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Tuesday, 23 April, 2024
होमदेशएक बिस्तर पर दो-दो मरीज़, कुछ कुर्सियों पर- AP के सबसे पिछड़े ज़िले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की कहानी

एक बिस्तर पर दो-दो मरीज़, कुछ कुर्सियों पर- AP के सबसे पिछड़े ज़िले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की कहानी

अनंतपुर में स्थिति इसलिए और ख़राब इसलिए है, कि निजी अस्पताल कोविड मरीज़ों को नहीं ले रहे हैं. लेकिन अस्पतालों का कहना है, कि ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए, प्रशासन ने उनसे कुछ समय के लिए, भर्तियां रोक देने को कहा है.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के सबसे पिछड़े ज़िले अनंतपुर में, सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का पार्किंग स्थल, अब एक कोविड वॉर्ड है. यहां के बहिरोगी (ओपी) वॉर्ड में मरीज़, बिस्तर और ऑक्सीजन सिलिंडर्स साझा कर रहे हैं, और मरीज़ों के परिजन ही उनकी देखभाल कर रहे हैं, क्योंकि नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है और भी ख़राब बात ये है, कि यहां के निजी अस्पतालों ने, कोविड मरीज़ों को भर्ती करना बंद कर दिया है.

देर से आई दूसरी लहर में, ये दक्षिणी प्रांत भी अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन की क़िल्लत से जूझ रहा है, जो इससे पहले उत्तरी भारत में देखी जा रही थी.

25 मई को अनंतपुर में सरकारी जनरल अस्पताल के, 14 बिस्तरों के बहिरोगी (एपी) विभाग में, 30 मरीज़ मौजूद थे- हर बिस्तर पर दो मरीज़ थे, कुछ कुर्सियों पर बैठे थे, और एक शख़्स ज़मीन पर था.

बहिरोगी वॉर्ड की पांच स्टाफ नर्सें, ज़मीन पर बैठे मरीज़ के लिए, बिस्तर जुटाने की जद्दोजहद में इधर उधर भाग रहीं थीं.

एक स्टाफ नर्स माधवी ने दिप्रिंट को बताया, ‘अब तो स्थिति बहुत बेहतर है; अगर आप तीन दिन पहले आतीं, तो आपको इससे भी ख़राब हाल दिखता. हमारे पास खड़े होने तक की जगह नहीं थी’. उसने आगे कहा, ‘हमने बाहर से कुर्सियां मंगाईं, और मरीज़ों को एक क़तार में बिठाकर, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दी’.

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माधवी ने पारंपरिक निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) नहीं पहना हुआ था, बल्कि पॉलिथीन को एप्रन की तरह डाला हुआ था.

ठीक उस समय जब वो दिप्रिंट से बात कर रही थी, एक ऑटोरिक्शा वहां आकर रुका, जो एक मरीज़ को लेकर सीधा ओपी वॉर्ड में आ गया था, जो बिल्कुल हांफ रहा था, और वाहन से लगभग बाहर गिरा जा रहा था.

बारिश के बीच माधवी मरीज़ को छत के नीचे ले आई, लेकिन वहां न कोई बेड था, और न कोई ख़ाली कुर्सी थी, जिसपर बिठाकर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट दी जा सके.

बेबसी की हालत में, उसने मरीज़ को एक ऐसे बिस्तर पर लिटा दिया, जिसपर एक दूसरा 40 वर्षीय मरीज़ पहले से लेटा हुआ था.

‘यहां पर यही स्थिति है. हमने तो इससे भी ख़राब स्थिति संभाली है. कुछ मिनट पहले ही हमने 20 मरीज़ों को, अस्पताल के अंदर शिफ्ट किया है,’ ये कहकर वो ये देखने के लिए भागी, कि वॉर्ड के आख़िर में मौजूद मरीज़, जिसका बिस्तर टिन की छत के नीचे रखा गया था, बारिश में भीग तो नहीं रहा था.

