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Sunday, 17 November, 2024
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पारंपरिक धारणाओं को तोड़ते हुए केरल के ट्रांसजेंडर कपल ने दिया बच्चे को जन्म

केरल में ज़हद और ज़िया इस हफ्ते बायोलॉजिकल तरीके से बच्चे को जन्म देने वाले भारत के पहले ट्रांसजेंडर युगल बन गए हैं, लेकिन इस खुशी के पहले दिल टूटना और संघर्ष भी शामिल थे.

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नई दिल्लीः अपने लिटरेसी रेट के लिए मशहूर राज्य केरल ने फिर एक बार मिसाल कायम की है. यहां के एक जिले कोझिकोड में सरकारी अस्पताल में ज़हद ने सीज़ेरियन सेक्शन के माध्यम से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

ज़िया पावल हमेशा से मां बनना चाहती थीं और उनके पार्टनर ज़हद फाजिल हमेशा से पिता बनना चाहते थे. इसलिए, जब वे गर्भवती हुए, तो दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था. दोनों ने गर्भावस्था, पितृत्व और परिवार के बारे में पारंपरिक धारणाओं को भी तोड़ा है. कथित तौर पर देश का यह अपनी तरह का पहला मामला है.

ज़िया और जहद की कहानी अन्य ट्रांसजेंडर्स से अलग इसलिए है क्योंकि, ज़िया ने एक लड़के के रूप में जन्म लिया, जबकि 23-वर्षीय ज़हद बचपन से लड़की थे और उनकी इच्छा पुरुष बनने की थी. उन्होंने ही बच्चे को जन्म देने की जिम्मेदारी चुनी, जबकि ज़िया मां की तरह बच्चे की देखभाल करेंगी.

पेशे से डांस टीचर 21-वर्षीय ज़िया ने कहा, “मैं एक महिला के रूप में पैदा नहीं हुई थी, लेकिन मेरे अंदर हमेशा एक महिला बनने की चाह थी, कि एक बच्चा मुझे मां बुलाए और जिस तरह मैंने मां बनने का सपना देखा था, ज़हद ने पिता बनने का सपना देखा था.”

इस बुधवार, ज़िया और ज़हद ने बायोलॉजिकल पैरेंट्स बनकर भारत के पहले ट्रांसजेंडर जोड़े के रूप में इतिहास रच दिया.

हालांकि, ट्रांसजेंडर जोड़ी ने शुरुआत में बच्चा गोद लेने की योजना बनाई थी, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के कारण इस योजना को छोड़ दिया. जोड़ी को यह भी डर था कि बड़ा होने के बाद बच्चा उन्हें छोड़ कर चला जाएगा. इसलिए उन्होंने बायोलॉजिकल पैरेंट्स बनने की योजना बनाई.

हालांकि, इससे बहुत पहले ज़िया ने ब्रेस्ट इम्प्लांट करवा लिया था और उधर ज़हद ने भी ब्रेस्ट हटाने की सर्जरी करवाई थी, लेकिन ज़हद के अंडाशय और गर्भाशय नहीं हटाए गए थे, क्योंकि उनकी टेस्टोस्टीरोन हार्मोनल थेरेपी चल रही थी, जबकि ज़िया का अपने पसंद के जेंडर के लिए हार्मोन थेरेपी का इलाज चल रहा था. जब उन्हें बता लगा कि वे माता-पिता बन सकते हैं तो, उन्होंने इलाज रोक दिया ताकि वे पारंपारिक रूप से एक बच्चे को जन्म दे सकें.

ट्रांसजेंडर जोड़ी ने हालांकि, बच्चे का जेंडर यह कहते हुए दुनिया से छिपाया है कि जब वे बड़ा होगा खुद तय करेगा कि उसे क्या जेंडर चुनना है.

जब दिप्रिंट ने शुक्रवार को ज़िया से फोन पर बात की तो बैकग्राउंड में नवजात शिशु के रोने की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं.

नई नवेली मां का कहना था कि वो न केवल अपने परिवार के लिए खुश हैं बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उम्मीदों की किरण देख रही हैं.

उन्होंने कहा, “ट्रांसजेंडर समुदाय समाज के डर में जीता है. ऐसे कई ट्रांस पुरुष या ट्रांस महिलाएं हो सकती हैं जो हमारी तरह माता-पिता बनना चाहते हैं, लेकिन उनमें आगे बढ़ने का साहस नहीं है क्योंकि उन्हें अपमान और का डर है.”

जब कपल की दोस्त और टीवी स्टार दीया सना ने सोशल मीडिया पर बच्चे के जन्म की खबर दी, तो यह तेज़ी से वायरल होने लगी, जिसमें केरल के सामाजिक न्याय मंत्री आर. बिंदू समेत सोशल मीडिया पर बधाई देने वालों की झड़ी लग गई.

