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बुधवार, 4 जून, 2025
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सिंधु जल संधि भारत के लिए नुकसानदेह रही, अब पाकिस्तान को भुगतने का समय

सिंधु जल संधि को एक तकनीकी समझौते के रूप में देखा गया था, लेकिन अब इसे कूटनीति, आतंकवाद विरोधी नीति और भू-राजनीतिक रणनीति के नज़रिए से देखा जा रहा है.

मंत्रियों की ज़िम्मेवारी तय करना PM मोदी का स्टाइल नहीं, लेकिन उन्हें अब ऐसा क्यों करना चाहिए

देखा जाए तो अमित शाह ही जम्मू-कश्मीर को चला रहे हैं, लेकिन उनसे सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेही मांगना अनुचित होगा क्योंकि उन्हें देश भर के हर चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करनी है.

स्मारकों से लेकर बस्तियों तक: यूपी की दलित राजनीति में वापसी की राह तलाशती मायावती

कांग्रेस से लेकर भाजपा तक दलितों को साधने की होड़ में जुटे हैं सभी दल, लेकिन क्या सपा-बसपा अपनी ज़मीनी पकड़ और भरोसे को फिर से बहाल कर पाएंगे या हिंदुत्व को खुला मैदान मिलेगा?

आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान मुस्लिम जगत में खुद को ही अलग-थलग कर रहा है    

खाड़ी के कुछ देशों की विदेश नीति आज रणनीति, सुरक्षा, और वैश्विक प्राथमिकताओं के आधार पर तय हो रही है, न कि मजहबी और सैद्धांतिक रुझानों के आधार पर.

जल्दबाजी से काम न लें. पाकिस्तान को दबाव में रखें, फिर सटीक और लगातार हमला करें

पाकिस्तान भले ही आर्थिक मुसीबतों से घिरा है लेकिन जम्मू-कश्मीर में छद्मयुद्ध छेड़ने की उसकी क्षमता घटी नहीं है. पहलगाम में हमला भारत के ‘नया कश्मीर’ के सपने को तोड़ने की मंशा से किया गया.

45 वर्षों से पाकिस्तान की आईएसआई हिंदुओं की हत्या कर रही है, ताकि भारत में गृह युद्ध छेड़ा जा सके

एक समय, आईएसआई का सोच यह था कि यहां के हिंदू अपने यहां के अल्पसंख्यकों से बदला लेने पर उतर आएंगे. वे भारत में इस तरह का संकट पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं कि इस देश में गृहयुद्ध छिड़ जाए.

मोदी के सामने कश्मीर में भारत की ‘रेड लाइन’ बहाल करने के पांच विकल्प हैं—लेकिन हर एक खतरनाक है

इस्लामाबाद को पता चल गया है कि वह कश्मीर नहीं जीत सकता. उसकी सेना का उद्देश्य कश्मीर जीतना या पाकिस्तान के लिए रणनीतिक लाभ कमाना नहीं है, बल्कि भारत को कष्ट पहुंचाना है.

पहलगाम हमला: पाकिस्तान अगर युद्ध चाहता है, तो चलिए उसे दिखा देते हैं कि असली जंग क्या होती है

भारत को पाकिस्तान को यह दिखाने की ज़रूरत है कि आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ती है. वह भारतीय नागरिकों की हत्या करके बच निकलने की उम्मीद नहीं कर सकता.

भारत संदिग्ध आतंकियों को विदेश से हासिल तो कर रहा है, लेकिन क्या उनके मामले में न्याय हो पाएगा?

रेडियोवाला की कहानी से साफ है कि भारतीय अधिकारी ऐसे आतंकियों को विदेश से हासिल करने में विफल क्यों होते रहे हैं. उनके खिलाफ सबूत और मुकदमा अक्सर कमज़ोर साबित होता रहा है.

पहलगाम हमले का जवाब ज़रूरी है, भारत इसके लिए अमेरिका और इज़रायल से सबक ले सकता है

आतंकवादी हमला करने के लिए जिस जगह को चुना गया वह जून के पहले हफ्ते से शुरू होने वाली अमरनाथ गुफा यात्रा के मार्ग पर स्थित है, जो भी हो यह यात्रा तो शुरू होगी ही, हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को इन हिंसक कार्रवाइयों का बंधक नहीं बनने दिया जा सकता.

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