पश्चिमी मीडिया में पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रही है. जिहादी आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित देशों में भारत है. किन्तु पश्चिमी विश्लेषणों में भारत का ऐसा उल्लेख नदारद मिलेगा.
पिछले दो दशक से झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का मुद्दा उठता रहा है. पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इसकी पहल की थी. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने ओबीसी आरक्षण दोगुना करने का वादा किया है.
सरकार को यह तो सुनिश्चित करना ही होगा कि मेडिकल कॉलेजों के अच्छे फैकल्टियों को प्राइवेट कॉलेजों के शिक्षकों से कहीं ज्यादा वेतन और सुविधाएं प्राप्त हों.
एनआरसी की पूरी प्रक्रिया से ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ है. इससे राज्य के लोगों को काफी परेशानियां हुई है, भारत की बदनामी हुई , सुप्रीम कोर्ट का समय खर्च हुआ. एनआरसी सूची को अपडेट करने में लगभग 1100 करोड़ रुपए लगे हैं.
उपचुनाव में भाजपा किसी विधानसभा क्षेत्र में खुद को कमजोर पायेगी तो बसपा को फायदा पहुंचाने का प्रयास कर सकती है. इसलिए मायावती ने अगर कश्मीर पर केंद्र के फैसले का समर्थन किया है तो यह अनायास नहीं है.
मोदी सरकार के दो कार्यकालों में ऐसा कोई दूसरा सप्ताह शायद ही रहा होगा जब आर्थिक नीति को लेकर इतनी सारी घोषणाएं की गई होंगी. लेकिन जब तक मांग नहीं बढ़ती, परिदृश्य में सचमुच बदलाव मुश्किल है.
भारतीय राजनीति इन दिनों प्रतिशोध के दुष्चक्र में उलझ गई है और भाजपा ने इसे एक नये स्तर पर पहुंचा दिया है— सबसे पहले तो तीन एजेंसियों को अपना त्रिशूल बनाते हुए इसके साथ कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया को भी जोड़ कर, दूसरे, बगल का अपना दरवाजा दलबदलुओं के लिए पूरा खोल कर.
देश का जो सबसे कमज़ोर तबक़ा है, उसकी क्रयशक्ति में इजाफा केवल मनरेगा जैसी में योजनाओं में ख़र्चा बढ़ाकर किया जा सकता है. शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च भी बढ़ाना होगा.