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी कपल को शुभकामनाएं देने के लिए फोन किया और वादा किया कि जब वह अगली बार कोझिकोड आएंगी तो उनसे मिलेंगी. एक बयान में, मंत्री के कार्यालय ने कहा कि ज़हद और बच्चे दोनों के इलाज के लिए मुफ्त में सभी सुविधाएं मुहैया कराईं गईं थीं.

मंत्री ने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में IMCH (मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संस्थान) के अधीक्षक से भी बात की और उन्हें सतर्क रहने और दोनों को मुफ्त में सभी ज़रूरी सेवाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

ज़िया ने कहा, “हमें सरकार से पर्याप्त समर्थन मिला है. हमें किसी और चीज़ की ज़रूरत नहीं है.”

हालांकि, इन खुशनुमा पलों के बीच भी, कपल ने अपने ही परिवारों से अस्वीकृति और बहिष्कार झेला है. दोनों ने जीवन में कई बाधाओं का सामना किया है, क्योंकि वो अपनी मर्ज़ी से अपने जेंडर चुनना चाहते थे.

ज़िया की मुंह बोली मां दीपा रानी ने दिप्रिंट से कहा, “हमें अस्पताल में सभी डॉक्टरों, नर्सों और सुरक्षा कर्मचारियों से विशेष देखभाल मिली. मैं सबसे बड़ा धन्यवाद कोझिकोड मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को करना चाहती हूं, उन्होंने हमारी बहुत मदद की है”

उन्होंने बताया कि एक डोनर बैंक से बच्चे के लिए मां के स्तन के दूध का इंतेज़ाम किया गया था.


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घर छोड़ने के बाद मिला दूसरा परिवार

मेकअप आर्टिस्ट और अभिनेत्री दीपा रानी इन दिनों लगातार मल्टी-टास्किंग कर रही है. दिप्रिंट से बातचीत के दौरान, वे नए माता-पिता को खाना देने के लिए भी दौड़ रही थीं.

ट्रांस महिला दीपा रानी ने ही घर छोड़ने के बाद ज़िया की देखभाल की है. उन्होंने बताया कि ज़िया बीते 5 साल से मेरी बेटी और ज़हद 3 साल से मेरा दामाद है.

ज़हद के गर्भवती होने के समय से ही, दीपा परिवार की देखरेख कर रही हैं. बच्चे या माता-पिता के बारे में अपडेट जानने के लिए वो ही सबसे सटीक व्यक्ति हैं.

ज़हद | फेसबुक/दीपा रानी

यह पूछे जाने पर कि क्या ज़िया के असल माता-पिता ने उनका साथ दिया, दीपा ने कहा, ”वो मौजूद नहीं थे. मैंने उसे पाला-पोसा है. अपनी असल पहचान हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष के बाद जब ज़िया ने अपना घर छोड़ दिया तो मैंने उसकी देखभाल की है. मैं ही थी, जिसने उसे स्वीकार किया.”

दोनों को अपने परिवारों को अपने जेंडर और असल पहचान बताने के बाद बहुत संघर्ष करना पड़ा. अपनी मोहब्बत को पाने के लिए दोनों ने ही अपना घर छोड़ दिया था.

दीपा ने कहा, “ज़िया का जीवन बहुत मुश्किल रहा है. वो आठ भाई-बहनों में सबसे छोटी है. उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया. लोग उन्हें उनके फेमिनिन लुक के लिए चिढ़ाते थे. उसने सब कुछ सहा, लेकिन आखिरकार उसने घर छोड़ने का फैसला किया और कोझिकोड में ट्रांस लोगों के लिए एक आश्रय गृह में आ गई, जहां मैं उससे मिली. ज़हद भी इसी तरह की स्थिति में था.”

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ज़िया ने कहा, “मैं एक रुढ़िवादी मुसलमान परिवार से हूं, जिन्होंने मुझे शास्त्रीय नृत्य सीखने की इजाज़त कभी नहीं दी. वो यहां तक पुराने ख़्याल के थे कि उन्होंने मेरे बाल काट दिए ताकि मैं डांस न कर पाऊं. एक यूथ फ़ेस्टिवल था जिसमें मैं शामिल होने गई थी, वहां से फिर कभी घर नहीं लौटी.”

ट्रांस जोड़ी की दोस्त सना, जो खुद को उनकी “बहन” कहती हैं. बिग बॉस मलयालम के पहले सीज़न में एक प्रतियोगी रही हैं. बीते 13 साल से LGBTQI समुदाय के साथ काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा, “मैं ज़िया को पिछले 4 साल से जानती हूं और ज़हद को दो साल से. मुझे खुद एक ट्रांसजेंडर ने गोद लिया है और इसलिए जिया मेरी बहन है.”

