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Thursday, 21 November, 2024
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बड़ी बातः क्लीन एनर्जी इंडेक्स पर UP, बिहार का बेहतर प्रदर्शन- सभी घरों में बिजली, अधिकतर में LPG

नीति आयोग के एसडीजी इंडेक्स से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ को छोड़कर सारे राज्यों 100 फीसदी परिवारों को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों ने नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) सूचकांक के महत्त्वपूर्ण इंडिकेटर्स जैसे स्वास्थ्य, शिशु मृत्यु दर या शिक्षा इत्यादि के मामले में भले ही अच्छा प्रदर्शन न किया हो लेकिन उन्होंने नेशनल ट्रेंड के अनुरूप ‘किफायती और स्वच्छ ऊर्जा’ के लक्ष्य के रूप में घरों के विद्युतीकरण के मामले में काफी अच्छा परफॉर्म किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक इन राज्यों ने घरों के पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है. साथ ही इन्होंने ज्यादातर परिवारों को या तो पाइप वाले प्राकृतिक गैस (पीएनजी) कनेक्शन या तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) कनेक्शन भी उपलब्ध करा दिए हैं.

पिछले सप्ताह जारी नीति आयोग का एसडीजी सूचकांक संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में जारी धारणीय विकास के लक्ष्यों से प्रेरित है जो कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक इंडीकेटर्स के मामले में सार्वभौमिक बेहतरी को पूरा करने की कोशिश करता है.

भारत ने अपनी प्रगति को मापने के लिए अपना सूचकांक विकसित किया. नीति आयोग द्वारा तैयार इस सूचकांक को सबसे पहले दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया था और नवीनतम सूचकांक (3.0) में 17 एसडीजी और 169 लक्ष्य शामिल हैं.

सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा इन लक्ष्यों में से एक है. साथ ही गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य, सबकी बेहतरी, स्वच्छता, आर्थिक विकास व अन्य लक्ष्य भी शामिल हैं.

स्वच्छ ऊर्जा के सूचकांक में आंध्र प्रदेश का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. इसका स्कोर 100 प्रतिशत है. यूपी ने भी यही स्कोर हासिल किया है जबकि बिहार का स्कोर 78 है. भारत का कुल स्कोर 92 है.

ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी राज्यों ने घरों का शत प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल कर लिया है.

केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में इनकी संख्या अलग-अलग है. आठ केंद्र शासित प्रदेशों में से चार – दिल्ली, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी – ने बिजली के मामले में सार्वभौमिक पहुंच के लक्ष्य को हासिल कर लिया है. हालांकि, अन्य चार- दमन और दीव, चंडीगढ़, लक्षद्वीप एवं दादर एंड नगर हवेली ने घरेलू विद्युतीकरण के प्रतिशत की रिपोर्ट में इसे ‘शून्य’ बताया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात 26 लाख पीएनजी कनेक्शन के साथ सबसे आगे है जबकि पश्चिम बंगाल में अभी तक कोई भी पीएनजी कनेक्शन नहीं है. केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली पीएनजी और एलपीजी दोनों कनेक्शनों के मामले में सबसे आगे है. यहां 49.8 लाख एलपीजी कनेक्शन और 9 लाख पीएनजी कनेक्शन हैं.

बेहतर प्रदर्शन करने वाले अन्य राज्यों में गोवा, पंजाब, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं .

सबसे नीचे मेघालय है, जहां केवल 47 फीसदी एलपीजी और पीएनजी कनेक्शन है. मध्य प्रदेश 85.24 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश (84.05 प्रतिशत), बिहार (76.55 प्रतिशत) और झारखंड (75.79 प्रतिशत) भी अन्य राज्यों से पीछे हैं.


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रिपोर्ट क्या दिखाती है

भारत का लक्ष्य 2030 तक सस्ती, विश्वसनीय और कुशल ऊर्जा सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना है. रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाना और स्वच्छ हवा के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार करना है .

इसका लक्ष्य 2030 तक विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा में हिस्सेदारी बढ़ाना और साथ ही ऊर्जा दक्षता में सुधार की वैश्विक दर को दोगुना करना है.

रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लक्ष्य प्राप्त करने के मामले में ‘अचीवर्स’, ‘फ्रंट रनर्स’, ‘परफॉर्मर्स’ और ‘ऐस्पिरेंट्स’ के रूप में बांटा किया गया है. 2019 की रिपोर्ट में लक्षद्वीप ऐस्पिरेंट श्रेणी में था. हालांकि इस बार एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ऐस्पिरेंट की श्रेणी में नहीं था.

एक अन्य उल्लेखनीय सुधार में, 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ‘अचीवर’ की श्रेणी में हैं, जिनकी संख्या 2019 की रिपोर्ट में शून्य थी.

2018 में शुरू किए गए पहले सूचकांक में कहा गया है कि भारत में 95 प्रतिशत घरों में बिजली की पहुंच थी, लेकिन भारत में केवल 43.8 प्रतिशत घरों ने बिजली, एलपीजी या प्राकृतिक गैस जैसे खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल किया.

2019 के एसडीजी सूचकांक में यह भी कहा गया है कि अगस्त 2019 के अंत में, पूरे भारत में लगभग 99.99 प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाई गई.

2021 की रिपोर्ट में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी और जीवाश्म ईंधन प्रौद्योगिकी पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने जैसे अन्य लक्ष्यों को भी सूचीबद्ध किया गया है.


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घरों का विद्युतीकरण दोषपूर्ण संकेतक हो सकता हैः विशेषज्ञ

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट में रिन्यूएबल एनर्जी टीम के प्रोग्राम डायरेक्टर सम्राट सेनगुप्ता ने बताया कि परिवारों तक पहुंचने वाली बिजली के आंकड़े दोषपूर्ण हो सकते हैं.

सेनगुप्ता ने कहा, ‘बिजली से संबंधित सौभाग्य योजना में बिजली की अनियमित आपूर्ति, वोल्टेज की गुणवत्ता को ध्यान में रखा गया है और कुछ स्टडीज़ में पाया गया है कि कुछ गांवों में 12-15 घंटे बिजली कटौती की गई है .उन्होंने कहा, इनमें से ज्यादातर परिवारों को उजाले के लिए केरोसिन जैसे अन्य साधनों की जरूरत होती है.

एलपीजी कनेक्शन के बारे में बताते हुए सेनगुप्ता ने कहा कि कमजोर क्रय शक्ति क्षमता और दूसरे सिलेंडर कनेक्शन की आपूर्ति में अंतर के कारण एलपीजी रोलआउट में कई कमियां थीं. उन्होंने कहा, हालांकि एलपीजी निश्चित रूप से गांवों में इस्तेमाल किए जाने वाले बायोमास या केरोसिन की तुलना में क्लीनर थी, लेकिन इसे पर्याप्त संख्या में लोगों ने इसका इस्तेमाल शुरू नहीं किया.

सेनगुप्ता ने कहा, ‘एलपीजी के लिए काफी बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है और इसका स्टोरेज व ट्रांसपोर्टेशन काफी मुश्किल होता है .

उन्होंने कहा कि खाना पकाने के लिए बिजली या इंडक्शन के प्रयोग को बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने बताया, ‘यह स्टोव की तुलना में बहुत बेहतर और व्यवहार्य है . उन्होंने आगे कहा, ‘2030 तक भारत को ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने और घरेलू ऊर्जा में पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए.’

(इस लेखक को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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