scorecardresearch
Sunday, 13 October, 2024
होमदेशअसम में बाल विवाह के खिलाफ ऐक्शन जारी, मुख्यमंत्री हेमंत बोले- '2026 चुनाव तक जारी रहेगा अभियान'

असम में बाल विवाह के खिलाफ ऐक्शन जारी, मुख्यमंत्री हेमंत बोले- ‘2026 चुनाव तक जारी रहेगा अभियान’

धुबरी में बाल विवाह के खिलाफ सबसे अधिक 374 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई. होजाई में 255 और मोरीगांव में 224 ऐसे मामले दर्ज किए गए.

Text Size:

नई दिल्ली: असम में विपक्ष की आलोचना के बीच पुलिस ने लगातार तीसरे दिन बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रखी और गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या रविवार को बढ़कर 2,278 हो गई.

मुख्यमंत्री हेमंत विस्व सरमा ने शनिवार को कहा था कि पुलिस द्वारा बाल विवाह के खिलाफ शुरू किया गया अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा. इसकी विपक्षी दलों ने आलोचना की थी और इस कदम को ‘‘प्रचार का हथकंडा’’ करार दिया था.

पुलिस ने एक बयान में कहा कि ये गिरफ्तारियां राज्य भर में दर्ज 4,074 एफआईआर के आधार पर की गईं हैं.

बयान में कहा गया कि बिस्वनाथ में कम से कम 139, बारपेटा में 130 और धुबरी में 126 व्यक्तियों को पकड़ा गया है. इसमें कहा गया कि अन्य जिले जहां 100 से अधिक गिरफ्तारियां की गई हैं, उनमें बक्सा (123) और बोंगाईगांव तथा होजाई (117) शामिल हैं.

धुबरी में बाल विवाह के खिलाफ सबसे अधिक 374 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई. होजाई में 255 और मोरीगांव में 224 ऐसे मामले दर्ज किए गए.

कार्रवाई के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि असम सरकार अगर वास्तव में बाल विवाह की समस्या को समझती है तो उसे साक्षरता के स्तर को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि आप बाल विवाह रोकना चाहते हैं तो आपको बहुत सारे स्कूल खोलने होंगे, भाजपा सरकार ने ऐसा नहीं किया. आपने मदरसों को भी बंद कर दिया है जो किसी न किसी रूप में शिक्षा प्रदान कर रहे थे.’’

असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘हम बाल विवाह के खिलाफ हैं. लेकिन बड़े बच्चों वाले परिवारों को बाधित करने से क्या फायदा होगा? यह एक प्रचार का हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं है.’’

असम जातीय परिषद प्रमुख लुरिनज्योति गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार ने लोगों पर इसके प्रभाव का आकलन किए बिना कार्रवाई की.

राज्य सरकार के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और जिन्होंने 14-18 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों से शादी की है उनके खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे.

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि नाबालिगों की शादी में शामिल माता-पिता को फिलहाल नोटिस देकर छोड़ा जा रहा है और गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर गैर-जमानती आरोप लगाए जाएंगे, जबकि 14 से 16 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर जमानती धाराओं के तहत आरोप लगाए जाएंगे.

असम के मंत्रिमंडल ने हाल ही में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया कि 14-18 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे.

इसने निर्णय लिया कि आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा तथा यदि दूल्हे की आयु 14 वर्ष से कम है तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर काफी अधिक है, जिसका प्राथमिक कारण बाल विवाह है.

एनएफएचएस के अनुसार, राज्य में औसतन 31 प्रतिशत विवाह प्रतिबंधित आयु वर्ग में होते हैं.


यह भी पढ़ें: पेशावर बमकांड बताता है कि उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में जिहादियों की जीत के दूरगामी नतीजे हो सकते हैं


share & View comments