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Thursday, 25 April, 2024
होमफीचर'बदलाव की राह' में जुटे हैं देश के युवा, किसी को गांव में खुलवाना है अस्पताल, किसी का शिक्षा पर है जोर

‘बदलाव की राह’ में जुटे हैं देश के युवा, किसी को गांव में खुलवाना है अस्पताल, किसी का शिक्षा पर है जोर

भारत में स्वामी विवेकानंद की जयंती, 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. ग्रामीण युवाओं को और अधिक जागरूक एवं सशक्त बनाने के लिए दिल्ली के जनपत में रूरल यूथ चेंजमेकर्स नामक एक प्रोग्राम आयोजित किया गया.

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नई दिल्ली: बिहार, औरंगाबाद के विनीत कुमार खुद अभी 21 साल के हैं लेकिन युवाओं को खुद के काम (एंटरप्रेन्योरशिप) के लिए सशक्त बनाने में जुटे हैं. विनीत अभी बी-टेक की पढ़ाई कर खुद तो कुछ अलग करना चाहते हैं साथ ही साथ वह अपने गांव एवं आसपास के युवाओं को भी खुद कैसे सक्षम बनें इसके लिए जागरूक करते हैं. वह जिले के स्कूलों एवं कॉलेजो में अपनी टीम के साथ जा-जाकर प्रोग्राम करते है और 18 से लेकर 30 साल के युवाओं को उन्हें क्या करना पसंद है और उनकी स्किल पर काम करने के लिए प्रेरित करते है.

दिप्रिंट से बात-चीत में विनीत ने बताया कि वो अपनी टीम के साथ स्कूलों, कॉलेजो में जाते है और जिन बच्चों के पास एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़े आईडियाज होते हैं या फिर वो अपने गांव और जिला के लोगों के लिए काम करना चाहते हैं उन्हें सलेक्ट करके एक ग्रुप बनाकर आगे बढ़ने में जुटे हुए हैं.

विनीत बताते हैं, ‘जो युवा हमारे साथ काम करना चाहते हैं हम उन्हें ट्रेनिंग भी देते हैं कि किस तरह वो अपने स्किल पर काम करके उसे और बेहतर बना सकते है एवं किस तरह गांव की समस्याओं का हल ढूंढा जाये. इसमें ऑनलाइन से जुड़े काम के साथ साथ सिलाई बिनाई या फिर कपड़ों से उत्पाद बना कर कुछ अलग करने वाली लड़कियां भी शामिल हैं. ‘

विनीत आगे बताते है, ‘हम इस ट्रेनिंग एवं एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम के लिए विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों से फंडिंग ढूंढ़ने का भी काम करते है. हमने अभी तक लगभग 80 से ज्यादा युवाओं को एम्पावर किया है और 530 से ज्यादा युवा हमारे साथ जुड़े हुए है.’

यूथ चेंजमेकर्स 

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भारतीय युवाओं को प्रोत्साहित करने एवं ग्रामीण युवाओं को और अधिक जागरूक एवं सशक्त बनाने के लिए दिल्ली में कनेक्टिंग ड्रीम्स फाउंडेशन ने अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक के सहयोग से नेशनल मीट फॉर रूरल यूथ चेंजमेकर्स 2023 का आयोजन किया. रूरल यूथ चेंजमेकर्स कार्यक्रम के तहत 11 राज्यों से 120 से अधिक ऐसे युवाओं ने भाग लिया. इन युवाओं में से ही बिहार के विनीत भी हैं जिससे हमने बातचीत की. बता दें कि इन युवाओं ने अपने क्षेत्र में चल रहे शिक्षा, नशा, असमानता जैसे कई मुद्दों पर काम किया है.

दिल्ली में आयोजित नेशनल मीट फॉर रूरल यूथ चेंजमेकर्स 2023 | फोटो: अलमिना खातून

आज देशभर में भारत में स्वामी विवेकानंद की जयंती, 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. भारतीय युवाओं को स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरित करने के लिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भारतीय युवाओं को समर्पित किया गया है.

विवेकानंद का संदेश है, ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये.’

स्वामी विवेकानंद ने एक समाज सुधारक के रूप में तो काम किया ही साथ ही उन्होंने हमेशा देश के युवाओं को प्रेरित किया और देश के विकास में युवाओं के सही उपयोग की बात की.

शिक्षा पर है जोर

बता दें कि भारत की 50% से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है और 65% से अधिक 35 वर्ष से कम आयु की है. भारत दुनिया की युवा आबादी में पांचवे स्थान पर है.

वहीं उत्तर प्रदेश के 17 वर्षीय अंशु नवंबर 2022 में रूरल यूथ चेंजमेकर्स प्रोग्राम से जुड़े और अब वो अलीगढ़ जिले में आने वाले अपने गांव सुजानपुर में शिक्षा की कमी को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं.

