लोकसभा में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद हरियाणा में भाजपा ने लगभग बाजी पलट दी है. यह नॉन-जाट मतदाताओं को एकजुट करने में सफल रही, साथ ही इसने जाटों के गढ़ में 12 नई सीटें भी जीतीं.
पांच साल पहले कांग्रेस ने इस सीट से चंद्र मोहन को उतारा था, लेकिन वे ज्ञान चंद गुप्ता से करीब 5,000 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे. इस बार वे 1,997 वोटों से जीते.
नूंह ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा क्योंकि हरियाणा की सत्तारूढ़ बीजेपी ने पड़ोसी सीट सोहना से मौजूदा विधायक सिंह को मैदान में उतारा है, जो स्पष्ट रूप से इस निर्वाचन क्षेत्र में वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश थी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आने के लिए तैयार है. पूर्व केंद्रीय मंत्री फारुख अबदुल्ला ने कहा कि निर्वाचित सरकार को लोगों का ‘दर्द’ दूर करने के लिए बहुत काम करना होगा.
बांदीपुरा के गुंडपोरा इलाके से हाफिज मोहम्मद सिकंदर मलिक ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) कश्मीर के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.
ऐजाज़ अहमद गुरु ने जेलों में बंद कश्मीरियों और बेरोज़गारी के मुद्दे पर कैंपेन चलाया था. उनके भाई अफ़ज़ल गुरु को दिसंबर 2001 में संसद पर हमले की साजिश रचने के लिए फांसी दी गई थी.
दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को अब्दुल्ला और NC का गढ़ माना जाता है. लोकसभा चुनाव में उमर को बारामूला निर्वाचन क्षेत्र में भारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके तहत बडगाम विधानसभा सीट आती है.
एनडीसी पर सबसे पहले प्रतिबंध 1998 में बिल क्लिंटन द्वारा लगाए गए थे. और 9/11 के बाद पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग को सक्षम करने के लिए उन्हें हटा दिया गया था.