2 महीने पहले ही काजल की शादी हुई है. अब उनके ऊपर खाना बनाने से लेकर जॉइंट परिवार की ज़िम्मेदारियों का बोझ है. लेकिन इन सब के बीच एक सपना है जो काजल के भीतर सांस ले रहा है. यूपीएससी एग्ज़ाम देने का सपना. लेकिन मुश्किल ये है कि ज्यादातर ‘अच्छे’ यूपीएससी कोचिंग संस्थान करोल बाग में हैं जो काजल के घर से 2 घंटे की दूरी पर है. काजल दिल्ली के नजफगढ़ में रहती हैं.
23 वर्षीय काजल को जब ‘सस्ती यूपीएससी’ कोचिंग के बारे में पता चला तो उनके सपने में दोबारा जान आ गई. काजल अब अपने घर से ऑनलाइन बाक़ी ज़िम्मेदारियों के साथ और कम खर्चे के साथ इसे अटेंड कर सकती थीं.
यह किफायती, वैकल्पिक मोड भारत के स्टील फ्रेम की संरचना को मौलिक तौर से बदलने की क्षमता रखता है – यह छोटे कस्बों और गरीब परिवारों के बीच गहरे तक पहुंच रहा है और ज्यादा विविधता वाले टैलेंट पूल को ला रहा है. संख्या पहले से ही बढ़ रही है. सिविल सेवा 2021 परीक्षा के लिए रिकॉर्ड 11.52 लाख लोगों ने आवेदन किया था.
‘ऑफ़लाइन कोचिंग में लाखों रुपये खर्च होते हैं, और मुझे यकीन नहीं था कि मेरे ससुराल वाले मुझे पैसे देंगे या नहीं. लेकिन मेरे पास अपनी शादी से बचाए गए कुछ पैसे हैं और इसका इस्तेमाल ऑनलाइन यूपीएससी पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए कर सकती हूं,’ काजल कहती हैं, जो अगले महीने कक्षाएं शुरू करने की योजना बना रही हैं ताकि वह 2024 में परीक्षा दे सकें. वह लेक्चर्स के लिए अपने पति के लैपटॉप के इस्तेमाल की उम्मीद कर रही हैं.
पिछले दो वर्षों में, यूपीएससी वाला और स्टडीआईक्यू एजुकेशन जैसे एडटेक प्लेटफार्मों में ऑनलाइन यूपीएससी कक्षाओं में इजाफा हुआ है. वे महामारी के दौरान कठिन सबक को भुना रहे हैं, जब फिजिकल कक्षाओं की जगह वर्चुअल ट्यूटोरियल ने ले ली. इससे ज्यादा और क्या चाहिए कि पाठ्यक्रम संरचित, लचीले हैं, लाखों रुपये सस्ते हैं, और दिल्ली के यूपीएससी कोचिंग हब जैसे करोल बाग और मुखर्जी नगर में ईंट और मोर्टार कोचिंग संस्थानों की तुलना में अधिक सुविधाजनक हैं.
काजल जैसे हजारों युवा अभ्यर्थी, जिनके पास समय और पैसे की कमी है, उनके लिए ऑनलाइन प्रोग्राम उनके सपने बनाए हुए हैं. स्टडीआईक्यू और यूपीएससी वाला जैसे प्लेटफॉर्म 5,000 रुपये से 19,000 रुपये के बीच कहीं भी ऑनलाइन पाठ्यक्रम ऑफर कर रहे हैं.
यह फिजिकल कोचिंग संस्थानों से बहुत अलग हैं जहां एक फाउंडेशन कोर्स की लागत 1.5-1.6 लाख रुपये हो सकती है. यहां, छात्र सिर्फ चार Geneal Studies के पेपरों की तैयारी के लिए पैसा चुका रहे हैं. एक सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट (सीएसएटी), जो कि यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा है, 20,000-30,000 रुपये का है. ऊपर से, उन ऐस्पिरंट्स के लिए रहने का भारी खर्च जो दूसरे शहर या कस्बे से आते हैं, जिसका मतलब है कि साल का कुल 4-5 लाख रुपये का खर्च.
