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Tuesday, 4 March, 2025
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ट्रूडो का पतन जताता है कि पश्चिमी जगत में अब लापरवाह लिबरलिज्म राजनीति के लिए जगह नहीं

सबको साथ लेकर चलने के आडंबर पर खड़ी राजनीति आज की दुनिया में अपना आकर्षण खो रही है, क्योंकि आज लोग ठोस नतीजे और प्रामाणिक नेतृत्व चाहते हैं.

बांग्लादेश के ‘चीफ एडवाइज़र’ प्रो. मोहम्मद यूनुस के नाम एक खुली चिट्ठी

हसीना ने आपका बैंक आपसे छीना, अब आपने उनसे उनकी सत्ता छीन कर बदला ले लिया है? अब आपके लिए कसौटी यह है कि आपको सार्वजनिक पद मिल गया है तब आप यह मान लें कि जनता ने आपमें भरोसा जताया है. क्या आप इस पद पर बने रहें और कुछ भी न करें? और आप कुछ करें, तो वह क्या हो?

दिल्ली भाजपा की पहुंच से बाहर है, रमेश बिधूड़ी की ‘महिला विरोधी’ टिप्पणी ने इसे और दूर कर दिया

यह पहली बार नहीं है जब बिधूड़ी ने इस तरह की विवादित बयानबाजी की है. कांग्रेस नेता दानिश अली के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के कारण उन्हें 2024 में लोकसभा टिकट से हाथ धोना पड़ा था.

रक्षा मंत्रालय ने 2025 के लिए बड़े लक्ष्य तो तय कर लिए, पहले थिएटर कमांड का गठन ज़रूरी

भारत के राजनीतिक नेतृत्व को स्वीकार करना पड़ेगा कि खासकर टेक्नोलॉजी के मामले में तेज़ी से बदलती इस दुनिया में प्रतिरक्षा की तैयारी का तकाज़ा यह है कि इसके लिए जीडीपी के 2 प्रतिशत से ज्यादा के बराबर बजट देना पड़ेगा.

MSP अब असली मुद्दा नहीं रहा, भारत में खेती बदल गई तो किसानों की मांगें भी बदलनी चाहिए

जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसानों के लिए ‘एमएसपी’ की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन 2020-21 में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन की छाया मात्र है क्योंकि एमएसपी आज पहले की तरह प्रमुख मुद्दा नहीं रह गया है.

मनमोहन सिंह ने मिडिल-क्लास की उम्मीदों को पंख दिए, मोदी ने उन्हें निराश किया

भारतीय मध्यम वर्ग को कैसा होना चाहिए मनमोहन सिंह ने इसका सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व किया. इसके विपरीत, नरेंद्र मोदी इसकी सबसे खराब प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं.

क्या यूनुस सरकार कर रही है देश-विरोधी राजनीति, सुरक्षा के लिहाज़ से बांग्लादेश बना भारत के लिए खतरा

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ राजनीतिक अस्थिरता के कारण भारत के साथ आर्थिक संबंधों में बाधा आई है जिसके चलते सप्लाई चेन, शुल्क संबंधी नीति और व्यापार को आसान बनाने वाली सीमा संबंधी व्यवस्था प्रभावित हुई है.

भारतीय कॉर्पोरेट घरानों और उपभोक्ताओं के बीच शक्ति असंतुलन बढ़ता जा रहा है

इसके कारण एक ऐसी व्यवस्था आकार लेती है जिसमें आम नागरिक हाशिये पर धकेल दिया जाता है, जबकि कॉर्पोरेट घराने अपनी मनमर्ज़ी चलाते हैं और समतामूलक संवाद या सच्ची सार्वजनिक जवाबदेही के लिए कम गुंजाइश ही बच पाती है.

मोहन भागवत का भाषण ज़मीनी स्तर पर हिंदू कट्टरपंथियों पर काम नहीं कर रहा है

अगर भागवत का समावेशिता का आह्वान वास्तविक है, तो उन्हें अपने वैचारिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विघटनकारी तत्वों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए.

भारत क्यों नहीं घूमना चाहते टूरिस्ट, क्योंकि सबसे बुरी बात यह कि ‘हमें फर्क नहीं पड़ता’

पिछले एक दशक में हमने यह रुख अपनाना शुरू कर दिया है कि भले ही विदेशी यात्री आना न चाहें, लेकिन हमें परवाह नहीं है. यहां तक कि भारतीय लोग भी हमारे पर्यटन स्थलों से दूर रहने लगे हैं.

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ट्रंप रातों-रात सहयोगियों से अलग नहीं हो सकते. अमेरिका की ग्लोबल ऑर्डर में जड़ें काफ़ी मज़बूत हैं

रूस और चीन जैसे अमेरिका के विरोधी यह सोचकर उत्साहित हैं कि अगर अमेरिका अपनी वैश्विक भूमिका से पीछे हटता है तो उसे फायदा होगा. खासतौर पर चीन अपने इलाके और शायद पूरी दुनिया में नेता बनने के लिए बहुत उत्सुक है.

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राजनीति

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मुसलमानों के साथ धार्मिक मामलों में सौतेला रवैया अपनाया जा रहा: मायावती

लखनऊ, चार मार्च (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को आरोप लगाया कि धार्मिक मामलों में मुसलमानों के साथ...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.