नेताओं ने कहा कि चार चरणों में मतदान, प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने से मध्य प्रदेश को फायदा हुआ, लेकिन राजस्थान में अनुभवहीन मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष को बदलना और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करना भाजपा के खिलाफ गया.
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ऐसी खिलाड़ी के रूप में उभरी है, जिस पर बीजेपी हावी नहीं हो सकती. इस बीच, कांग्रेस का प्रदर्शन अब उसे विपक्षी एमवीए के भीतर शिवसेना (यूबीटी) के साथ अधिक सौदेबाजी की शक्ति देगा.
कांग्रेस के खाते में सबसे अधिक 29 लोकसभा सीटें हैं, जो विपक्षी दलों को मिलीं हैं. समाजवादी पार्टी को 9, एनसीपी (शरद पवार) को 4 सीटें अन्य शीर्ष लाभ पाने वालों में शामिल हैं.
सीएम ने सभी उम्मीदवारों के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था और दावा किया था कि उनकी पार्टी पंजाब की सभी 13 सीटें जीतेगी. उनके आग्रह पर ही AAP ने राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया.
भाजपा के कुल वोट शेयर में 1 प्रतिशत से भी कम की गिरावट आई है, जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में 1.53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. लोकसभा के नतीजों में दिख रहे इस विरोधाभास को राज्यवार वोट शेयर का अध्ययन करके समझाया जा सकता है.
पांच साल पहले, पार्टी ने उन सीटों में से 91.26% सीटें जीती थीं, जहां मौजूदा सांसदों को बदला गया था, और जहां पर मौजूदा सांसदों को दोबारा उतारा गया था वहां पर 90.80% सीटें जीती थीं.
प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि भारत की विरासत को संरक्षित कर देश के सर्वांगीण विकास के लिए राजग सरकार भारत के जन-जन के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कार्य करती रहेगी.
समाजवादी पार्टी ने यूपी में 37 लोकसभा सीटें जीतीं, जिससे वह भारत की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद अखिलेश के लिए यह पहली अग्निपरीक्षा थी.
2024 के चुनाव में अगर सबसे बड़ा राजनीतिक व्यक्तित्व किसी का निर्मित हुआ है तो वे राहुल गांधी हैं. उन्होंने अपने को साधारण जनता का नेता और मोदी को कॉरपोरेट शक्तियों का नेता साबित किया. यही वो पक्ष है जिसके कारण हार की जीत और जीत की हार का मुहावरा दोहराया जा रहा है.