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एक ‘किफायती’ विकल्प
करोल बाग और मुखर्जी नगर की गलियां सफलता का वादा करने वाले कोचिंग संस्थानों के पोस्टर और होर्डिंग से अटी पड़ी हैं. लेकिन यूपीएससी के वर्चुअल कोर्सेज की एंट्री ने नियम बदल दिए हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि 3,000 करोड़ रुपये का फलता-फूलता उद्योग कई मायनों में गेम-चेंजर है. और वे छोटे शहरों और गांवों में संभावना वाले क्लाइंट तक पहुंच रहे हैं.
यह पाकिस्तान की सीमा के पास पंजाब के फाजिल्का की 23 वर्षीय आकृति के लिए एकदम सही विकल्प है. जिले के अधिकांश यूपीएससी के अभ्यर्थी चंडीगढ़ के कोचिंग संस्थानों में जाते हैं- यह विकल्प जो कि आकृति के लिए संभव नहीं था. इसके बजाय, उन्होंने जून 2022 में स्टडीआईक्यू में दाखिला लिया और अभी तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई है.
वह कहती हैं, ‘अध्ययन अधिक आरामदायक और प्रोडक्टिव है. ऑनलाइन कोचिंग के माध्यम से, मेरे पास सेल्फ स्टडी के लिए अधिक समय होता है,’ ‘अब मुझे घर के रोजमर्रा के काम जैसे कपड़े धोना, बर्तन धोना या अपनी अलमीरा सेट करने की चिंता नहीं करनी पड़ती.’
स्टडीआईक्यू और यूपीएससी वाला ने अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के दम पर अपनी प्रतिष्ठा बनाई है. पुराने, स्थापित ब्रांड जो केवल फिजिकल (भौतिक रूप से) कक्षाओं की पेशकश करते थे, उन्होंने भी ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित करना शुरू कर दिया है. मिसाल के तौर पर केरल स्थित फॉर्च्यून आईएएस ने ई-लर्निंग फाउंडेशन कोर्स लॉन्च किया है.
यू-ट्यूब पर यूपीएससी इन्फ्लुएंसर्स की संख्या में वृद्धि के साथ, सिविल सेवाओं की हाथ न आने वाली (मायावी) खोज अब कुछ चुनिंदा लोगों की विशेष जुनूनी प्रोजेक्ट नहीं रह गई है. कोई भी इसमें अपना हाथ आज़मा सकता है
मेरठ में, 22 वर्षीय प्रियंका के पिता – एक इलेक्ट्रीशियन – एक पारंपरिक यूपीएससी प्रशिक्षण संस्थान ज्वाइन कराने के लिए उसे दिल्ली भेजने का खर्च नहीं उठा सकते थे. लेकिन वह उसे हतोत्साहित नहीं करना चाहते थे. स्टडीआईक्यू पर एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम एक सुखद जरिया था. हर दिन, प्रियंका लाइव ऑनलाइन सत्र के लिए लॉग इन करती हैं, और प्रशिक्षकों के साथ अपनी दुविधाएं दूर करती हैं.
स्टडीआईक्यू के सह-संस्थापक और एमडी मोहित जिंदल ने कहा, ‘इन ऑनलाइन कोचिंग कक्षाओं में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र टीयर 2 और टीयर 3 शहरों से हैं.’
यदि महामारी ने स्कूलों, कोचिंग क्लासेस और कॉलेजों को वर्चुअल कक्षाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया, तो इसने बिना किसी भौगोलिक सीमा के छात्रों को सीखने की क्षमता भी दिखाई.
राजस्थान से दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर शिफ्ट हुए आशीष कहते हैं, ‘2010 में जब मैं यूपीएससी की तैयारी कर रहा था तब यह सब नहीं था.’ उन्होंने एक दशक पहले 70,000 रुपये से अधिक अकेले कोचिंग फीस पर खर्च किए थे.
‘यह एक बहुत बड़ा बोझ था क्योंकि मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मुझे याद है कि हर महीने के अंत में अपने परिवार से पैसे मांगने में मुझे शर्म आती थी. मैंने अपने जीवन के 7 साल इस परीक्षा को दिए और उन 7 सालों में मैंने कोई नया कपड़ा नहीं खरीदा. मैं अध्ययन के अलावा कुछ भी करने में दोषी महसूस करता था,’ वे कहते हैं. आशीष कट नहीं कर सके और पुणे में एक कॉर्पोरेट नौकरी में हैं.
