यूपी कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि 10 में से 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की उम्मीद थी. सपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस ‘विनम्रता से मांगे’ तो पार्टी 1 या 2 सीटें देने को तैयार है.
रतन शारदा के अनुसार, जबकि कई स्थानीय भाजपा नेताओं ने लोकसभा चुनावों में आरएसएस से संपर्क तक नहीं किया, वे न केवल हरियाणा बल्कि अन्य राज्यों में भी आरएसएस स्वयंसेवकों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे थे.
लोकसभा में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद हरियाणा में भाजपा ने लगभग बाजी पलट दी है. यह नॉन-जाट मतदाताओं को एकजुट करने में सफल रही, साथ ही इसने जाटों के गढ़ में 12 नई सीटें भी जीतीं.
पांच साल पहले कांग्रेस ने इस सीट से चंद्र मोहन को उतारा था, लेकिन वे ज्ञान चंद गुप्ता से करीब 5,000 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे. इस बार वे 1,997 वोटों से जीते.
नूंह ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा क्योंकि हरियाणा की सत्तारूढ़ बीजेपी ने पड़ोसी सीट सोहना से मौजूदा विधायक सिंह को मैदान में उतारा है, जो स्पष्ट रूप से इस निर्वाचन क्षेत्र में वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश थी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आने के लिए तैयार है. पूर्व केंद्रीय मंत्री फारुख अबदुल्ला ने कहा कि निर्वाचित सरकार को लोगों का ‘दर्द’ दूर करने के लिए बहुत काम करना होगा.
बांदीपुरा के गुंडपोरा इलाके से हाफिज मोहम्मद सिकंदर मलिक ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) कश्मीर के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.
आरएसएस के सरसंघचालक अगर ‘मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने’ के बढ़ते दावों पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं तो इसके पीछे यह एहसास है कि यह मसला कहीं भाजपा सरकार के काबू से बाहर न हो जाए .