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Wednesday, 24 April, 2024
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युवाओं के लिए 3 साल की ‘टूर ऑफ ड्यूटी’- नई भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी सरकार, पर अफसरों के लिए नहीं

टूर ऑफ़ ड्यूटी, को पहले परीक्षण के आधार पर लागू किए जाने की संभावना है. इसका मकसद वेतन में बढ़ोतरी और पेंशन के बोझ को कम करना है. शॉर्ट सर्विस कमीशन को अधिकारियों के लिए और आकर्षक बनाने के प्रयास भी जारी हैं.

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नई दिल्ली: सैन्य मामलों के विभाग ने आने वाले समय में सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नए तरह के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है. सेना इस प्रस्ताव पर सबसे पहले अमल करेगी, जिसमें तीन साल की निश्चित अवधि के लिए कुछ सैनिकों की भर्ती करना शामिल है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फिलहाल सरकार द्वारा विचार किए जा रहे इस प्रस्ताव के अनुसार, सेना ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ (टीओडी) अवधारणा को लागू करेगी. इसे पहली बार 2020 में लाया गया था.

सूत्रों ने कहा, टीओडी को पहले प्रशिक्षण के आधार पर शुरू किए जाने की संभावना है. इसका उद्देश्य वेतन वृद्धि और पेंशन के बोझ को कम करते हुए, एक निश्चित समय अवधि के लिए सैनिकों की भर्ती करना है. ताकि सेना पर बढ़ते राजस्व लगभग 13 लाख के बोझ को कम किया जा सके.

उन्होंने कहा कि 2020 में जब इस प्रस्ताव को लाया गया था, तब अधिकारियों को भी टीओडी में शामिल करने की बात कही गई थी, लेकिन अब इसे जवानों तक ही सीमित रखा जा रहा है. अधिकारियों के पास पहले से ही शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) का रास्ता मौजूद है.

दिप्रिंट ने पहले इस बारे में रिपोर्ट किया था कि कैसे सेना तीन साल के टूर ऑफ डयूटी प्रस्ताव को लागू करने या मौजूदा एसएससी को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए एक पुराने भर्ती संघर्ष में फंस गई थी. सूत्रों के मुताबिक जहां तक अधिकारियों का सवाल है, फिलहाल फोकस तो अभी टीओडी में सैनिकों की भर्ती पर है.

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सूत्रों के अनुसार, कुछ वर्षों के लिए अनुबंधित भर्ती का प्रस्ताव सबसे पहले दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत लेकर आए थे. वह वेतन और अन्य लागतों के मामले में बढ़ते पेंशन बिल के साथ-साथ राजस्व व्यय को कम करने पर विचार कर रहे थे.

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर काम करने की मंजूरी दे दी थी. बाद की आंतरिक बैठकों के दौरान यह महसूस किया गया कि अधिकारियों के अलावा इसमें अन्य रैंक भी जोड़े जा सकते हैं.

टीओडी के मूल प्रस्ताव में कहा गया था कि योजना के जरिए भर्ती किए जाने वाले प्रत्येक अधिकारी पर 80-85 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें प्री-कमीशन प्रशिक्षण, वेतन, भत्ते, ग्रेच्युटी, प्रस्तावित सेवरेंस पैकेज, बची हुई छुट्टियों के बदले दी जाने वाली राशि और अन्य लागत शामिल है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह पैसा सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में लगाया जा सकता है, ‘वर्तमान में एक एसएससी अधिकारी पर 5.12 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, जो 10 साल बाद रिटायर हो जाता है. वहीं 14 साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाले अधिकारी पर 6.83 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं. केवल 1,000 जवानों पर 11,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है.’


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नियमित भर्ती भी जारी रहेगी

सूत्रों ने बताया कि नई योजना के तहत अन्य रैंक की श्रेणी के सैनिकों को तीन साल की अवधि के लिए टीओडी के लिए भर्ती किया जाएगा. उस अवधि के दौरान उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा और नौकरी भी दी जाएगी.

उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमित भर्ती भी होती रहेंगी. हालांकि प्रयास, हर साल कुल भर्ती में टीओडी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने का है.

महामारी के दौरान पिछले दो सालों में सेना, नौसेना या वायु सेना में कोई भर्ती नहीं की गई है. जिस वजह से पहले ही लगभग 1.3 लाख सैनिकों की कमी हो चुकी है.

टीओडी के बारे में बात करते हुए सूत्रों ने बताया कि तीन साल की अवधि के बाद, अधिकांश सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा और उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सहित कुछ अन्य सरकारी नौकरियों में भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी.

एक्स-टीओडी को बाद में कॉर्पोरेट जगत में अपनी क्षमता के अनुसार अवसर प्राप्त हो सकें उसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.

ताकि युवा मिलिट्री लाइफ का अनुभव ले सकें

सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने 2020 में कहा था कि टीओडी का विचार उस समय आया था, जब सेना ने कालेजों और विश्वविद्यालयों का दौरा किया और जाना कि युवा सेना से जुड़ी जिंदगी का अनुभव करना चाहते थे.

उन्होंने कहा था, ‘जब हमारे अधिकारियों ने कालेजों में युवाओं को संबोधित किया, तो हमें लगा कि वे सेना के जीवन का अनुभव तो करना चाहते हैं, लेकिन करिअर के रूप में नहीं. इसे एक संकेत मानते हुए, तब ये विचार आया कि ‘क्यों न उन्हें दो या तीन साल तक सेवा करने का अवसर दिया जाए.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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