अंशु ने बताया कि ‘मेरे गांव में शिक्षा की बहुत कमी है. जो स्कूल है वो भी टूटे हुए है तो मैं और मेरी टीम मिलकर गांव के सर्वे करेंगे उसके बाद स्कूल ठीक कराने के लिए लोगों से बात करेंगे फंड इकठ्ठा करेंगे.

अंशु ने आगे बताया कि वो रूरल यूथ चेंजमेकर्स प्रोग्राम से जुड़ने से पहले उत्तरप्रदेश युवा समता मंच से जुड़े रहे है जहां उन्होंने विभिन्न समस्याओं पर राज्य स्तर पर भी काम किया लेकिन अब वो सिर्फ अपने गांव से जुड़ी समस्याओं पर काम करना चाहते है. इसलिए वो और उनकी टीम सुजानपुर की जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को जान रहे है और इस पर काम रहे है.

कनेक्टिंग ड्रीम्स फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अमित टुटेजा ने दिप्रिंट से बातचीत में बताया कि ‘देश के अलग-अलग राज्यों से युवाओं को सेलेक्ट करते हैं जिसके बाद उन्हें छह महीने से एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें उन्हें बहुत ही स्ट्रक्चर्ड तरीके से सिखाया जाता है कि वह किस तरह अपने गांव की समस्याओं का समाधान कर सकते है.’

अमित ने बताया कि यह कार्यक्रम 5 से 9 जनवरी तक चलेगा जिसमें 55 गांवों से आए 120 युवाओं को अलग-अलग एक्सपर्ट्स, द्वारा ट्रेनिंग देने के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा भी की जाएगी.’

अमित ने बातचीत में आगे बताया कि पहले इस प्रोग्राम का हिस्सा केवल पांच राज्य थे जो अब बढ़कर ग्यारह हो चुके हैं. उनका कहना है कि वह जैसे-जैसे आगे बढ़ते जायेंगे और राज्यों को भी इसमें जोड़ते जायेंगे ताकि यह प्रोग्राम एक मूवमेंट बन सके और गांवों एवं ग्रामीण युवाओं का विकास हो सके.


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युवाओं के लिए खेल भी महत्वपूर्ण

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय में सचिव, श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी (आईएएस) ने इन चेंजमेकर्स युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम युवाओं को खेल एवं फिटनेस के लिए प्रेरित करके भी उनमें बदलाव ला सकते है. युवाओं को खेल के प्रति प्रोत्साहित करके ड्रग्स जैसी नशाखोरी से बचने में भी मदद मिल सकती है.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘जब हम कोई भी बदलाव लाने के लिए काम करते हैं तो हमारे सामने बहुत सारी मुश्किलें, बाधाएं आती है लेकिन हमें खुद पर यकीन रखना चाहिए कि हम इन मुश्किलों पर विजय भी पा सकते है.’

रूरल यूथ चेंजमेकर्स का यह प्रोग्राम सत्याग्रह मंडप गांधी दर्शन जनपथ में आयोजित किया गया था इसलिए मुख्य अतिथि सुजाता चतुर्वेदी ने सभी युवाओं को गांधी के जीवन को पढ़नें और उनसे सीखने की सलाह भी दी.

बदलाव की राह

राजस्थान से कार्यक्रम में आई फ़िज़ा बानो बताती हैं कि इस प्रोग्राम में उन्होंने टीम वर्क के महत्त्व को समझा. फ़िज़ा कहती हैं ‘एक इंसान अकेले चीज़े नहीं बदल सकता है, बदलाव लाने के लिए साथ में काम करना बहुत जरूरी है.’

इतिहास और उर्दू में ग्रैजुएशन कर रहीं फ़िज़ा अपने गांव के स्कूल में बच्चों को उर्दू पढ़ाने के साथ-साथ जयपुर जिले में आने वाले अपने गांव लुनियावास के लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक करने का काम भी करती है.

फ़िज़ा अपनी टीम के साथ मिलकर गांव में एक ऐसा अस्पताल बनवाना चाहती है जहां सभी महिलाएं अपने रोगों के बारे में खुलकर बता सकें और इलाज करा सकें.

रूरल यूथ चेंजमेकर्स प्रोग्राम में 13 से लेकर 20 साल तक के युवा शामिल हैं. इन 150 चेंजमेकर्स में 62 लड़कियां है तो वहीं 88 लड़के शामिल हैं. इसमें राजस्थान, कश्मीर, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़ राज्यों के युवा शामिल हैं.
भारत के 55 गांवों से आए इन युवाओं ने अपने गांव से जुड़ी मूल समस्या को बताते हुए ये बताया कि किस तरह वो इन समस्याओं का हल ढूंढ़ते हैं और अपने गांव के लिए काम करते हैं.

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यही है कि देश के युवा देश का भविष्य हैं इसलिए उनको मज़बूत करना एवं भविष्य के लिए तैयार करना बहुत जरूरी है. प्रोग्राम में युवाओं को विशेष रूप से अपने देश के लोगों के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया गया, जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है- ‘बस वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं.’


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