अधिकांश छात्रों के लिए, यूपीएससी परीक्षा पहले प्रयास में क्रैक नहीं की जा सकती है. यह एक मैराथन है जिसमें धैर्य, साहस और एक आसानी से उपलब्ध वित्तीय बफर की जरूरत होती है. केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोग ही वर्षों तक कोचिंग संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं.
आशीष के उलट, 27 वर्षीय राहुल के लिए बहुत देर नहीं हुई है, जो वाराणसी से ओल्ड राजिंदर नगर आए हैं. हर महीने उनके माता-पिता उन्हें 15,000 रुपये भेजते हैं, जिसमें से 8,000 रुपये किराए में चले जाते हैं. बढ़ते खर्चों को देखते हुए वह वाराणसी लौटने और ऑनलाइन कोर्स में दाखिला लेने पर विचार कर रहे हैं.
राहुल कहते हैं, ‘दिल्ली आने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि हमारे गृहनगर में कोई कोचिंग नहीं थी. अब ऑनलाइन कोचिंग उपलब्ध है. स्टडी मटेरियल ऑनलाइन या डाक से भी मंगाया जा सकता है. मैं घर वापस जाने की सोच रहा हूं. कम से कम मेरा परिवार इस तरह पैसे तो बचाएगा.’
‘मैं सोशल कनेक्शन मिस करता था. ऑफलाइन कोचिंग में हम सैकड़ों छात्रों के साथ क्लास लेते हैं. हम हर दिन अपने प्रतिस्पर्धियों को देखते हैं और यह हमें प्रेरित करता है,’ झारखंड के 29 वर्षीय उज्ज्वल कहते हैं, जो फिर से दिल्ली के करोल बाग में एक कोचिंग संस्थान ज्वाइन किए हैं.
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तवांग से त्रिपुरा तक
दूरस्थ शहरों में छात्रों पर नजर रखने के साथ, पारंपरिक कोचिंग संस्थान टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में भी फिजिकल केंद्र स्थापित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए बेहद लोकप्रिय खान स्टडी ग्रुप (केएसजी) छोटे शहरों और कस्बों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. यह दूरस्थ शिक्षा विकल्प भी देता है जहां छात्रों को पाठ्यक्रम सामग्री भेज दी जाती है.
‘केएसजी के जयपुर, भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में केंद्र हैं,’ शिक्षाविद् और विद्वान डॉ ए.आर. खान, जिन्होंने 2008 में केएसजी की स्थापना की थी और छात्रों के बीच ‘खान सर’ के नाम से लोकप्रिय हैं.
क्या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का प्रसार केएसजी जैसे पारंपरिक कोचिंग संस्थानों के लिए खात्मे की घंटी बनेगा या नहीं, इस पर कुछ नहीं कह सकते. यह निश्चित है कि किफायत वाले प्रतियोगी खेल के मैदान को समतल कर रहे हैं, जो एक बराबरी का समाधान बन गया है.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल स्वरूप कहते हैं, ‘वे टियर 2 टियर 3 शहरों के अभ्यर्थियों के लिए इस दौड़ का हिस्सा बनने की संभावना देखते हैं.’ ऐसा करने में, ये ऑनलाइन यूपीएससी कोचिंग सेंटर्स भारतीय नौकरशाही की अहम मशीनरी की रैंक और फ़ाइल में बदलावों को प्रभावित कर सकते हैं.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोचिंग की गुणवत्ता में सुधार करना है. स्टडीआईक्यू, जो 2015 में एक यूट्यूब चैनल के रूप में शुरू हुआ था, का कहना है कि यह अपने फैकल्टी में भारी निवेश करता है. इसके कई प्रशिक्षकों ने बड़े कोचिंग सेंटरों में पढ़ाया है और साक्षात्कार प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव भी रखते हैं. स्टडीआईक्यू ने यूट्यूब वीडियोज से लेकर ‘पेन ड्राइव में पाठ्यक्रम पोस्ट करना’ शुरू किया है.
