नई दिल्ली: जब मोहित दिल्ली मेट्रो में अपने ग्रे ट्रैकसूट में टूथब्रश पकड़े, बिखरे बालों के साथ एंट्री कर रहे थे तब तक सब कुछ आम दिनों जैसा ही लग रहा था लेकिन अचानक उन्होंने दांतों को ब्रश करना शुरू दिया और उनका दोस्त इसे रिकॉर्ड करने लगा. यह देखकर मेट्रो में बैठे यात्री उन्हें ये सब करता देख चौंक गए और उस बॉगी में बैठे सभी लोगों की नजर उनकी तरफ थी. कुछ हंसने लगे तो कुछ खिलखिलाने लगे तो कुछ आश्चर्यचकित रह गए.
जब मोहित गोहर ने क्लिप इंस्टाग्राम पर अपलोड की तो इस रील पर 13 लाख व्यूज और 81,000 लाइक्स मिले.
मेट्रो रीलों के लिए ऐसा प्यार डीएमआरसी के लिए कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने हाल ही में मेट्रो में “रील, डांस वीडियो और ऐसी किसी भी गतिविधि की रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे यात्रियों को असुविधा होने की संभावना सकती है”.
डीएमआरसी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर पोस्ट किया, ‘पैसेंजर बनें, परेशानी नहीं.’ एक और पोस्ट में लिखा है, ‘मेट्रो में ट्रैवल करें, ट्रबल नहीं.’
एक समय था जब डीएमआरसी ट्रेन के आगे कूदने वाले लोगों से जूझ रही थी. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 और 2018 के बीच आत्महत्या से 83 लोगों की मौत हुई है. अब चलती मेट्रो में रील्स बनाना एक नई समस्या बन गई है. डीएमआरसी का कहना है कि उसने यात्रियों के हित में यह फैसला किया है.
डीएमआरसी के कॉर्पोरेट संचार प्रमुख अनुज दयाल कहते हैं, ‘मेट्रो में यात्रा करने वाले लोगों को ऐसे वीडियो से परेशानी हो रही थी. डीएमआरसी की प्राथमिकता [यह सुनिश्चित करने के लिए] है कि यात्रियों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े. इस प्रतिबंध का मकसद भी वही है.’
न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने एक दशक पहले मेट्रो डांसर्स पर इसी तरह का लड़ाई छेड़ी थी, और वह टिकटॉक के लोकप्रिय होने से पहले था. आज, रीलों ने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर ट्रांज़िट सिस्टम बना दिया है – चाहे वह लंदन अंडरग्राउंड हो या न्यूयॉर्क सबवे – नाचने वाले और कंटेट क्रिएटर्स के लिए यह आकर्षण का केंद्र है.
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मिक्स रिएक्शन
डीएमआरसी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर यात्रियों की मिश्रित रिएक्शंस हैं. 28 साल की सोनिया शर्मा गुड़गांव की एक प्राइवेट कॉर्पोरेट फर्म में काम करती हैं. जो हर दिन मेट्रो से सुभाष नगर से हुडा सिटी सेंटर जाती हैं, वो बताती हैं कि ऐसे दिन थे जब ‘इन सब चीजों से उन्हें दिक्कत होती थी. लेकिन अब जब उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तो उन्हें उनकी कमी खल रही है. वह कहती हैं, ”दिन भर की थकान के बाद भीड़भाड़ वाली मेट्रो में गाने सुनकर मुझे खुशी होती थी.” अब वह अपने फोन पर मेट्रो रील्स देखने का लुत्फ उठाती है.
इस बीच, कुछ लोग सोचते हैं कि मेट्रो में रील बनाने वाले कंटेंट क्रिएटर्स काम पर एक लंबे दिन के बाद एक शोर करते हैं. हर रोज द्वारका से मंडी हाउस आने-जाने वाले 28 साल के राहुल कुमार इस पाबंदी से खुश हैं. वह कहते हैं, “लोगों का एक समूह गाता और नाचता था. लेकिन मेट्रो यात्रा के लिए है. नाचने और गाने के लिए और भी जगहें हैं. उन्हें वहां जाना चाहिए और यह सब करना चाहिए.”
