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Friday, 29 March, 2024
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मुंबई के 314 पुलों के लिए हैं कई लोग ज़िम्मेदार, पर किसी को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं

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मुंबई में कई पुराने पुल हैं, लेकिन कोई भी एजेंसी उनकी उम्र और मरम्मत का रिकॉर्ड नहीं रखती है कि उनकी मरम्मत चल रही है या उनको मरम्मत की जरूरत है। और हर एक दुर्घटना के बाद हमेशा एक दूसरे पर दोष लगाने का खेल चलता है।

मुंबई: मुंबई बहुत सारे पुराने पुल के सहारे फल-फूल रहा है, जिनमें से कुछ औपनिवेशिक काल से भी पहले के हैं। लेकिन, किसी भी एजेंसी के पास कोई सही आंकड़ा नहीं है कि वास्तव में उनमें से कितने पुल कमजोर या जर्जर हैं और कितने पुलों की आवश्यक मरम्मत हो चुकी है, इस सप्ताह के शुरूआत में उपनगरीय अंधेरी में ओवरब्रिज गिरने के कारण यह चिंता पैदा हुई है।

शहर में 314 नए और पुराने पुल हैं जिनका कम से कम पाँच अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा रख-रखाव किया जाता है। और किसी भी दुर्घटना के मामले में उनको एक दूसरे पर दोषारोपण करते हुए देखा जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर, इस सप्ताह की शुरुआत में अंधेरी में हुई घटना के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम और पश्चिमी रेलवे अब एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।

बीएमसी में पुलों के मुख्य अभियंता एस.ओ. कोरी ने कहा, “कोई संयुक्त पुल प्रबंधन प्रणाली नहीं है। हम एक सूची तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो अगले कुछ दिनों में तैयार हो जानी चाहिए।“

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उन्होंने कहा, “एक बार हमें मूलभूत सूची प्राप्त हो जाए फिर हम एक अधिक सटीक पुल प्रबंधन प्रणाली की ओर काम कर सकते हैं।“

जब औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश सरकार के अंत के दौरान पुलों का निर्माण करवाया गया था, तो उनके पास इस तरह के ढाँचों का एक समेकित लेखाजोखा है, उन ढाँचों का रखरखाव करने के लिए आमतौर पर वह भारतीय समकक्षों को पत्र भेजते हैं।

2016 में दुर्घटनाग्रस्त महाद पुल के मामले में, ब्रिटिश सरकार ने महाराष्ट्र के अधिकारियों को एक पत्र भेजा था कि पुल अपने जीवनकाल के अंत के करीब था और उसे ध्वस्त या उसका पुननिर्माण करने की आवश्यकता थी।

बीएमसी सर्वेक्षण

महाद में सावित्री नदी पर बने ब्रिटिश कालीन पुल के बाढ़ में बह जाने के बाद, बीएमसी ने सितंबर 2016 में एक सूची तैयार करने के लिए शहर के पुलों का सर्वेक्षण करना शुरू किया था।

शहर में कुल 314 पुल हैं, जिसमें फ्लाईओवर, सबवे, रोड ओवरब्रिज और फुट ओवरब्रिज सहित 274 पुल निरीक्षण के लिए चुने गए।

274 में से 77 पुल आइलैंड सिटी में हैं, 137 पुल पश्चिमी उपनगरों में और 60 पुल पूर्वी उपनगरों में हैं। कुल मिलाकर 77 पुल रेलवे की भूमि पर स्थिति हैं।

शहरी योजनाकार सुलक्षणा महाजन ने कहा, “ब्रिटिश हमें रिमाइंडर भेज सकते हैं क्योंकि अब भी उनके पास एक रिकार्ड रखने, सूची एवं डेटाबेस बनाए रखने की प्रणाली है जो स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि कोई पुल कितने समय तक टिक सकता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “पुल के निर्माण की तारीख, ठेकेदार का नाम जिसने इसे बनाया है, संरचनात्मक विवरण, पुल बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक, पुल का कितनी बार निरीक्षण किया गया है, मरम्मत, ऑडिट और क्या क्या किया गया है, इस बारे में हमारे पास एक डेटाबेस होना चाहिए।“

पुराने पुलों का एक शहर

अंधेरी में 70 मीटर लंबा गोखले पुल है, जिसका एक हिस्सा इस सप्ताह के शुरू में ढह गया था। इस पुल का निर्माण 1975 में करवाया गया था।