अस्पताल के पार्किंग स्थल में स्थापित किए गए कोविड वॉर्ड में, स्थिति थोड़ा बेहतर थी. यहां पर परिजन ख़ुद अपने मरीज़ों की देखभाल कर रहे थे, लेकिन बिस्तर या ऑक्सीजन सिलिंडर, साझा नहीं किए जा रहे थे.

एक स्वतंत्र ग़ैर-लाभकारी संस्था आलमबाना ने, पहल करते हुए सरकारी अस्पताल की सहायता से, 30 बिस्तरों का एक वॉर्ड स्थापित किया है.

आलमबाना संस्था के मेका जनार्धन ने कहा, ‘गांवों तथा शहर के सभी लोग, आपात स्थिति में अनंतपुर जीजीएच अस्पताल का ही रुख़ करते हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमने यहां अस्पताल के गेट पर, लोगों को सड़क पर लेटे देखा है, सांस फूलते हुए, और जीजीएच के बाहर मरते हुए देखा है, अस्पताल के ओपी वॉर्ड के अंदर बिस्तर के इंतज़ार में मरते देखा है. इसलिए हमने तय किया कि हम अस्पताल के अंदर, गंभीर रोगियों की छंटाई का काम करेंगे’.

कुल मिलाकर ज़िले के 3,347 गांव, क्षेत्र के छह बड़े सरकारी अस्पतालों पर निर्भर करते हैं.

राज्य के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, 1 जून को अनंतपुर में कुल 3,713 एक्टिव मामले थे. ज़िले के लिए कुछ राहत की बात ये थी, कि सकारात्मकता दर भी गिरकर, 5.9 प्रतिशत पर आ गई है.

लेकिन, ये सब 17 मई की पीक सकारात्मकता दर, 45 प्रतिशत के मुक़ाबले कुछ भी नहीं है. 17 मई को एक्टिव मामलों की संख्या भी 14,000 थी.

निजी अस्पताल मरीज़ भर्ती नहीं कर रहे

अनंतपुर की स्थिति इस कारण और भी बिगड़ गई है, कि ऑक्सीजन की कमी के चलते, शहर के निजी अस्पताल ऐसे कोविड मरीज़ों को भर्ती नहीं कर रहे हैं, जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत है.

25 मई को, दिप्रिंट ने अनंतपुर के शहरी इलाक़े में निजी अस्पतालों का दौरा किया, जहां सबने कहा कि ऑक्सीजन की कमी के चलते, उन्होंने एक हफ्ते से अपने यहां कोविड मरीज़ों की भर्ती बंद की हुई है. उनमें से कुछ थे, केयर एंड क्योर अस्पताल, साई आनंद, चंद्रा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, वाईएसआर अस्पताल, सुदर्शना, और अमृत अस्पताल.

लेकिन इससे स्थानीय अधिकारियों और निजी अस्पतालों के बीच जैसे को तैसा वाली स्थिति पैदा हो गई है.

निजी अस्पतालों का आरोप था कि ज़िला प्रशासन ने, ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए, उनसे कुछ समय के लिए भर्तियां बंद करने को कहा है.

केयर एंड क्योर अस्पताल के राघवेंद्र ने कहा, ‘उन्होंने हमसे मरीज़ों को नहीं लेने के लिए कहा है, क्योंकि वो ऑक्सीजन सप्लाई करने में सक्षम नहीं हैं. इसलिए अब एक हफ्ता हो गया है’. इस सुविधा में 40 ऑक्सीजन बिस्तर हैं, और सिर्फ दो मरीज़ हैं.

आरोपों से इनकार करते हुए, ज़िला कलेक्टर गांधन चंद्रूदू ने कहा, कि निजी अस्पताल जहां चाहें, वहां से ऑक्सीजन ख़रीदने के लिए आज़ाद हैं.

अनंतपुर के लिए ऑक्सीजन का प्रमुख स्रोत, कर्नाटक के बेलारी में जिंदल प्लांट है.