क्रिएटर्स के लिए गो-टू स्पॉट
भीड़, खुली नालियों, और अतिक्रमण वाले फुटपाथों से भरे शहर में, जहां नदी गंदी है और हवा रुक जाती है, ऐसे शहर में मेट्रो एक स्वर्ग है. इसके साफ-सुथरे स्टेशन, रास्ते और कोच इसे नई पृष्ठभूमि की तलाश में रील के आदी लोगों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं.
ट्रेन के अंदर या स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर शूट किए गए हजारों वीडियो के साथ इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक की भरमार है. यहां पर फिल्माए गए डांस हिट रहे हैं; संगीत या कविता की पृष्ठभूमि में स्टेशन में प्रवेश करने वाली ट्रेनों की क्लिप समान रूप से लोकप्रिय हैं.
दिल्ली मेट्रो क्रिएटर्स को स्कूली बच्चों से लेकर कपल्स और वरिष्ठ नागरिकों तक अपने दर्शकों के साथ बातचीत करने की अनुमति देती है.
एक कंटेट क्रिएटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘आउटडोर में रील बनाने वाले कंटेंट क्रिएटर्स अक्सर लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ अलग खोजते हैं. पार्क और सड़कें पुरानी हो गई हैं. मेट्रो में विदेशी देशों जैसी अनुभूति होती है, और जनता की प्रतिक्रियाएं भी दिखाई देती हैं.’
10 मार्च को अपलोड की गई एक वायरल रील में एक युवा मां को अपने बच्चे को गोद में लिए हुए दिखाया गया है. वह बताती है कि यह कार्य कितना कठिन है – रील शूट करने के लिए कोच के फर्श पर बैठकर बच्चे का मनोरंजन करने की कोशिश करना. कैमरा यात्रियों की प्रतिक्रियाओं को भी कैप्चर करता है, जिनमें से अधिकांश तो उदास दिखते हैं लेकिन कुछ को ये देखने में बहुत मजा आता है और कुछ बहुत ही ध्यान से लेकिन दूर से देखते हैं.
एक अन्य रील में, लड़कों का एक समूह एक भीड़ भरे कोच में ‘श्री राम जानकी, बैठे हैं मेरे सीने में’ भजन को फिल्माता हुआ नजर आ रहा है.
राजीव चौक पर काम करने वाली क्रेडिट कार्ड सेल्स एग्जीक्यूटिव रजनी चौधरी उन लोगों की पहचान कर सकती हैं जो मेट्रो का इस्तेमाल सिर्फ रील बनाने के लिए करते हैं.
वो कहती हैं, ‘मैं अक्सर युवाओं के समूहों को सबसे सस्ता टोकन लेने और रील बनाने के बारे में बात करते हुए देखती और सुनती हूं.’ प्रतिबंध के बाद से उन्हें मेट्रो के कुछ ही कंटेंट क्रिएटर्स से मिल रही हैं.
वो कहती हैं, ‘लेकिन यह पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. कुछ लोग स्टेशन पर तब तक नाचते हैं जब तक कि सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के लोग उन्हें वहां से भगा नहीं देते.’
बहुत सारे नियम?
शुक्रवार की शाम को राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर दो आदमी भीड़ से अलग हो जाते हैं. जैसे ही वे एक बिलबोर्ड की ओर बढ़ते हैं, वे गार्ड और सुरक्षा कर्मियों के लिए स्टेशन को जल्दी से स्कैन करते हैं.
एक आदमी अपना फोन निकालता है और अपने दोस्त का वीडियो बनाना शुरू करता है जो बिलबोर्ड के सामने चलता है, उसके बाएं कंधे पर एक जैकेट लटकी हुई है. वह एक नायक की तरह आत्मविश्वास से लबरेज होकर स्टेशन पर चलता है.
इस वीडियो को शूट कर रहा कैमरामैन कहता है, ‘इतने सारे मेट्रो स्टेशन हैं, और यह एक छोटा वीडियो था. मुझे नहीं लगता कि यह किसी के लिए कोई समस्या है.’ कैमरामैन कहते हैं, ‘इतना रूल्स फॉलो करेंगे तो कैसे जिएंगे’.
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