चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत वीटो पावर के साथ UNSC की स्थायी सदस्यता हासिल कर ले. क्या भारत व्हाइट हाउस को बीजिंग की धमकाने वाली रणनीति के खिलाफ खड़े होने के लिए मना सकता है?
द्रविड़ राजनीति में धर्म के विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है. लेकिन अगर सीनियर स्टालिन और डीएमके वास्तव में 2024 में बीजेपी को हराना चाहते हैं, तो जूनियर स्टालिन को चुप रहने के लिए कहना ही सही फैसला हो सकता है.
ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक की पत्नी के साथ अक्षरधाम मंदिर की यात्रा को टीवी समाचारों में भरपूर प्रशंसा मिली और उनके ‘हिंदू होने पर गर्व’ वाले क्षण ने उन्हें स्टार बना दिया, लेकिन और कुछ था नहीं.
चीन का इतिहास रहा है कि वह अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संगठित अपराध सिंडिकेट के साथ काम करता है. हालांकि, इस बार इसका असर चीनी नागरिकों पर भी पड़ा है.
भारत ने G20 में अपनी कूटनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया. GNFU इसका अगला कदम है. चीन के पास पहले से ही एक NFU नीति है और यदि अमेरिका कोई झुकाव दिखाता है, तो रूस भी इसमें शामिल हो सकता है.
किसी आस्था को निशाना बनाना एक असहिष्णु काम है. यह मानसिकता उस स्थिति के बराबर एक आश्चर्यजनक स्थिति बनाती जहां धार्मिक बहुमत नास्तिक व्यक्तियों के प्रति असहिष्णु है.
सोशल इंजीनियरिंग में किसी गैर-इकाई से मुश्किल अवधारणाओं को समझने की उम्मीद नहीं की जा सकती. ये बयान डीएमके के खिसकते वोट बैंक को मजबूत करने के लिए दिए जा रहे हैं.
कई मुस्लिमों के लिए इस बार शहीद दिवस का संदेश साफ है — चाहे वे किसी को भी वोट दें, कश्मीर की पहचान और इतिहास का फैसला अब उनके लोकतांत्रिक विकल्पों से नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्रवादी सत्ता से होगा.