नई दिल्लीः स्वदेश निर्मित एवं ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार मिसाइल विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरे विध्वंसक पोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया.
‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सेना में शामिल किए जाने के लिए मुंबई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ युद्धपोत डिजाइन करने और उसे विकसित करने में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है.
उन्होंने कहा कि भारत को स्वदेश निर्मित पोत का केंद्र बनाना लक्ष्य है. उन्होंने ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सबसे शक्तिशाली स्वदेशी युद्धपोतों में से एक और प्रौद्योगिकी आधार पर सबसे उन्नत युद्धपोत बताया.
उन्होंने कहा कि युद्धपोत को शामिल किए जाने से भारत की समुद्री ताकत मजबूत होगी और यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा.
सिंह ने कहा, ‘आईएनएस मोरमुगाओ प्रौद्योगिकी के रूप से दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइल पोतों में से एक है. इसके निर्माण में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और यह युद्धपोतों के डिजाइन एवं विकास में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है तथा स्वदेशी रक्षा उत्पादन में हमारी बढ़ती क्षमताओं का एक बेहतरीन उदाहरण है.’
उन्होंने कहा, ‘यह युद्धपोत हमारे देश के साथ-साथ दुनिया भर में हमारे मित्र देशों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा.’
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पोत का निर्माण बहुत गर्व की बात
सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ को शामिल करने के लिए नौसेना और एमडीएल की सराहना की और इसे इंजीनियर, तकनीशियन, डिजाइनर और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण एवं आकांक्षाओं का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि भारत के लिए इस पोत का निर्माण बहुत गर्व की बात है.
सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा करना नौसेना की प्रमुख जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर बढ़ते व्यापार से जुड़ी है, जिनमें से अधिकतर व्यापार समुद्री मार्गों से होता है. हमारे हित हिंद महासागर से सीधे तौर पर जुड़े हैं. इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश होने के कारण इसकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. यह देखकर खुशी होती है कि वे (नौसेना) अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं.’
सिंह ने अदम्य साहस और समर्पण के साथ सीमाओं और तटों की रक्षा करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की और उन्हें भारत के अभूतपूर्व विकास की रीढ़ बताया.
उन्होंने कहा, ‘भारत हर दिन सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहा है. अब हम दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं. निवेश कंपनी ‘मॉर्गन स्टैनली’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच साल में हम शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे.’
उन्होंने तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के कारण उत्पन्न होने वाली हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए देश को तैयार करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और कहा कि सैन्य अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार एवं उपकरण प्रदान करके सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करते रहना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
सिंह ने कहा, ‘वैश्वीकरण के इस युग में, लगभग सभी राष्ट्र व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे पर निर्भर हैं और इसी लिए दुनिया में स्थिरता एवं आर्थिक प्रगति के लिए नौवहन की नियम-आधारित स्वतंत्रता, समुद्री मार्गों की सुरक्षा आदि पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं.’
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने इस मौके पर कहा कि युद्धपोत को गोवा मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर नौसेना में शामिल किया जाना पिछले एक दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हुई बड़ी प्रगति की ओर इशारा करता है.
उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक सटीक उदाहरण है और भारत को वैश्विक पोत निर्माण केंद्र बनाने में मदद करने की नौसेना की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करता है.
उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत अपनी बहु-आयामी युद्धक क्षमता के साथ पश्चिमी बेड़े का हिस्सा बनेगा, जो भारतीय नौसेना की सबसे अहम शाखा है.
इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान और गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन भी उपस्थित रहे.
आईएनएस मोरमुगाओ ‘प्रोजेक्ट 15बी’ के तहत ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार विध्वंसकों में से दूसरा विध्वंसक है. इसका डिजाइन भारतीय नौसेना से संबद्ध संगठन वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है.
गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर इसका नाम ‘मोरमुगाओ’ रखा गया है.
संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था और इसी दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे. इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है. पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है. पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है.
यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है.
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