कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा पर ‘आपदा में अवसर’ का आरोप लगाया. सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि इससे साबित होता है कि भाजपा नेताओं को हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है.
कई भाजपा नेता दुबे पर हमला करने के लिए कांग्रेस की नैतिक स्थिति पर भी सवाल उठा रहे हैं. उनका तर्क है कि कांग्रेस नेताओं का खुद न्यायपालिका को कमज़ोर करने का इतिहास रहा है.
हालांकि, पहले भी इस मिलन की चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन इस बार उद्धव ने राज की कोशिशों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. राज ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर मनसे का गठन किया था.
भाजपा ने अपने सांसद निशिकांत दुबे की बातों से खुद को सार्वजनिक रूप से अलग कर लिया, लेकिन असली मोड़ तब आया जब सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने नए वक्फ कानून के कुछ हिस्सों पर रोक लगाने की बात कही.
पार्टी ने यह भी पूछा कि नड्डा उस व्यक्ति की टिप्पणी पर चुप क्यों हैं जो पार्टी से है और एक बड़े संवैधानिक पद पर बैठा है. उस व्यक्ति ने भी न्यायपालिका पर गलत टिप्पणी की थी. यहां इशारा उपराष्ट्रपति धनखड़ की ओर था.
पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा न्यायपालिका पर दिए गए 'व्यक्तिगत बयानों' से कोई लेना-देना नहीं है और वह सभी अदालतों का सम्मान करती है.
इस विवाद ने सिद्धारमैया सरकार के लिए ऐसे समय में नई मुसीबत खड़ी कर दी है जब जाति सर्वे के कथित लीक निष्कर्षों को लेकर लिंगायत, वोक्कालिगा और ब्राह्मणों में असंतोष पनप रहा है.
महायुति सरकार द्वारा बुधवार को घोषणा किए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत पहली से पांचवीं क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा होगी.
केरल, जहां भाजपा अपने पैर पसारना चाहती है, ‘वक्फ सुधार जनजागरण अभियान’ के दौरान फोकस में रहेगा. गौरतलब है कि केरल में मार्च-अप्रैल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?