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Friday, 19 April, 2024
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अहमदनगर अस्पताल आग मामला: PM मोदी और राष्ट्रपति ने मौतों पर शोक जताया, नितिन राउत ने दिए जांच के आदेश

अधिकारी ने बताया कि वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर 15 रोगी थे. उन्हें बचाना प्राथमिकता थी लेकिन उनकी जटिल हालत की वजह से ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाना और बाहर निकालना मुश्किल फैसला था.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र के अहमदनगर के एक सरकारी अस्पताल में आग लगने से हुई मौतों पर शोक जताया है. साथ ही उन्होने घायल के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.

पीएम मोदी ने ट्वीट किया महाराष्ट्र के अहमदनगर के अस्पताल में आग लगने से हुई लोगों की मौत से दुखी हूं. शोक में डूबे परिवारों के प्रति संवेदना. घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करता हूं.’

वहीं, राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रपति कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘अहमदनगर, महाराष्ट्र के सिविल अस्पताल में आग लगने से लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखद है. मैं शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं और दुर्घटना में घायल हुए लोगों के शीघ्र अति शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं.’

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर में शनिवार को एक सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भीषण आग लगने से 11 लोगों की मौत हो गई थी.

महाराष्ट्र में अहमदनगर सिविल अस्पताल के आईसीयू में लगी आग को बुझाने में दमकल कर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी और वे धुएं की वजह से अस्पताल के मैन गेट से दाखिल नहीं हो पा रहे थे.

एक अधिकारी ने दावा किया था कि अस्पताल में अग्निशमन संबंधी ऑडिट तो किया गया था लेकिन पैसे की कमी के कारण वहां सभी जरूरी उपकरण नहीं थे.

अस्पताल में आग लगने के दौरान ज्यादातर मरीज़ वरिष्ठ नागरिक थे और उनमें से अधिकतर वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर थे. इस वजह से बचाव अभियान और जटिल हो गया.

दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अफरा-तफरी, लोगों की चीख-पुकार और दहशत के माहौल में अग्निशमन विभाग के जवानों ने खिड़कियों के कांच तोड़कर आग बुझाने की कोशिश की. सुबह करीब 11 बजे आग लगने के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले अधिकारी ने बताया कि आईसीयू में कोरोना वायरस के करीब 20 मरीज़ों का इलाज चल रहा था.

उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर 15 रोगी थे. अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें बचाना प्राथमिकता थी लेकिन उनकी जटिल हालत की वजह से ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाना और बाहर निकालना मुश्किल फैसला था.’

अधिकारी ने कहा कि ‘विचार-विमर्श के बाद हमने उन्हें किसी भी तरह बाहर लाने का फैसला किया और बाद में ऑक्सीजन या अन्य प्रणालियों पर वापस रखने का फैसला लिया गया.’

एक वरिष्ठ दमकल अधिकारी ने कहा कि हर तरफ धुआं था और आग की लपटों के बजाय दमघोंटू धुआं ज्यादा खतरनाक साबित हुआ. मृतकों में 65 से 83 साल उम्र के लोग अधिक थे.

खबरों के मुताबिक़ नासिक के एक कोविड अस्पताल में इस साल की शुरुआत में भयावह आग लगने के बाद इस अस्पताल में फायर ऑडिट कराया गया था.

वरिष्ठ दमकल अधिकारी ने बताया कि, ‘आग ज्यादा भयावह नहीं थी लेकिन हर तरफ धुआं था. घटना में जिन मरीज़ों की मृत्यु हुई उनका आईसीयू के अंदर धुएं और गर्मी से दम घुट गया.’

अधिकारी ने कहा कि हाल में फायर ऑडिट के बाद अस्पताल से पाइपलाइन और स्प्रिंकलर समेत प्रभावी अग्निशामक प्रणाली लगाने को कहा गया था.

उन्होंने कहा कि पैसों की कमी की वजह से काम अधूरा रह गया. हालांकि अस्पताल में अग्निशामक यंत्र थे.


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मामले की जांच

महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने शनिवार को अहमदनगर सिविल अस्पताल में लगी आग की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. उन्होंने बताया कि बिजली विभाग की निरीक्षण टीम अस्पताल पहुंच गई है और पुलिस पंचनामे के बाद अपनी जांच शुरू करेगी.

राउत ने ट्वीट किया, ‘अहमदनगर सिविल अस्पताल में आग लगने की घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने मामले की विस्तृत जांच करने के आदेश दिए हैं. इसबीच, बिजली निरीक्षण विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है. पुलिस पंचनामा पूरा होने के बाद निरीक्षण टीम अपनी जांच शुरू करेगी.’

राउत ने कहा कि जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी जिला कलेक्टर को हादसे की गहराई से जांच करने का निर्देश दिया है.

महाराष्ट्र के अस्पतालों में पहले भी लगी है आग

इसी साल 23 अप्रैल को जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर चरम पर थी तब भी मुंबई से 60 किलोमीटर दूर विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में आग लगने से 13 कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई थी. उस हादसे के समय अस्पताल में कुल 90 कोविड-19 मरीज थे जिनमें से 18 का इलाज आईसीयू में चल रहा था और वह हादसा वातानुकूलन इकाई में धमाके से हुआ था. मरने वालों में छह महिलाएं और आठ पुरुष थे.

इसी तरह का एक हादसा इस साल 26 मार्च को मुंबई के पूर्वी उपनगर भांडुप में हुआ जिसमें 10 कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी. आग ड्रीम मॉल में लगी थी जिसे कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में तब्दील किया था और आग की लपटें करीब 40 घंटे तक उठती रही थीं. मृतकों में वो मरीज भी शामिल थे जिन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

इस साल 21 अप्रैल को नासिक के सिविल अस्पताल में भी ऑक्सीजन टैंक लीक होने के कारण 24 कोविड-19 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. दरअसल ऑक्सीजन टैंक लीक होने से मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करीब 30 मिनट तक बाधित रही जिससे इस गैस के सहारे सांस ले रहे मरीजों की मौत हो गई थी.

इस साल अस्पतालों में दर्दनाक हादसों की शुरुआत नौ जनवरी को हुई जब भंडारा के जिला अस्पताल में नवजात देखभाल केंद्र इकाई में 10 शिशुओं की आग लगने से मौत हो गई थी. हादसे के समय उस वार्ड में एक से तीन महीने के उम्र के कुल 17 नवजात भर्ती थे.

वहीं, 28 अप्रैल को ठाणे के नजदीक मुंब्रा इलाके में निजी क्रिटीकेयर हॉस्पिटल में भी आग लगने से चार मरीजों की मौत हो गई थी लेकिन इनमें कोई कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं था.


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