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Monday, 10 November, 2025
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पाकिस्तान ने विदेश नीति को बनाया चमचागिरी — महाशक्ति के आगे इसके नेता क्यों हैं नतमस्तक

नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मोरारजी देसाई जैसे भारतीय नेताओं को पश्चिम ने अहंकारी माना, जबकि पाकिस्तानी नेता हमेशा घुटनों पर झुकने को तैयार रहते थे.

नेपाल की जाति व्यवस्था की ‘ABCD’— ‘राजा चला गया, लेकिन पुराना सिस्टम बरकरार है’

युवा विद्रोह के गुस्से के पीछे एक पुरानी, ​​कठोर और अटूट सामाजिक व्यवस्था छिपी हुई है, जो देश की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था को आकार दे रही है: जाति.

स्टार्टअप्स से लेकर सरकार तक — भारत लैब-ग्रोन मीट में आगे बढ़ना चाहता है

पहले केवल साइंस फिक्शन फिल्मों जैसे स्टार ट्रेक तक सीमित, अब कल्टीवेटेड मांस रेस्तरां की प्लेटों और किराना दुकानों तक पहुंचने ही वाला है.

‘जड़ तक पहुंचना था’ — IPS अधिकारी ने जेवर लैंड स्कैम को उजागर करने के लिए कैसे की गुप्त कार्रवाई

योगी आदित्यनाथ के एक फ़ोन ने अलीगढ़ के आईपीएस अधिकारी अमृत जैन को एक बड़े ज़मीन घोटाले की तह तक पहुंचा दिया, जिसमें आईएएस अधिकारी भी ठगे गए थे. "किसान और ख़रीदार, दोनों ठगे गए."

झूठे राजनेता और प्रतियोगी ‘रेवड़ी’ राजनीति में उनकी बढ़ती मुश्किलें

प्रधानमंत्री मोदी ने 'रेवड़ी' की राजनीति पर हमला बोलकर सही मायने में शुरुआत की. यही उनकी विरासत हो सकती थी. लेकिन उन्होंने पार्टी के फायदे के लिए विपक्ष को रेवड़ी बांटने में मात देना शुरू कर दिया.

दिल्ली दंगों के साजिश मामले की सुनवाई क्यों फंसी है—500 तारीखें, 160 स्थगन और गिनती अभी जारी है

दंगों के 5 साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी, एफआईआर 59/2020 पर आधारित मामले की सुनवाई अभी तक गति नहीं पकड़ पाई है. आदेशों और कार्यवाहियों की 1,156 प्रतियों का दिप्रिंट द्वारा किया गया विश्लेषण कई कारकों पर नज़र डालता है.

भारत के स्मार्ट सिटी मानसून से निपटने में असफल हैं. हम बाढ़ के जाल तैयार कर रहे हैं

हमने बाढ़ वाले मैदानों पर निर्माण कर दिया है, हर जगह इमारतें बना दी हैं, और कचरा नालियों को बंद कर देता है. नतीजा? पानी के जाने के लिए कोई जगह नहीं बची, न घरों में, न सड़कों में, और न ही हमारी ज़िंदगियों में.

जेएनयू—एक भारतीय विश्वविद्यालय का निर्माण और विघटन

जेएनयू को ‘पूरी तरह से एक नई यूनिवर्सिटी’ बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसमें आलोचनात्मक सोच की मजबूत भावना हो. हालांकि, इसका एंटी-एस्टैब्लिशमेंट (सत्ता-विरोधी) चरित्र खासकर पिछले 10 साल में काफी बदल गया है.

हुज का अतीत और स्डेरोट का वर्तमान: अरबों और इज़राइलियों को साथ रहने का तरीका सीखना होगा

1948 में जब इज़रायलियों ने अरबों को खदेड़ा था, तो उन्होंने यह नहीं सोचा था कि ये कटु शरणार्थी उनके नए राज्य के लिए एक स्थायी ख़तरा बन जाएंगे. यह एक भयावह ग़लतफ़हमी थी.

‘बेटे की ज़िंदगी की कीमत 30 रुपये’ —कांचीपुरम से छिंदवाड़ा तक कफ़ सिरप ने कैसी लीं जानें

तमिलनाडु की एक फैक्ट्री से लेकर छिंदवाड़ा के क्लीनिकों तक, लगातार हुई विफलताओं ने 24 बच्चों की जान ले ली. कोल्ड्रिफ त्रासदी खराब निर्माण मानकों और नियामक लापरवाही को उजागर करती है.

मत-विमत

बिहार—जहां सिर्फ राजनीति ही आगे बढ़ी, बाकी सब कुछ ठहरा रह गया

बिहार के पास ऐसी उपजाऊ ज़मीन है जो पूरे भारत में सबसे ज्यादा क्रांतियों को जन्म देने वाली रही है. इसके बावजूद बिहार इतना पीछे क्यों रह गया? राजनीति का स्थायी जुनून ही उसके विनाश की मूल वजह है.

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राजनीति

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महाराष्ट्र देश की ‘स्टार्टअप राजधानी’, राज्य के 45 प्रतिशत स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व में: फडणवीस

मुंबई, नौ नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र भारत की 'स्टार्टअप राजधानी' के रूप में उभरा है,...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.