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Thursday, 25 April, 2024
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भारत में लगभग 2 लाख स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को दी गई टीके की पहली खुराक

भारत में करीब एक करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 1,52,093 लोगों की मौत के बाद देश ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ टीके के साथ महामारी के खिलाफ कदम उठाया है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शनिवार को कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ शुरू किए गए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत शनिवार को भारत में अग्रिम पंक्ति के लगभग दो लाख स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई.

इसके साथ ही दुनियाभर में 10 महीनों में लाखों जिंदगियों और रोजगार को लील लेने वाली इस महामारी के भारत में खात्मे की उम्मीद जगी है.

भारत में करीब एक करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 1,52,093 लोगों की मौत के बाद देश ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहला कदम उठाया है और देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों पर आज टीकाकरण किया गया.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में टीकाकरण के पहले दिन 3,352 केंद्रों पर 1,91,181 स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई.

इस बीच, रात में खबर आई कि टीका लगने के बाद दिल्ली स्थित एम्स में एक गार्ड को एलर्जी होने और पश्चिम बंगाल में एक नर्स को बेहोश होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता में 35 वर्षीय एक नर्स कोविडशील्ड टीका लगने के बाद अचेत हो गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

उन्होंने कहा कि कई टीकों के बाद इस तरह की एलर्जी संबंधी दिक्कत हो जाती है और नर्स की हालत को लेकर अभी कुछ भी चिंताजनक नहीं है.

पश्चिम बंगाल में टीकाकरण के बाद के प्रभाव के 13 और मामले सामने आए, लेकिन वे गंभीर नहीं थे.

वहीं, राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शनिवार को एक गार्ड को कोवैक्सीन टीके की पहली खुराक लगाए जाने के बाद एलर्जी हो गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के अनुसार शाम चार बजे के बाद इस सुरक्षा गार्ड को टीका लगाया गया और उसके 15-20 मिनट बाद उसकी धड़कन बढ़ गई तथा उसके शरीर पर चकत्ते हो गए जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया.

गुलेरिया ने कहा, ‘उसका तत्काल उपयुक्त उपचार किया गया और उसकी स्थिति सुधरी. अब उसकी स्थिति स्थिर है. एहतियात के तौर पर उसे रातभर के लिए चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है और उसकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है. उसे सुबह में छुट्टी दिए जाने की संभावना है.’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में एईएफआई (टीकाकरण के बाद के प्रभाव) का एक ‘गंभीर’ एवं 51 ‘मामूली’ मामले सामने आए.

देश में टीकाकरण अभियान शुरू होने के पहले दिन स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, भाजपा सांसद महेश शर्मा और पश्चिम बंगाल के मंत्री निर्मल माजी उन लोगों में शामिल रहे जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई.

पॉल कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरण एवं प्रबंधन को लेकर गठित अधिकार समूह के प्रमुख भी हैं.

अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि टीके की दो खुराक लेनी बहुत जरूरी हैं और इन दोनों के बीच लगभग एक महीने का अंतर होना चाहिए.

उन्होंने टीका लेने के बाद भी लोगों से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और ‘दवाई भी, कड़ाई भी’ का मंत्र दिया.

प्रधानमंत्री ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया’ टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है.

मोदी ने कहा कि टीका देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत सुनिश्चित करेगा.

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को हुई तकलीफों, अपने प्रियजनों को खोने और यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल न हो पाने के दर्द का जिक्र किया.

रुंधे गले से प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों और संक्रमण के जोखिम की आशंका वाले मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों की कुर्बानियों को याद किया जिनमें से सैकड़ों की संक्रमण की वजह से मौत हो गई.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा टीकाकरण कार्यक्रम मानवता की चिंता से प्रेरित है, जिन लोगों को सबसे अधिक खतरा है उन्हें प्राथमिकता मिलेगी.’

मोदी ने भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि सामान्य तौर पर टीका विकसित करने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन भारत ने दो ‘मेड इन इंडिया’ टीके तैयार किए और तेजी से अन्य टीकों पर भी काम कर रहा है.

उल्लेखनीय है कि पूरे भारत में बड़े पैमाने पर टीकाकरण का रास्ता साफ करते हुए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस महीने की शुरुआत में ऑक्सफोर्ड /एस्ट्रेजेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ एवं भारत बायोटेक द्वारा विकसित स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.

कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की खुराक सबसे पहले अनुमानित एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को और इसके बाद दो करोड़ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मियों को दी जाएगी. इसके बाद 50 साल से अधिक उम्र वालों एवं अन्य बीमारियों से ग्रस्त 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर अस्पताल के एक सफाईकर्मी मनीष कुमार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की उपस्थिति में कोविड​​-19 का पहला टीका लगाया गया. इसके साथ ही मनीष देश की राजधानी में टीका लगवाने वाले पहले शख्स बन गए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि दोनों टीके- भारत बायोटेक के स्वदेशी कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड, इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक ‘संजीवनी’ हैं.

टीका अभियान की शुरुआत के बाद हर्षवर्धन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ये टीके महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमारी ‘संजीवनी’ हैं. हमने पोलियो के खिलाफ लड़ाई जीती है और अब हम कोविड के खिलाफ युद्ध जीतने के निर्णायक चरण में पहुंच गए हैं. मैं इस अवसर पर सभी फ्रंटलाइन कर्मियों को बधाई देता हूं.’