चंद्रूदू ने कहा, ‘इससे कोई इनकार नहीं कि अनंतपुर में ऑक्सीजन की कमी है. हमारे मुख्य स्रोत जिंदल प्लांट ने, कर्नाटक और दूसरे सूबों में मांग बढ़ने की वजह से, हमारी सप्लाई कम कर दी है’. उन्होंने कहा, ‘हमने केवल उन अस्पतालों की सप्लाई रोकी है, जो आरोग्यश्री स्कीम के तहत मरीज़ों की फर्ज़ी सूची दिखाकर, ऑक्सीजन का इस्तेमाल दूसरे मरीज़ों के लिए कर रहे थे’.

ज़िले में 55 निजी अस्पताल हैं, जो कोविड मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं, जिनमें से 19 को राज्य की फ्लैगशिप स्कीम- आरोग्यश्री- के तहत, मरीज़ भर्ती करने के लिए पैनल पर रखा गया है, जो कम आय वर्ग के लोगों के लिए है. पैनल पर रखे गए अस्पतालों में कम से कम 50 बिस्तर, आरोग्यश्री स्कीम के मरीज़ों के लिए अलग रखने होते हैं, जिनके बिलों का भुगतान बाद में राज्य सरकार करती है.

ज़िला वन अधिकारी जगन्नाथ सिंह के अनुसार, जो ऑक्सीजन निगरानी समिति की सहायता कर रहे हैं, तीन निजी एजेंसियां हैं जो अनंतपुर के अधिकांश निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई करती हैं. कमेटी अब एजेंसियों और अस्पताल के बीच, मध्यस्थ का काम कर रही है.

सिंह ने बताया, ‘हमने हर अस्पताल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, और व्हाट्सएप ग्रुप्स बनाए हैं. अधिकारी ज़रूरतों को देखता है, और उन्हें ग्रुप पर डालता है, इसके बाद ही निजी एजेंसी अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करेगी’. उन्होंने आगे कहा, ‘कोई सीधा संपर्क नहीं है. हमने बुनियादी तौर पर ऐसा इसलिए किया, कि काला बाज़ारी बहुत बढ़ गई थी, और हम उसे रोकना चाहते थे’.

‘ज़िले की स्थिति अब बेहतर’

कलेक्टर गांधन चंद्रूदू ने दिप्रिंट से कहा, कि तमाम मुश्किलों के बावजूद, पिछले एक साल में अनंतपुर में, चिकित्सा ढांचे में सुधार हुआ है.


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चंद्रूदू ने कहा, ‘अनंतपुर एक ऐसा जिला है, जहां चिकित्सा सुविधाओं की कमी है. ऐसा ज़िला जो बेहद पिछड़ा हुआ और जिसकी स्थिति बहुत ख़राब है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे पास उतने ही मामले हैं, जितने वाइज़ाग शहर में हैं, लेकिन हमारे उनके दसवें हिस्से के बराबर भी इनफ्रास्ट्रक्चर नहीं है’.

लेकिन, उन्होंने ये ज़रूर कहा कि अब हालात, उसके मुक़ाबले कहीं बेहतर हैं, जो 2020 में थे.

चंद्रूदू के अनुसार, 2020 में सिर्फ 14 आईसीयू बेड्स थीं, जिन्हें ज़िला प्रशासन ने बढ़ाकर 250 कर दिया है. ऑक्सीजन बेड्स को तक़रीबन ज़ीरो से बढ़ाकर 120 कर दिया गया है, और ऑक्सीजन भंडारण क्षमता भी ज़ीरो से बढ़ाकर 56,000 लीटर कर दी गई है.

उन्होंने आगे कहा कि 300 ऑक्सीजन बेड्स, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (कोविड मरीज़ों का इलाज करने वाली एक प्रमुख सरकारी सुविधा) में स्थापित की जा रही हैं, और ताडिपत्री में एक 500 बिस्तरों का अस्पताल और बनाया जा रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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