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Saturday, 20 April, 2024
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सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार सात दिन की सीबीआई हिरासत में

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विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने अपने खिलाफ एफआईआर को दी हाईकोर्ट में चुनौती, 29 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक नहीं होगी कोई कार्रवाई.

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों का झगड़ा अब तमाशे में तब्दील हो गया है. सीबीआई के विशेष निदेशक व पदानुक्रम में नंबर दो के अधिकारी राकेश अस्थाना ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

अस्थाना ने ने मंगलवार को खुद पर लगे रिश्वत के आरोप मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत और एफआईआर को निरस्त करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण ली.

दूसरी ओर, सीबीआई के उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार को सात दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया है. उन्हें सोमवार को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. मंगलवार सुबह उन्होंने खुद की गिरफ्तारी को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

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अस्थाना और कुमार की याचिकाओं पर सुनवाई 

एफआईआर निरस्त करने को लेकर अदालत की ओर से निर्देश देने की मांग करने वाली अस्थाना और कुमार की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई की.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीआई ​के निदेशक को राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब अगली सुनवाई (29 अक्टूबर) पर देना है. तब तक अस्थाना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के फोन, लैपटॉप आदि में एकत्र सभी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को संभाल कर रखा जाए.

राकेश अस्थाना की ओर से वकील ने कोर्ट से कहा, ‘सीबीआई के विशेष निदेशक के​ खिलाफ एक आरोपी के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है जो कि अवैध है.’ उन्होंने कहा, ‘यह मामला बेहद आकस्मिक है. जिस आदमी को अस्थाना की सिफारिश पर गिरफ्तार किया गया था, उसे अब शिकायतकर्ता बना दिया गया है और उसकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है. बिना समुचित अनुमति के कोई भी जांच अवैध होगी.’


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हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा, ‘आरोपी के खिलाफ रिश्वतखोरी समेत बेहद गंभीर आरोप हैं. भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आपराधिक षडयंत्र के तहत आरोप हैं. इसमें उगाही और दस्तावेज से छेड़छाड़ भी जोड़ा जाएगा.’

देवेंद्र कुमार ने कहा उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा

उधर, डीएसपी देवेंद्र कुमार ने अपनी याचिका में अदालत से मामले के संबंध में दस्तावेज मंगवाने का आग्रह किया है.

उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा कि मामले की जांच में उनका जबरदस्त रिकॉर्ड होने के बावजूद उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें फर्जी, तुच्छ और बाद में सोच समझकर मामले में फंसाया गया है.

उन्होंने खुद के विरुद्ध एफआईआर को मामले में अचंभित करने वाली स्थिति बताया और खुद के विरुद्ध शिकायत को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया.


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सीबीआई ने सोमवार को कुमार को अस्थाना के विरुद्ध घूस मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया था. सीबीआई के अनुसार, धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे मांस व्यापारी मोइन कुरैशी ने खुद पर चल रहे मामले को निपटाने के लिए उन्हें घूस दी थी.

जांच में घूस और झूठ

सीबीआई के अनुसार, कुमार ने कुरैशी मामले में एक गवाह सतीश साना के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि उसने बयान दिल्ली में 26 सितंबर 2018 को दर्ज कराया था. हालांकि जांच से यह खुलासा हुआ कि साना दिल्ली में उस दिन था ही नहीं. उस दिन वह हैदराबाद में था और 1 अक्टृूबर 2018 को वह जांच में शामिल हुआ था.


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एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई.

गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर एक व्यापारी से दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप है, जो कुरैशी मामले में जांच को ‘नुकसान’ पहुंचाने के तहत जांच के घेरे में है. इस मामले की जांच अस्थाना की अगुवाई में गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही थी.

मोदी द्वारा चुने गए सीबीआई अधिकारी रंगे हाथों पकड़े गए: येचुरी

नई दिल्ली: मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला. येचुरी ने कहा कि मोदी द्वारा विशेष तौर पर चुने गए सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना रंगे हाथों पकड़े गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘अधिकारी (अस्थाना) को भाजपा ने संरक्षण दिया और मोदी ने इन्हें विशेष तौर पर चुना. सीबीआई में अस्थाना के विरोध के बावजूद उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया. ऐसा भाजपा नेताओं के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को रफा-दफा करने के लिए किया गया.’

माकपा महासचिव ने ट्वीट कर कहा, ‘वह (अस्थाना) अब रंगे हाथों पकड़े गए हैं.’

येचुरी ने कहा, “इस अधिकारी (अस्थाना) के करियर में उन पर किसका हाथ था? निदेशक के सख्त विरोध के बावजूद उन्हें सीबीआई में क्यों लाया गया? अगर यह अधिकारी जाली दस्तावेज बनाते व रिश्वत लेते पकड़ा गया तो क्या उसके राजनीतिक संरक्षक भाजपा से कड़े सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए.’

सरकार ने संदिग्ध अधिकारियों को नियुक्त किया

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के 2014 में सत्ता में आने के बाद अस्थाना को 2016 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में लाया गया और विशेष निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया.

गुजरात कैडर के अधिकारी ने 2002 के गोधरा कांड की जांच का संचालन किया. उस दौरान वह वडोदरा रेंज के पुलिस महानिदेशक थे.

अस्थाना के शीर्ष पद नियुक्ति को लेकर हो रही जोर-आजमाइश पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया.


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येचुरी ने कहा कि मोदी के शासनकाल में बहुत से संदिग्ध रिकॉर्ड वाले अधिकारियों को शीर्ष एजेंसियों में नियुक्त किया गया.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा सिर्फ खराब शासन की वजह से नहीं है, बल्कि विपक्ष को निशाना बनाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे और खुद को जांच से बचाने के लिए भी ऐसा किया गया.’

उन्होंने कहा, ‘आखिरकार यही एजेंसी भाजपा अध्यक्ष (अमित शाह) पर लगे गंभीर आरोपों की जांच कर रही है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि आखिर क्यों इन गंभीर मामलों में उन्हें क्लीन चिट दी गई.’

वाम नेता ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका देश के संस्थानों को नुकसान पहुंचाने व बर्बाद करने की है. सीबीआई ने 15 अक्टूबर को अस्थाना व कई अन्य के खिलाफ कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए प्राथमिकी दर्ज की.

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