पूरे देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर उत्सव जैसा माहौल रहा. कई अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था. कई स्थानों पर टीकाकरण से पहले प्रार्थना की गई.

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित एक निजी अस्पताल की डॉक्टर बिपाशा सेठ ने कहा, ‘‘ यह मानवता के लिए महान दिन है, सबसे पहले टीके की खुराक मिलने से विशेष तौर पर गर्वित महसूस कर रही हूं.’’ बता दें कि उन्हें पश्चिम बंगाल में सबसे पहले खुराक दी गई.

पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम ने कहा, ‘आज हमारे लिए एक बड़ा दिन है. ऐसा लगता है कि हम धीरे-धीरे महामारी से बाहर आ रहे हैं, जिसने इतने सारे लोगों की जान ली है. हम पिछले एक साल से संकट की स्थिति में थे. आज से, हम फिर से अपना नया जीवन शुरू करेंगे.’

गुजरात के 161 केन्द्रों में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ. सबसे पहले राजकोट के एक मेडिकल वाहन चालक तथा कुछ डॉक्टरों को टीके की खुराक दी गई.

राजकोट में मेडिकल वैन चलाने वाले और कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की पहली खुराक पाने वालों में शामिल अशोक भाई ने कहा, ‘यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि राजकोट के इस केंद्र में मुझे टीके की पहली खुराक देने के लिए चुना गया. मुझे कोई आशंका नहीं है.’

भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर केतन देसाई अहमदाबाद में सिविल अस्पताल में टीका लगवाने वाले दूसरे व्यक्ति बने.

उन्होंने कहा, ‘किसी को भी टीके के दुष्प्रभाव के बारे में भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि यह खुराक कई परीक्षण से गुजरने और विशेषज्ञों द्वारा सत्यापित करने के बाद दी जा रही है.’

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी तथा उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की मौजूदगी में डॉक्टरों को टीकों की पहली खुराक दी गई.

महाराष्ट्र में शनिवार को देश के शेष भाग के साथ ही टीकाकरण अभियान शुरू हो गया.

मुंबई में जेजे अस्पताल के डीन डॉक्टर रंजीत मानकेश्वर तथा जालना सिविल अस्पताल की डॉक्टर पद्मजा सराफ सबसे पहले टीका लगवाने वालों में शामिल रहे.

गोवा में जीएमसीएच के कर्मचारी रंगनाथ भोज्जे को शनिवार को सबसे पहले कोरोना वायरस का टीका लगाया गया.

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तथा गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत उस समय जीएमसीएच अस्पताल में मौजूद थे, जब भोज्जे को टीका लगाया गया.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सबसे पहले एक स्वच्छताकर्मी को टीका लगाकर प्रदेश में इसकी शुरूआत की गयी. प्रदेश में टीकाकरण केन्द्र पर टीका लगवाने वालों का जहां फूलों से स्वागत किया गया, वहीं ग्वालियर में डॉक्टरों ने हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर इसकी शुरुआत की.

छत्तीसगढ़ में 51 वर्षीय सफाईकर्मी तुलसा टांडी राज्य में कोविड-19 से बचाव का टीका लगवाने वाले पहले व्यक्ति बने.

राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक प्रियंका शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘तुलसा टांडी रायपुर स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर स्मारक अस्पताल में वर्ष 2008 से सफाईकर्मी के पद पर कार्यरत हैं और वह पहले व्यक्ति बने जिन्हें राज्य में कोविड-19 टीके की खुराक दी गई है.’

तमिलनाडु में भी 166 केंद्रों पर टीकाकरण हुआ और यहां के सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर राज्य में कोविड-19 का टीका प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बने.

तेलंगाना में हैदराबाद स्थित अस्पताल में महिला सफाईकर्मी कोविड-19 से बचाव का टीका लगवाने वाली पहली व्यक्ति बनीं, उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट के बीच टीका लगाया गया.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री ई राजेंदर ने यहां गांधी अस्पताल में औपचारिक रूप से टीकाकरण की शुरुआत की.

केरल में भी 133 केंद्रों पर टीकाकरण शुरू हुआ और टीका प्राप्त करने वालों में प्रमुख सरकारी डॉक्टर और अग्रिम मोर्चे पर कार्य करने वाले कर्मी रहे.

कर्नाटक में भी 243 स्थानों पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई जिनमें से 10 केंद्र बेंगलुरु में हैं.

बेंगलुरु स्थित विक्टोरिया अस्पताल में कार्यरत वार्ड अटेंडेंट 28 वर्षीय नागरत्न राज्य में कोविड-19 से बचाव का टीका लगाने वाले पहले व्यक्ति बने. इस मौके पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर बेंगलोर मेडिकल कॉलेज में मौजूद रहे.

इसके साथ ही 3,000 से अधिक सैन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी आज टीके की पहली खुराक दी गई.

सूत्रों ने बताया कि लद्दाख और कश्मीर सहित पूरे भारत में भारतीय सेना के 3,129 स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया.

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मियों के टीकाकरण पर आने वाले खर्च को केंद्र सरकार वहन करेगी.

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