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Wednesday, 24 April, 2024
होमएजुकेशनबाहरवीं के रिजल्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने दी निजी स्कूलों को मात, वजह: नौंवी कक्षा में 50% फेल

बाहरवीं के रिजल्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने दी निजी स्कूलों को मात, वजह: नौंवी कक्षा में 50% फेल

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4 साल से कक्षा 9 में पास दर लगभग 50% रही है; आप सरकार ने केवल सक्षम छात्रों को परीक्षा में भाग लेने को सुनिश्चित करने का आरोप लगाया है, यह नो डिटेंशन पॉलिसी को दोष देते हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अंतर्गत चल रहे स्कूलों में कक्षा 12 सीबीएसई परीक्षा में छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन से यह उत्साहित है, और क्यों न हो।

90.68% के पास प्रतिशत के साथ, राजधानी के सरकारी स्कूलों ने निजी संस्थानों से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिन्होंने 88.35% का पास प्रतिशत दर्ज किया है।

उन्होंने पूरे देश में तिरुवनंतपुरम के बाद सरकारी स्कूलों का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी दर्ज किया, तिरुवनंतपुरम राज्य सरकार के अंतर्गत चलने वाले स्कूलों का पास प्रतिशत 99.11% था।

लेकिन तथ्यों की गहराई से गुजरने पर एक और तश्वीर सामने आती है, वह है राजधानी में ‘फिल्टरिंग’ प्रणाली जो कि कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए केवल अपने सबसे सक्षम छात्रों को प्राथमिकता देता है।

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दिप्रिंट द्वारा प्राप्त किए गये आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के स्कूलों में लगभग आधे छात्र कक्षा 9 में अनुत्तीर्ण हो जाते हैं, इससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी स्कूलों के कुल नामांकित छात्रों में से केवल 50 प्रतिशत छात्रों को ही कक्षा 10 और कक्षा 12 बोर्ड परीक्षाओं में भाग लेने का मौका मिलता है।

नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत, छात्रों को कक्षा 8 तक अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता है। उन्हें केवल कक्षा 9 में आंतरिक परीक्षाओं में ही अनुत्तीर्ण किया जा सकता है, जिन परीक्षाओं की व्यवस्था स्कूलों को स्वयं करनी होती है।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पिछले चार वर्षों से कक्षा 12 में कुल पास प्रतिशत लगातार 88 प्रतिशत से ऊपर रहा है, तो वहीं कक्षा 9 में पास प्रतिशत आधे के आसपास आ गया है।

आंकड़ों से पता चलता है कि 2013-14 में, कक्षा 9 में पास प्रतिशत 55.96 प्रतिशत था; 2014-15 में 51.74 प्रतिशत; 2015-16 में 50.78 प्रतिशत और 2016-17 में 52.28 प्रतिशत था। इसके बाद कक्षा 9 में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या के लगभग बराबर संख्या में छात्र कक्षा 12 परीक्षाओं शामिल हुए।

गिरावट के बाद स्थिरता

‘फिल्टरिंग’ प्रणाली का एक और संकेतक उन छात्रों की संख्या के लिए है जो अंततः कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए आगे बढ़ते हैं – यह संख्या कक्षा 9 उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की संख्या के लगभग बराबर होती है।
उदाहरण के लिए, 2013-14 में 1,17,265 छात्र कक्षा 9 में उत्तीर्ण हुए, जबकि 2016-17 में, जब ये छात्र कक्षा 12 तक पहुँचे तो 1,21,681 छात्र बोर्ड परीक्षाओं के लिए उपस्थित हुए।

हालांकि, यह दिल्ली के निजी स्कूलों के मामले में नहीं है, जहाँ कक्षा 9 में शामिल छात्रों की संख्या के लगभग बराबर संख्या में छात्र कक्षा 10 और कक्षा 12 तक आगे बढ़ते हैं।

दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में कक्षा 9 के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 3,11,824 छात्रों में से कक्षा 10 तक केवल 1,64,065 छात्र ही पहुँचे। निजी स्कूलों के मामले में इसी अवधि में कक्षा 9 के 1,05,187 छात्रों में 92% उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ लगभग 97,714 छात्र कक्षा 10 तक पहुँचे।

निजी स्कूलों का कहना है, इसका कारण यह है कि कक्षा 7 तक कोई परीक्षा नहीं होने पर भी छात्रों का मूल्यांकन करते समय हम ध्यान देते हैं।

दिल्ली में एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बात की, “नो डिटेंशन पॉलिसी में सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) की व्यवस्था थी, जो कि छात्रों की प्रगति को मापने का साधन था। हम अपने सीसीई के साथ बहुत नियमित हैं; इसीलिए कक्षा 9 में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम है। यह कुछ ऐसा है जो सरकारी स्कूल नहीं करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कक्षा 7 के बाद ही बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं।”