सना ने बताया, ”ज़िया के माता और पिता उनका साथ नहीं दे रहे हैं, भले ही वह बच्चा उनका भी खून है, लेकिन उनके साथ बस दीपा मां हैं.”

भारत के पहले ट्रांस पायलट 23-वर्षीय एडम हैरी ने दिप्रिंट को बताया, ”तिरुवनंतपुरम से आने वाले ज़हद भी ट्रांस के रूप में बाहर आने के बाद अपने परिवार से अलग हो गए थे, लेकिन गर्भवती होने के बाद उनकी मां और बहन उनका साथ दे रही हैं.”

इंस्टाग्राम/@pilotadamharry

हैरी ने कहा, “ज़िया डांस टीचर के रूप में काम करके अपनी जीविका चला रही हैं और ज़हद एक सुपरमार्केट में अकाउंटेंट हैं.”

प्यार और परिवार 

दीपा ने बताया कि ज़िया और ज़हद करीब तीन साल पहले एक सामुदायिक समारोह में मिले थे. वो हाल ही में नौकरी के सिलसिले में कोझिकोड आया था. दोनों एक-दूसरे के करीब आने लगे. दोनों अपने परिवारों से अलग रह रहे थे और बदलाव की प्रक्रिया में थे, उन्हें मोहब्बत होने में ज्यादा समय नहीं लगा.

हैरी ने बताया कि जिस समय वे दोनों मिले थे, ज़िया ने पहले ही ब्रेस्ट इंप्लांट करवा लिया था और ज़हद ने पांच साल पहले मास्टेक्टॉमी करवाई थी. हालांकि, ज़हद के अंडाशय और गर्भाशय अभी भी शरीर में थे, जिसका मतलब था कि बच्चा पैदा करने के लिए अभी भी रास्ते खुले थे.

बता दें कि ज़हद को डायबिटीज़ की समस्या के कारण इस बच्चे का जन्म डिलीवरी डेट (4 मार्च) से एक महीने पहले हो गया.

8 फरवरी को ज़िया ने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा, “माशाअल्लाह…सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सिजेरियन के जरिए बच्चे का जन्म सुबह 9.30 बजे के आसपास हुआ.”

दीपा रानी ने कहा, “पिता और बच्चा दोनों ठीक हैं और कुछ दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी.”

मां और बच्चा | इंस्टाग्राम/@paval19

एडम हैरी ने कहा कि उन्हें इतनी खुशी पहले कभी नहीं हुई थी. बच्चे के जन्म के तुरंत बाद एक उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, “बच्चा आया…ज़हद और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. ज़िया बाहर उत्साह से इंतज़ार कर रही हैं.”

उन्होंने कहा,जब बच्चा बड़ा होगा तो नवजात शिशु के लिंग का खुलासा होगा.

उन्होंने कहा, “एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है. लड़की या लड़का नहीं होता…आखिरकार हम कौन होते हैं उनके लिंग को मानने वाले. उन्हें बड़ा होने दीजिए और अपनी पहचान तलाशने दीजिए.”

ट्रांस जेंडर एक्टिविस्ट शीतल श्याम ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर ट्रांस जोड़ी की तस्वीरें शेयर कीं.

‘पिता से कम भी नहीं’

हैरी ने कहा, पांरपरिक रूप से बच्चा पैदा करने का फैसला ज़हद के लिए आसान नहीं था. उन्होंने एक पुरुष के रूप में अपनी लैंगिक पहचान को ज़ाहिर करने के लिए बहुत संघर्ष किया था, लेकिन बच्चे को पालने और जन्म देने को सर्वोत्कृष्ट रूप से महिला के रूप में देखा जाता है. हालांकि, उसकी घबराहट ने अंततः उत्साह का रूप ले लिया.

उन्होंने आगे कहा, हालांकि, नेचुरल तरीके से बच्चा पैदा करना गोद लने से ज्यादा आसान था.

जबकि ‘तीसरे लिंग’ को भारत में 2014 से आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है, ट्रांसजेंडर लोगों को अभी भी कानून में पूरी तरह से समायोजित नहीं किया गया है. इसके अलावा, भारत ने 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था, लेकिन समलैंगिक विवाह को अभी भी मान्यता नहीं मिली है. इसका गोद लेने पर भी प्रभाव पड़ता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, कानून यौन अभिविन्यास या लिंग के आधार पर गोद लेने पर रोक नहीं लगाता है, लेकिन किशोर न्याय अधिनियम के तहत, केवल एकल व्यक्ति या एक स्थिर वैवाहिक संबंध में जोड़े गोद ले सकते हैं. इससे लिव-इन कपल्स बाहर हैं.

