कई बड़ी घोषणाएं कीं। हालांकि, जीएसटी परिषद की बैठक से पहले ही, प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2025 के अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इसके निर्णयों की सारगर्भित घोषणा कर दी थी।’
उन्होंने सवाल किया कि क्या जीएसटी परिषद एक औपचारिकता मात्र रह गई है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी स्वागत योग्य है, लेकिन यह कदम उठाने में बहुत देर हो गई।
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी का मौजूदा डिज़ाइन और कई दरें पहले ही नहीं होनी चाहिए थी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि राज्यों को उपकर कर संग्रह में उनका हिस्सा नहीं मिलता और यह ‘लूट’ के समान है।
राज्यसभा सदस्य ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए लगाया जाने वाला उपकर, सकल कर राजस्व का 26 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्यों को इसमें कोई हिस्सा नहीं मिलता।
केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने कहा कि माल एवं सेवा कर की दरें कम किए जाने से राज्य के राजस्व को सालाना 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने जीएसटी सुधारों का स्वागत किया और इसे ‘‘गरीब-हितैषी और विकासोन्मुखी निर्णय’’ बताते हुए कहा कि इससे समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा।
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हक अविनाश
अविनाश
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