नई दिल्ली: जहां एक ओर टयूबरकुलोसिस (टीबी) से लड़ने वाले बेसिलस काल्मेट-गुएरिन (बीसीजी) टीके और कोविड-19 के कम जोखिम के बीच संबंध पर महामारी के शुरू से ही बहस चल रही है, वहीं अमेरिकी शोधकर्त्ताओं ने कहा है कि ऐसे कई दूसरे टीके हैं जो वायरस से कुछ हद तक सुरक्षा देते हैं.
शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, जिनमें मेयो क्लीनिक के रिसर्चर्स भी शामिल हैं, पोलियो, एचआईबी, एमएमआर, वैरिसेला, पीसीवी13, जेरियाटिक फ्लू और हेपिटाइटिस ए, हेपिटाइटिस बी के वैक्सीन, कोविड-19 से कुछ हद तक सुरक्षा देते हैं.
एचआईबी टीका इनफ्लुएंज़ा के खिलाफ काम करता है, जबकि एमएमआर मीज़िल्स-रुबैला के, पीसीवी न्यूमोकोकल संक्रमण के और वैरिसेला चिकन पॉक्स के खिलाफ सुरक्षा देते हैं.
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपी स्टडी में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ गैर-कोविड टीकों के असर की जांच की गई और इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि इन सब में पोलिया टीका सबसे अच्छा काम करता है.
शोधकर्त्ताओं ने लिखा, ‘विशेषकर, हमने देखा है कि जिन लोगों को हाल ही में पोलियो, एचआईबी, एमएमआर, वैरिसेला, पीसीवी13, जेरियाट्रिक फ्लू, या हेप-ए-हेप-बी में से कोई टीका लगा है, उनमें सार्स-सीओवी-2 की संक्रमण दर कम है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘ये वैक्सीन्स आगे की प्री-क्लीनिकल एनिमल स्टडीज़ और कोविड-19 की क्लीनिकल स्टडीज़ के लिए संभावित कैंडिडेट्स हैं. बाकी 18 वैक्सीन्स के लिए जिन पर हमने विचार किया, सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के साथ उनके पारस्परिक संबंध या तो मामूली थे या फिर समय क्षितिज के हिसाब से अलग-अलग थे’.
इस बीच, कनाडा में एक्टिवेट ट्रायल के शुरूआती निष्कर्षों में पता चला कि जिन लोगों को बीसीजी टीके लगे थे, उनमें बिल्कुल नए कोविड-19 संक्रमण के मामले 53 प्रतिशत कम पाए गए हैं.
टोरंटो के यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क की डबल ब्लाइंड प्लेसिबो नियंत्रित स्टडी में, देखा जा रहा है कि बीसीजी वैक्सीन लगाने से क्या कोविड-19 के प्रति प्रतिभागियों की संवेदनशीलता में कमी आएगी.
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पोलियो टीका सबसे कारगर
कोविड वैक्सीन, जिन्होंने 62 से 94 प्रतिशत के बीच प्रभाव दिखाया है और बीसीजी जिसपर ट्रायल चल रहा है, के अलावा रिसर्चर्स ने पाया कि पोलियो टीका सबसे अच्छी सुरक्षा देता है.
उन्होंने लिखा, ‘एक और दो साल के समय क्षितिज पर, पोलियो टीके और सार्स-सीओवी-2 की नीची दरों का संबंध सबसे मज़बूत है’.
स्टडी में आगे कहा गया कि वैक्सीन्स, संभवत: व्यापक इम्यून सिग्नलिंग पाथवेज़ को सक्रिय करके काम करती हैं- एक गैर-विशिष्ट स्वाभाविक रेस्पॉन्स, जिसे अक्सर ‘प्रशिक्षित’ इम्यूनिटी भी कहा जाता है.
लेकिन, एक बार कोई व्यक्ति बीमारी के संपर्क में आ जाए, तो ये लगता है कि वैक्सीन्स, उसे अस्पताल में भर्ती होने या आईसीयू तक में जाने से नहीं बचाती.
अफ्रीकी देश गिनी-बिसाउ में, एक स्वास्थ्य एवं जनसांख्यिकीय निगरानी सिस्टम, बैंडिम स्वास्थ्य प्रोजेक्ट के एक अन्य ट्रायल में जांचकर्त्ता 50 वर्ष से अधिक आयु के 3,400 लोगों में, ओरल पोलियो वैक्सीन के असर को जांच रहे हैं, ताकि इस अवधारणा को परखा जा सके कि वैक्सीन कोविड-19 में बीमारियों, अस्पताल भर्ती या मौत (समग्र परिणाम) के संयुक्त जोखिम को छह महीने में कम से कम 28 प्रतिशत तक कम कर सकती है.
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