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Saturday, 18 May, 2024
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भारत में कोरोनावायरस के युग में दबंग पुलिस कैसे हर दिल अज़ीज़ बन गई

जब पुलिस गरीबों की मदद नहीं कर रही होती है या यूपी पुलिस की तरह मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए चलाई गई फेक खबरों का खंडन नहीं कर रही होती तो वो ग्राउंड पर गानें गाती हुई दिखाई देती है.

कोरोनावायरस संकट के समय पुलिस के सामने कई चुनौतियां, तय करने होंगे अलग मापदंड

भारत में पुलिस राष्ट्रीय कोरोनावायरस संकट के समय में कानून और व्यवस्था बनाए रखने का उल्लेखनीय काम कर रही है.

मोदी सरकार अकेले कोविड-19 से नहीं लड़ सकती, उसे आरएसएस जैसे ज़मीनी सिपाहियों का साथ चाहिए

आरएसएस अपने स्वयंसेवकों को राहत शिविर संचालित करने की ट्रेनिंग नहीं देता है. फिर भी स्वयंसेवक कोविड-19 संबंधी राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं.

कोविड-19 मुसलमानों को अनौपचारिक सेक्टर की नौकरियों से बाहर करने का एक बहाना, अगला चरण नस्लभेदी होगा

मुसलमानों को आज उन्हें आर्थिक हाशिए पर डालने के सुनियोजित प्रयासों का सामना करना पड़ रहा है और इसके लिए सरासर झूठ के सहारे समुदाय को वायरस से जोड़ा जा रहा है.

कोरोनावायरस संकट अगर मोदी नहीं बल्कि मनमोहन सिंह के राज में आता तब क्या होता

मनमोहन सिंह संस्थाओं और व्यवस्था का दामन पकड़कर बिना शोरशराबा किए शासन चलाने वाले नेता रहे हैं जबकि नरेंद्र मोदी अपनी शख्सियत के बल पर अपनी कथनी और करनी में मुखर रहने वाले नेता रहे हैं. कोरोना संकट से निपटने में दोनों को अपनी-अपनी खास ताकत से बल मिलता.

मोदी को लॉकडाउन नहीं बढ़ाना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था लंबे समय तक वेंटिलेटर के सहारे नहीं चल सकती

कोविड-19 लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की राजनीतिक सलाह मानने से पहले मोदी को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. कई बार इलाज मर्ज़ से भी अधिक नुकसानदेह साबित होता है.

कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण रोज़गार गंवाने के आंकड़े भयावह, सरकार को जल्द बड़े कदम उठाने होंगे

हम ये नहीं जानते कि कोरोनावायरस से पैदा स्वास्थ्य-संकट कितना गहन होगा और देश इससे कैसे निपटेगा लेकिन हम ये जरुर जानते हैं कि बेरोजगारी का संकट अभी ही सिर चढ़कर बोल रहा है. लोगों के जीवन और जीविका को बचाने के लिए सरकार को जल्दी ही लोक-कल्याण के मोर्चे पर कुछ वैसा करना पड़ेगा.

कोरोनावायरस: अंधविश्वास और पाखंड की शुरुआत बीजेपी ने नहीं, नेहरू ने की थी

देश के वामपंथी, उदारवादी, प्रगतिशील बुद्धिजीवियों की शिकायत है कि बीजेपी ने शासन में आने के बाद वैज्ञानिक चिंतन का नाश हो गया, जबकि आजदी के समय नेहरू की पुजा-अर्चना को याद करनी चाहिए.

आप क्रोनोलॉजी समझिए, मोदी ने कोविड-19 की दवा के निर्यात को लेकर ट्रंप के सामने घुटने नहीं टेके

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल लंबे समय से पेटेंट-मुक्त और सस्ती जेनेरिक दवाएं हैं. भारत के पास दुनिया के लिए इनके उत्पादन की विशिष्ट क्षमता है. हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए, इसे बेकार नहीं जाने देना चाहिए.

कोरोना संकट में भारत के लिए बड़े आर्थिक फायदे निहित है: जयंत सिन्हा

दुनियाभर के देशों ने राजकोषीय नियमों से किनारा कर लिया है और वे अर्थव्यवस्था में ठहराव से बचने के लिए बेहिचक होकर खर्च कर रहे हैं.

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शक्सगाम घाटी में सड़क बनाने की चीन की मंशा से भारत की सुरक्षा को खतरा नहीं, राजनीतिक पहलू पर गौर कीजिए

भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा विरोध दर्ज करने से ज्यादा-से-ज्यादा यह मकसद सध सकता है कि भारत अपना दावा बनाए रख सकता है. कोई और मकसद सधेगा, इसकी उम्मीद रखना बेमानी है.

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मालदीव के साथ भारत की रक्षा, सुरक्षा भागीदारी में क्षमता निर्माण एक महत्वपूर्ण घटक : विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि मालदीव के साथ भारत की रक्षा और सुरक्षा भागीदारी में क्षमता निर्माण...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

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