हसीना ने आपका बैंक आपसे छीना, अब आपने उनसे उनकी सत्ता छीन कर बदला ले लिया है? अब आपके लिए कसौटी यह है कि आपको सार्वजनिक पद मिल गया है तब आप यह मान लें कि जनता ने आपमें भरोसा जताया है. क्या आप इस पद पर बने रहें और कुछ भी न करें? और आप कुछ करें, तो वह क्या हो?
यह पहली बार नहीं है जब बिधूड़ी ने इस तरह की विवादित बयानबाजी की है. कांग्रेस नेता दानिश अली के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के कारण उन्हें 2024 में लोकसभा टिकट से हाथ धोना पड़ा था.
भारत के राजनीतिक नेतृत्व को स्वीकार करना पड़ेगा कि खासकर टेक्नोलॉजी के मामले में तेज़ी से बदलती इस दुनिया में प्रतिरक्षा की तैयारी का तकाज़ा यह है कि इसके लिए जीडीपी के 2 प्रतिशत से ज्यादा के बराबर बजट देना पड़ेगा.
जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसानों के लिए ‘एमएसपी’ की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन 2020-21 में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन की छाया मात्र है क्योंकि एमएसपी आज पहले की तरह प्रमुख मुद्दा नहीं रह गया है.
भारतीय मध्यम वर्ग को कैसा होना चाहिए मनमोहन सिंह ने इसका सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व किया. इसके विपरीत, नरेंद्र मोदी इसकी सबसे खराब प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं.
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ राजनीतिक अस्थिरता के कारण भारत के साथ आर्थिक संबंधों में बाधा आई है जिसके चलते सप्लाई चेन, शुल्क संबंधी नीति और व्यापार को आसान बनाने वाली सीमा संबंधी व्यवस्था प्रभावित हुई है.
इसके कारण एक ऐसी व्यवस्था आकार लेती है जिसमें आम नागरिक हाशिये पर धकेल दिया जाता है, जबकि कॉर्पोरेट घराने अपनी मनमर्ज़ी चलाते हैं और समतामूलक संवाद या सच्ची सार्वजनिक जवाबदेही के लिए कम गुंजाइश ही बच पाती है.
अगर भागवत का समावेशिता का आह्वान वास्तविक है, तो उन्हें अपने वैचारिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विघटनकारी तत्वों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए.
पिछले एक दशक में हमने यह रुख अपनाना शुरू कर दिया है कि भले ही विदेशी यात्री आना न चाहें, लेकिन हमें परवाह नहीं है. यहां तक कि भारतीय लोग भी हमारे पर्यटन स्थलों से दूर रहने लगे हैं.
रूस और चीन जैसे अमेरिका के विरोधी यह सोचकर उत्साहित हैं कि अगर अमेरिका अपनी वैश्विक भूमिका से पीछे हटता है तो उसे फायदा होगा. खासतौर पर चीन अपने इलाके और शायद पूरी दुनिया में नेता बनने के लिए बहुत उत्सुक है.