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Thursday, 25 April, 2024
होमहेल्थIIT का अनुमान, सितंबर-अक्टूबर में होगा कोविड की तीसरी लहर का पीक, आ सकते हैं रोज़ाना 2-5 लाख मामले

IIT का अनुमान, सितंबर-अक्टूबर में होगा कोविड की तीसरी लहर का पीक, आ सकते हैं रोज़ाना 2-5 लाख मामले

दूसरी लहर से प्राप्त डेटा के आधार पर आईआईटी की टीम ने कोविड के तीन सिनैरियो के बारे में बताया है. इस मॉडल में माना गया है कि 15 जुलाई तक पूरी तरह से लॉकडाउन हट जाएगा. वैक्सीनेशन को ध्यान में नहीं रखा गया है.

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नई दिल्ली: आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं के एक अनुमान के मुताबिक 15 जुलाई तक देश में पूरी तरह से लॉकडाउन हटने के बाद भारत में कोविड 19 की तीसरी लहर सितंबर से अक्टूबर के बीच चरम पर होगी. साथ ही इस बीच सितंबर में एक दिन में 5 लाख तक मामले आ सकते हैं.

हालांकि, इस अनुमान मॉडल में टीकाकरण के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखा गया है, जिसके बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के फैलने की श्रृंखला को तोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

प्रोफेसर राजेश रंजन और महेंद्र वर्मा का अगुवाई वाली आईआईटी कानपुर की टीम ने दूसरी लहर के डेटा के आधार पर ससप्टिबिल-इन्फेक्टेड-रिकवर्ड मॉडल का उपयोग करके तीसरी लहरे के तीन स्थितियों के बारे में बताया है. यह एक महामारी विज्ञान मॉडल है जो समय के साथ ‘क्लोज्ड’ आबादी में संक्रामक बीमारी से संक्रमित लोगों की सैद्धांतिक संख्या की गणना करता है.

मॉडल ने इस बात को बताने की कोशिश की है कि अगर भारत में 15 जुलाई को पूरी तरह से लॉकडाउन हट जाए तो क्या होगा.

पहले परिदृश्य में, जिसमें कि प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे, वहां तीसरी लहर का चरम अक्टूबर में आएगा. हालांकि यह पीक हाइट दूसरी लहर की तुलना में कम होगी. चरम स्थिति में अधिकतम 3.2 लाख मामले रोज़ाना आ सकते हैं.

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दूसरे परिदृश्य में, शोधकर्ताओं ने मुताबिक सार्स-CoV-2 के नए, अधिक संक्रामक वेरिएंट सामने आ सकते हैं. यदि कोई लॉकडाउन या प्रतिबंध नहीं होगा तो, चरम स्थिति कुछ पहले सितंबर आ सकती है. यह सबसे खराब स्थिति है जहां दैनिक आधार पर नए संक्रमणों की संख्या एक दिन में 5 लाख तक पहुंच सकती है.

शोधकर्ताओं ने एक तीसरे परिदृश्य की भविष्यवाणी की है जहां तीसरी लहर का चरम देर अक्टूबर तक देखी जा सकेगी. मॉडल में कहा गया है कि अगर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सख्त तरीके अपनाए जाएंगे तो, तो तीसरी लहर का चरम दूसरी लहर से कम होगा, जिसमें सबसे खराब स्थिति में 2 लाख से कम मामले सामने आए हैं .

हालांकि, तीनों परिदृश्य पहली लहर से बड़ी लहर की तुलना में बड़े पीक को दिखाते हैं.


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मॉडल की सीमाएं

इस मॉडल की एक सीमा यह है कि यह माना जाता है कि पूरी आबादी वायरस के प्रति समान रूप से अतिसंवेदनशील है और यह टीकाकरण के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखता है.

यह भी माना जाता है कि जनसंख्या ‘क्लोज़्ड’ है- इसमें अंदर या बाहर की ओर कोई प्रवासी प्रवाह नहीं है इसलिए जनसंख्या में परिवर्तन केवल जन्म और मृत्यु के माध्यम से होते हैं .

शोधकर्ताओं का कहना है, ‘टीकाकरण ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने के लिए जाना जाता है. वर्तमान में, मॉडल में कोई टीकाकरण शामिल नहीं है, जिसकी वजह से चरम स्थिति में कमी आ सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि टीकाकरण के साथ संशोधित मॉडल और उस पर अधिक हाल के आंकड़ों के साथ काम किया जा रहा है.

आईआईटी कानपुर की टीम भारत में रोजाना कोविड-19 का पूर्वानुमान भी उपलब्ध करा रही है.

उनके अनुसार, मिजोरम, मणिपुर और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर दूसरी लहर लगभग हर जगह काफी कम हो गई है .

मंगलवार की तरह भारत में देश भर में कोविड के 42,640 नए मामले दर्ज किए गए. मई में अपने चरम पर देश में रोजाना करीब 4 लाख मामलों की रिपोर्टिंग हुई थी.

हालांकि भारत की परीक्षण सकारात्मकता वर्तमान में 2.6 प्रतिशत तक गिर गई है, शोधकर्ताओं ने कहा कि तीसरी लहर के बारे में नीति निर्माताओं और जनता के बीच महत्वपूर्ण चिंता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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