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Saturday, 4 May, 2024
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राज्यों की पहली पसंद बनी कोविशील्ड, ‘बफर स्टॉक’ के तौर पर कोवैक्सीन को रखे जाने की तैयारी

दिल्ली, आंध्र, तेलंगाना, पंजाब कोविशील्ड का इस्तेमाल करेंगे जबकि छत्तीसगढ़ ने कोवैक्सीन की प्रभावकारिता पर सवाल उठाए हैं. सरकार का कहना है कि टीके मानकों को पूरा करने के बाद मंजूर किए गए हैं.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शनिवार से शुरू होने जा रहे अपने टीकाकरण अभियान के लिए भले ही कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों की खरीद की है लेकिन कई राज्य फिलहाल कोविशील्ड का ही उपयोग करने का मन बनाए हुए हैं.

दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब जैसे राज्य भारतीय कंपनी बायोटेक की कोवैक्सीन को ‘बफर स्टॉक’ के तौर पर रखते हुए पहले चरण में अपने स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रणी कार्यकर्ताओं के टीकाकरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड का उपयोग करने जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी कोवैक्सीन के प्रभावकारिता डाटा की कमी पर चिंता जताई है.

3 जनवरी को मोदी सरकार की तरफ से तीसरे चरण का डाटा अपूर्ण होने के बावजूद कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था.

राज्यों ने यह भी कहा कि चूंकि उन्हें कोवैक्सीन की कम खुराक मिली हैं, इसलिए वे पहले कोविशील्ड का ही इस्तेमाल करेंगे.

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यह पूछे जाने पर कि क्या कोविशील्ड तमाम राज्यों के लिए वैक्सीन का निर्धारित विकल्प है, कोवैक्सीन इतनी सीमित संख्या में ही उपलब्ध कराए जाने का क्या मतलब है, नीति आयोग के सदस्य वी.के. पॉल ने दिप्रिंट को बताया, ‘जो भी टीके उपलब्ध हैं उनकी पंजीकृत लाभार्थियों के अनुपात में राज्यों को आपूर्ति की गई है. सरकार ने दोनों टीके इस्तेमाल करने का विकल्प खुला रखा है और हमें इस तथ्य पर गर्व है कि उनमें से एक स्वदेश में विकसित है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जो भी टीका मानदंडों को पूरा करता है, उसे मंजूरी दी गई है, यह तो शुरुआत भर है. जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ेगा और व्यवस्था बनाई जाएगी और जो भी उपयुक्त योग्यता रखता है उसे मौका दिया जाना चाहिए.’

पॉल ने कहा कि ‘दुनियाभर के सभी लोकतंत्रों में जिस तरह से टीकाकरण हो रहा है वह ऐसा ही है कि आप ये चुन नहीं सकते हैं कि आपको कौन-सा टीका मिले.’


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दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र

दिल्ली को कोविशील्ड की 2,54,540 और कोवैक्सीन की 20,000 खुराकें मिली हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कोविशील्ड अभी फिलहाल डिफॉल्ट विकल्प ही होगा और अगर जरूरत पड़ी तो हम कोवैक्सीन का इस्तेमाल करेंगे और इसके लिए टीकाकरण केंद्रों को विकल्प नहीं दिया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि बाद में कोई चिंता जताए इसलिए पहले तो मुख्यत: कोविशील्ड का ही इस्तेमाल करेंगे.’

अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली के 11 जिलों में वैक्सीन बूथ को कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों मिल सकती हैं. लेकिन किसी बूथ को सिर्फ कोविशील्ड ही मिली तो उसे बाद में कोवैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई जाएगी ताकि किसी तरह की भ्रम की स्थिति से बचा जा सके.’

उन्होंने आगे कहा कि वैक्सीन को रैंडम सेलेक्शन के आधार पर कोल्ड स्टोर प्वाइंट्स से बूथ पर भेजा जाएगा.

इस बीच, पंजाब को केवल कोविशील्ड की 2,04,000 खुराक मिली हैं.

राज्य में कोविड-19 को लेकर प्रोग्रामिंग अधिकारी राजेश भास्कर ने कहा, ‘हमें कोवैक्सीन बिल्कुल नहीं मिली है और इसलिए हम निश्चित रूप से केवल कोविशील्ड पर ही निर्भर होंगे.’

बीएमसी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन को भी कोवैक्सीन की कोई खुराक नहीं मिली है.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग की एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, महाराष्ट्र को अब तक कोविशील्ड की 9.63 लाख खुराक और कोवैक्सीन की 20,000 अन्य खुराकें मिली हैं.


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आंध्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़

आंध्र प्रदेश का कहना है कि चूंकि उन्हें कोवैक्सीन की कम खुराक मिली है, इसलिए वे कोविशील्ड को प्राथमिकता देंगे.

राज्य के स्वास्थ्य आयुक्त कटमानेनी भास्कर ने कहा कि उन्हें कोविशील्ड की 4.7 लाख खुराक और कोवैक्सीन की 20,000 खुराक मिली हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘चूंकि मात्रा में बहुत ज्यादा अंतर है, हम कोविशील्ड को प्राथमिकता देंगे और कोवैक्सीन को अभी केवल बफर स्टॉक के रूप में रखेंगे.’

इसके अलावा तेलंगाना में भी पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को लगाए जाने वाले टीकों में कोविशील्ड ही इस्तेमाल किए जाने की योजना है.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि, यहां कोवैक्सीन का इस्तेमाल कुछ विशेष समूहों जैसे वरिष्ठ राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों को टीका लगाने के लिए किया जा सकता है.’

हालांकि, अधिकारी ने कहा कि चूंकि कोवैक्सीन को राज्य की राजधानी हैदराबाद में ही विकसित किया गया है, इसलिए उन्हें इसकी प्रभावकारिता के प्रति ज्यादा भरोसा है.

इस बीच, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वह देश में विकसित कोवैक्सीन का उपयोग करने के पक्ष में नहीं है, जब तक कि यह निर्धारित प्रमाणीकरण प्रक्रिया का पालन करके सफलता के साथ पूरी तौर पर स्वीकृति हासिल नहीं कर लेती.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंह देव ने पिछले सप्ताह कहा था कि क्लीनिकल ट्रायल के चरण में होने वाली किसी भी वैक्सीन का इस्तेमाल करना तब तक ‘सुरक्षित नहीं’ है जब तक कि इसकी सुरक्षा और हर चरण के टेस्ट के ब्योरे के साथ इसके असर का विश्वसनीय ढंग से आकलन न कर लिया जाए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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