मुंबई ऐसे कई पुराने पुलों, यहाँ तक कि कई बहुत पुराने हैं, जैसे लोअर परेल में एल्फिंस्टन रोड पुल या दादर में तिलक पुल, के साथ उन्नति कर रहा है। शहर के अधिकांश पुराने पुल रेलवे ट्रैक के ऊपर बने हैं, जो बड़े पैमाने पर उत्तर-दक्षिण संरेखित रेलवे प्रणाली से पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करते हैं।

कोरी ने कहा, “लगभग 30-40 पुल होंगे जो 40 साल से भी अधिक पुराने हैं, लेकिन ये आंकड़े सटीक नहीं हैं क्योंकि हमारे पास कोई आधारभूत आंकड़े उपलब्ध नहीं है। एक बार हमारे पास इनकी विस्तृत सूची आ जाए तो हमें पता चल जाएगा कि इनकी संख्या किती है।“

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की वरिष्ठ शोधकर्ता सायली उदास मंकीकर ने कहा कि इन पुलों के जीर्ण होने का कारण या तो कार्यात्मक रूप से पुरानी प्रौद्योगिकी और घिसावट है या फिर ये संरचनात्मक रूप से अपूर्ण हैं और इसकी जाँच में जटिल इंजीनियरिंग एल्गोरिदमिक सिस्टम (कलन विधि प्रणाली) शामिल है।

उन्होंने कहा, “हमने भारत में अधिकांश नगर निगमों और एजेंसियों में, परिसंपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए, पुराने फार्मूले और ज्यादातर देखी हुई विधियों का इस्तेमाल किया है।”

मंकीकर ने कहा, “दुर्भाग्य से भारत में, विशेषज्ञता की कमी की समस्या नहीं है, लेकिन यहाँ पर आधुनिक तकनीक और एक एकीकृत परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली की कमी है, जिसे आगे चलकर जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मुंबई में क्षेत्रों को जोड़ने लिए पुल, एक योजक के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका पुनःसंयोजन करने का मतलब है यातायात प्रवाह में बाधा डालना और इसलिए उन पुलों की मरम्मत करने वाली एजेंसियों के लिए यातायात पुलिस से अनुमतियां प्राप्त करना भी एक आसान काम नहीं है।

विभिन्न एजेंसियां अव्यवस्था को और बुरा कर देती हैं

अंधेरी पुल की दुर्घटना के मामले में, बीएमसी ने जोर देकर कहा कि उसने संरचना को बनाए रखने के लिए पश्चिमी रेलवे को धन वितरित किया था, जबकि बाद में उन्होंने कहा कि इसकी मरम्मत करना नागरिक निकाय की जिम्मेदारी थी।

एक अचूक सवाल यह भी है कि किस एजेंसी ने 3 मीटर चौड़े पुल को पॉवर ब्लॉक के नीचे पाई गईं लगभग 60 यूटिलिटी केबल्स को स्थापित करने की मंजूरी दे दी, जो संरचना को कमजोर कर सकता हैं।

महाजन, जो कि महाराष्ट्र परिवर्तन सहायता इकाई (महाराष्ट्र ट्रान्शफॉर्मेशन सपोर्ट यूनिट), राज्य सरकार के विशेषज्ञों के एक दल, के साथ योजनाकार के रूप में कार्य करती थीं, ने आगे कहा कि, “यहाँ पर सरकार कई परतों में बुरी तरह भंग हो गई है जो कि विभिन्न एजेंसियों को एक साथ बैठाती है और उन्हें किसी विशेष तरीके से कुछ करने के लिए कहती है, जो काम नहीं करता है। हर कोई अपनी ही बाधाओं का हवाला देता है।“

मंकीकर ने कहा कि क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों को केवल पारदर्शिता और सामंजस्य के माध्यम से हल किया जा सकता है जो गैरहाजिर है।

उन्होंने समझाया कि, “मुंबई में नियम तो साफ हैं। रेलवे की भूमि या पटरियों पर से गुजरने वाला कोई भी पुल रेलवे की जिम्मेदारी है हालांकि, जिस एजेंसी ने इसको बनाया है उसके द्वारा इसे धन दिया जा सकता है।“

उन्होंने कहा, “इस समस्या से निपटने का एक ही तरीका यह है कि हर पुल पर एक बोर्ड लगा हो जिसमें अन्य जानकारियों के साथ में पुल से संबंधित (जिम्मेदार) व्यक्ति, पुल की आयु, ठेकेदार का नाम और इसका रखरखाव करने वाली एजेंसी के बारे में बताया गया हो।“

Read in English : There are so many people in charge of Mumbai’s 314 bridges, but everyone’s clueless

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