दिल्ली सरकार भी नो डिटेंशन पॉलिसी को दोषी ठहराती है

दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने भी कक्षा 9 में बड़ी संख्या में पढ़ाई छोड़ने (ड्रॉपआउट) के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को दोषी ठहराया।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की पूर्व सलाहकार अतिशि मार्लेना ने दिप्रिंट को बताया, “नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से ही कक्षा 9 में बड़ी संख्या में छात्र अनुत्तीर्ण होते हैं। इस नीति के तहत, कक्षा 7 तक छात्रों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा रहा था, यही कारण है कि अधिकांश शिक्षकों ने छात्रों पर ध्यान नहीं दिया। जब वे कक्षा 9 में पहुँचे, वे अध्ययन में कमजोर थे और अनुत्तीर्ण होने लगे। इन छात्रों के अनुत्तीर्ण होने के बाद हम उन्हें उनकी शेष स्कूली शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए ओपन स्कूलिंग के लिए भेजते हैं।”

दूसरी ओर दिल्ली सरकार के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों ने दिप्रिंट को बताया कि स्कूल जानबूझकर कक्षा 9 के स्तर पर कमजोर छात्रों को छोड़ रहे हैं। वे कहते हैं कि फ़िल्टरिंग 6 से 8 कक्षाओं में शुरू होती है, जब छात्रों को तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जाता है।

तीन स्तरीय प्रणाली

दिल्ली सरकार के स्कूलों में छात्रों को कक्षा 6 में तीन समूहों में विभाजित किया जाता है- पहला, प्रतिभा या सर्वश्रेष्ठ छात्र दूसरा, नियो निष्ठा या वे छात्र जो मुश्किल से उत्तीर्ण होते हैं तीसरा, निष्ठा अथवा वे छात्र जो इन दोनों समूहों के मध्य में हैं।
जबकि वे सभी एक ही कक्षा में बैठते हैं लेकिन शिक्षा प्रणाली समूहों के लिए अलग-अलग होती है। एक पूर्व सरकारी स्कूल शिक्षक, जिसने सिस्टम को बारीकी से देखा है, ने दिप्रिंट को बताया कि, “कक्षा 6 से 8 के स्तर से कमजोर छात्रों के साथ भेदभाव शुरू होता है। जो छात्र अच्छे नहीं हैं उन्हें पाठ्यक्रम का केवल 30 प्रतिशत सिखाया जाता है ताकि वे किसी तरह से परीक्षाएं दे सकें। कक्षा 8 में उनका प्रश्न पत्र सिर्फ 30-अंक वाला होता है, जो कि उन्हें बस पास करने के लिए होता है और जो उन्हें कक्षा 9 में पहुँचा देता है। जब ये छात्र कक्षा 9 में वास्तविक परीक्षा देते हैं, तो वे अनुत्तीर्ण हो जाते हैं। इस प्रकार 50 प्रतिशत छात्र कक्षा 9 के स्तर पर ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।”

कक्षा 7 में नियो-निष्ठ समूह के लिए विज्ञान का प्रश्न पत्र, दिप्रिंट द्वारा जाँचा गया जो कि अधिकतम 30 अंकों के लिए था जिसमें बहुत ही साधारण सवाल पूछे गए थे जैसे कि जीवाश्म ईंधन का नाम देना, पहचान करना कि कौन सी फसल किस मौसम में बढ़ती है और सूक्ष्मजीव के आकार की पहचान इत्यादि।

हालांकि, आप सरकार ने 2016 में पेश की गई अपनी प्रणाली का बचाव किया था। अतिशि ने कहा, “कुछ छात्र इतने कमज़ोर थे कि वे पढ़ या लिख नहीं सकते थे, इसलिए हमने उन्हें विभिन्न समूहों में विभाजित किया और उन्हें उस स्तर पर पढ़ाया जिसे वे समझ सकते थे।”

सिर्फ आप ही नहीं

कक्षा 9 के खराब नतीजे केवल आप सरकार के ही अंतर्गत नहीं है। यहाँ तक कि दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कक्षा 12 में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए आधे छात्रों के अनुत्तीर्ण होने के लिए आप पर आरोप लगाया। आंकड़ों से पता चलता है कि 2013-14 से लगभग 50 प्रतिशत छात्रों का कक्षा 9 में अनुत्तीर्ण होना दिल्ली के राज्य स्कूलों की एक विशेषता बन गयी है।

आप सरकार ने 2015 में सत्ता संभाली थी।

Read in English: Delhi govt schools beat private schools in class 12 results. Reason: 50% flunk class 9

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