कोलकाता, 22 अगस्त (भाषा) नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने शुक्रवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चिंता जताई।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसे संवेदनशील तरीके से नहीं किया गया तो यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को ‘‘मताधिकार से वंचित’’ कर सकता है।
सेन ने यह भी सवाल उठाया कि एक नौकरशाही प्रक्रिया में नागरिकों से कड़े दस्तावेजीकरण की मांग की जाती है, जबकि उनकी उन चीजों तक पहुंच नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं और पुनरीक्षण जरूरी हैं लेकिन यह मौलिक अधिकारों की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
सेन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हां, यह सच है कि समय-समय पर विभिन्न प्रक्रियागत कार्यों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, ऐसा करते समय गरीबों के अधिकारों को कुचलकर कोई ‘बेहतर व्यवस्था’ नहीं बनाई जा सकती।’’
उन्होंने एक न्यायपूर्ण और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि कई लोग अब भी सही दस्तावेजों के बिना रह रहे हैं और परिणामस्वरूप वे अक्सर चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं।
सेन ने कहा, ‘‘कई लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं। कई वोट नहीं कर सकते… अगर चीजों को सुधारने के नाम पर बहुतों को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो यह गंभीर गलती बन जाती है।’
भाषा राखी नेत्रपाल
नेत्रपाल
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