यदि कोई LGBTQ व्यक्ति गोद लेना चाहता है, तो वे केवल एकल माता-पिता के रूप में केंद्रीय दत्तक ग्रहण समीक्षा प्राधिकरण (CARA) में आवेदन कर सकते हैं. कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाना LGBTQ जोड़ों के खिलाफ “भेदभाव” को समाप्त करने का एकमात्र तरीका है जो एक साथ बच्चा गोद लेना चाहते हैं.

दीपा ने कहा, “इस समाज में कई निःसंतान महिलाएं हैं, यह एक ऐसी दुनिया है, जहां लोग अपने ही बच्चों का गला घोंट देते हैं, लेकिन जब हमारा बच्चा हुआ तो काफी निगेटिव कमेंट और वीडियो सामने आए. हम हार नहीं मानेंगे. हम ट्रांस लोगों के लिए बच्चा गोद लेना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए हमने यह रास्ता चुना है. लेकिन अब और लोग आगे आएंगे. आइए एक नई और अच्छी पीढ़ी का इंतज़ार करते हैं.”

दीपा और हैरी दोनों ने यह भी माना कि कानून ही एकमात्र समस्या नहीं थी. कपल को अपनी गर्भावस्था के सार्वजनिक होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर शातिर ट्रांसफोबिक टिप्पणियों से भी जूझना पड़ा.

हैरी ने कहा, ”कई लोग उनके खिलाफ भद्दे कमेंट्स पोस्ट कर रहे हैं. किसी और की तरह, ट्रांस लोगों को प्यार करने, बच्चा पैदा करने और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है.”

उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक बच्चे को दुनिया में कैसे लाया गया. आईवीएफ और सरोगेसी अब आम बात हो गए हैं. सिर्फ इसलिए कि कोई और बच्चे को पालता है, एक मां किसी दूसरी मां से कम नहीं हो जाती है.”

हैरी ने कहा कि बच्चे की मां ज़िया है, क्योंकि उन दोनों ने यही फैसला किया था. उन्होंने कहा, “सिर्फ इसलिए कि ज़हद ने बच्चे को नौ महीने पाला है, इससे वह किसी पुरुष या पिता से कम नहीं हो जाते हैं.”

इस जोड़ी को उम्मीद है कि वे अपना सेक्स ट्रांज़िशन पूरा करने के बाद कानूनी रूप से शादी कर सकते हैं.


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‘सीख लेने लायक मिसाल’

इस बीच ट्रांसजेंडर समुदाय ने बच्चे के स्वागत को लेकर खुशी और उत्साह जताया है और कहा कि इस फैसले से दूसरों को भी हिम्मत मिलेगी.

चंडीगढ़ की एक ट्रांस एक्टिविस्ट विद्या राजपूत ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इस जोड़े ने माता-पिता बनने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा, ”यह (ट्रांस पुरुष द्वारा बच्चे को जन्म देने वाला मामला) पश्चिम में हुआ है, लेकिन अब यह भारत में हो रहा है. इस मिसाल के बाद बहुत सारे दूसरे ट्रांस और गे कपल इसके लिए आगे आएंगे. यहां तक कि माता-पिता (ट्रांसजेंडर लोगों के) को भी अब इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि उनके बच्चे अपनी मर्ज़ी का जेंडर चुनने के बाद परिवार नहीं बढ़ा सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि 377 एक्ट और ट्रांसजेंडर एक्ट हमारे समुदाय के लिए एक वरदान है. हालांकि, इसमें कमियां हैं क्योंकि अदालतें अपडेट नहीं होती और इसे बढ़ाए जाने की ज़रूरत है, लेकिन यह अधिकारों को सुरक्षित रखता है और हमें भी सुरक्षा देता है.

विद्या ने कहा, “इस जोड़े के बाद, दूसरों को हिम्मत मिलेगी और लोग अब समझेंगे कि हमने प्यार करके और बच्चा पैदा करके कोई गुनाह नहीं किया. हमें प्यार करने और जीने का अधिकार है.”

ट्रांस जोड़ी ने बताया कि प्रेग्नेंसी के बारे में सुनने के बाद पैरेंट्स का रुख नर्म होने लगा था. ज़हद की मां के कहने पर दोनों ने बच्चे की खबर को दुनिया से छिपाकर रखा था.

ज़िया ने कहा, “पिछले हफ्ते उन्होंने महसूस किया कि अब इस ख़बर को सार्वजनिक करने का सही समय है.”

हालांकि, ज़िया और ज़हद को बताया गया है कि अपने पंसद के सेक्स (जेंडर) को पाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह लोग कानूनी तौर शादी कर सकते हैं.

(इस फ़ीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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