दिल्ली 67 साल पहले 1952 में देश की पहली लोकसभा के लिए एक मलयाली को बाहरी दिल्ली यानी ग्रामीण दिल्ली सीट से ससम्मान भाव से निर्वाचित कर रही थी. क्या ये कोई छोटी बात है?
अपने गठन के बाद अपने संस्थापक स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के बिना पहला चुनाव लड़ रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के लिए इस बार का लोकसभा चुनाव उसके अस्तित्व की लड़ाई बन गया है.
दिल्ली के सीएम अपने पहले रोड शो में लोगों को समझाना चाह रहे थे कि भले ही ये पीएम चुनने का चुनाव हो लेकिन अगर आप के सासंद जीतते हैं तो उनके लिए लोगों का काम कराना आसान हो जाएगा.
दिल्ली में सातों लोकसभा सीटें भाजपा के कब्जे में लाने के लिए पार्टी नई रणनीति के साथ काम कर रही है और यहां उसकी मदद के लिए आरएसएस भी मैदान में उतर आई है.
बिहार में पटना, बेगूसराय, खगड़िया, आरा और बक्सर जैसी जगहों पर पहुंचने के बाद दिप्रिंट को एक अजीब सी समानता दिखी. इन जगहों पर लोग अपने वर्तमान सांसद से काफी नाराज़ हैं.
तेज बहादुर के गांव पहुंची दिप्रिंट की टीम ने पाया कि खुद तेज बहादुर के परिवार वाले प्रधानमंत्री मोदी के फैन हैं और वह कह रहे हैं कि वोट तो मोदी को ही देंगे.
वाराणसी के कायापलट के लिए 600 करोड़ की परियोजना के तहत 200 से अधिक घर, दुकान ढ़हाए जा चुके हैं. गुस्साए निवासी कहते हैं कि हर घर में मंदिर हैं और हर इमारत का ऐतिहासिक महत्व है.
केंद्रीय बजट 2025-26 के स्पष्ट लक्ष्य हैं: विकास को गति देना, भारत के उभरते मिडिल-क्लास की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना, प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देना और घरेलू भावनाओं को ऊपर उठाना.