वीडियो और अध्ययन सामग्री वाले पेन ड्राइव पूरे भारत में भेजे जाएंगे. आज, 25,000 से अधिक छात्र इसके पाठ्यक्रमों में कक्षाएं लेते हैं, जबकि इसके YouTube चैनल के 14 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं. ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान से हैं.
जिंदल कहते हैं, ‘हम अरुणाचल के तवांग में अपने पाठ्यक्रम ले गए हैं जहां डाक के माध्यम से पहुंचना मुश्किल है. हमारे पास नागालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में छात्र हैं.’
27 साल की नीलाद्रि रथ ओडिशा के एक पब्लिक स्कूल में हाई स्कूल के छात्रों को गणित पढ़ाते हैं. उन्होंने स्टडीआईक्यू की ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए यूपीएससी प्रीलिम्स 2022 को पास किया. ‘शुरुआत में, मैं पेन ड्राइव में उपलब्ध पाठ्यक्रमों का अध्ययन करता था. यहां 300-400 किमी के दायरे में कोई कोचिंग सेंटर नहीं है. आदिवासी क्षेत्रों में मेरे जैसे लोग इस तरह के मंच के लिए आभारी हैं,’ रथ कहते हैं, जिन्होंने दो बार ओडिशा पीएससी प्रीलिम्स क्लियर किया है और इस साल यूपीएससी प्रीलिम्स के साथ-साथ परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं.
स्टडीआईक्यू लाभदायक है और एमडी का कहना है कि वे छात्रों को आसान भुगतान विकल्प प्रदान करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं. जिंदल ने कहा, ‘19,000 रुपये का शुल्क आपके और मेरे लिए एक छोटी राशि हो सकती है, लेकिन किसी गांव में खेती करने वाले पिता के लिए यह एकमुश्त भुगतान करने के लिए बहुत अधिक है.’
यूपीएससी ऑनलाइन कोचिंग क्षेत्र में सबसे नए एंट्री करने वालों में से एक यूपीएससी वाला है, जो फिजिक्स वाला की एक शाखा है, जिसने खुद को एनईईटी (नीट) और जेईई के मार्केट में मजबूती से स्थापित किया है. अक्टूबर 2022 में इसने अपना ऑनलाइन यूपीएससी कोचिंग कोर्स लॉन्च किया.
फिजिक्स वाला के चीफ बिजनेश अधिकारी अंकित गुप्ता ने कहा, ‘पिछले सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार, हमारे यूपीएससी पाठ्यक्रमों में 41,000 हजार छात्र नामांकन लिए हैं.’ यह 12 महीने के फाउंडेशन कोर्स के लिए 7,000 रुपये चार्ज करता है. ‘यहां तक कि जिन छात्रों ने ऑफलाइन कोचिंग ज्वाइन की है, उन्होंने भी हमारे यहां दाखिला लिया है क्योंकि हमारा कोर्स सस्ता और बेहतर हैं.’
अधिकांश ई-प्लेटफॉर्म हिंदी, अंग्रेजी और यहां तक कि हिंग्लिश में पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं.
गुप्ता कहते हैं, ‘हमारे अधिकांश क्लाइंट्स भारत के उत्तर और पश्चिम से हैं. और अब, हमने दक्षिण भारत को लक्ष्य बनाकर अंग्रेजी पाठ्यक्रम भी शुरू किया है.’
इसका मतलब है कि काजल जैसे अधिक से अधिक छात्र अपने यूपीएससी के सपनों को साकार करने के लिए परेशानियों से बाहर निकलेंगे. काजल ने कहा, ‘इस नए विवाहित जीवन के साथ, चीजें मेरे लिए कठिन होंगी लेकिन मुझे खुशी है कि अब मेरे पास एक मौका है. ऐसी कई महिलाएं हैं जो पढ़ना चाहती हैं लेकिन पढ़ नहीं पातीं. इस तरह मैं एक मिसाल कायम करना चाहती हूं कि शादी अंत नहीं है. विकल्पों और प्रयासों से, आप अपने सपनों को एक मौका दे सकते हैं.’
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