scorecardresearch
Tuesday, 19 August, 2025
होममत-विमतनेशनल इंट्रेस्ट

नेशनल इंट्रेस्ट

ना ब्ल्यू कॉलर ना व्हाइट, इन बनियान पहने मजदूरों की अहमियत भूल गया था मोदी का भारत

अपने घरों की तरफ लौट रहे लाखों गरीब आकांक्षी भारतीय श्रमिक वर्ग की नई पीढ़ी है. मोदी और उनकी सरकार ने उनके भाग्य के बारे में सोचा ही नहीं.

वंदे भारत बनाम भारत के बंदे: क्या नरेंद्र मोदी जनता में अपनी सियासी पैठ इतनी जल्दी गंवा रहे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महामारी के दौर में राष्ट्र के नाम जो संदेश दिए हैं वे मुख्यतः मध्य वर्ग या इलीट तबके को संबोधित रहे हैं, उनमें करोड़ों गरीबों के प्रति हमदर्दी ना के बराबर दिखती है, तो क्या मोदी अपना राजनीतिक अंदाज भूल रहे हैं?

हालात सामान्य हैं पर सबको लॉकडाउन करके रखा है, मोदी सरकार ने कैसे देश को अक्षम बनाने का जोखिम उठाया है

भारत को धीरे-धीरे अपने कामकाज पर लौटाने की जरूरत थी, बजाय कि देश को लॉकडाउन की मूर्छा से बाहर न निकालकर रेड, ग्रीन, ऑरेंज जोन में सेलेक्टिव तौर पर खोलने की.

कोरोनावायरस ने सर्वशक्तिमान केंद्र की वापसी की है और मोदी कमान को हाथ से छोड़ना नहीं चाहेंगे

भारत आज अगर आंतरिक तथा बाह्य रूप से ज्यादा सुरक्षित है तो इसमें दशकों तक संघीय व्यवस्था में रहने का भी कुछ योगदान तो है ही.

कोविड भारत में अभी वायरल नहीं हुआ पर देश और दुनिया में कुछ लोग सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे

भारत कोई पिकनिक नहीं मना रहा है मगर ऐसा भी नहीं है कि यहां लाशों के ढेर लग रहे हैं, अस्पतालों में मरीजों को बिस्तर की कमी पड़ रही है, श्मशानों में लकड़ी की या कब्रिस्तानों में जगह की कमी पड़ रही है.

मोदी के लॉकडाउन ने काम तो किया लेकिन अब भारत को हनुमान के पहाड़ की नहीं बल्कि संजीवनी बूटी की जरूरत है

लॉकडाउन कारगर रहा है मगर इसे ज्यादा खींचने के कई दूसरे दीर्घकालिक नतीजे हो सकते हैं जो इससे हुए फ़ायदों को खत्म कर दे सकते हैं. इसलिए बेहतर यही होगा कि इसे धीरे-धीरे, व्यवस्थित तरीके से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए.

आप क्रोनोलॉजी समझिए, मोदी ने कोविड-19 की दवा के निर्यात को लेकर ट्रंप के सामने घुटने नहीं टेके

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल लंबे समय से पेटेंट-मुक्त और सस्ती जेनेरिक दवाएं हैं. भारत के पास दुनिया के लिए इनके उत्पादन की विशिष्ट क्षमता है. हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए, इसे बेकार नहीं जाने देना चाहिए.

आप ताली, थाली, दीया और मोमबत्ती का चाहे जितना मजाक बना लें, मोदी को इससे फर्क नहीं पड़ता

मोदी को अच्छी तरह मालूम है कि उन्हें किसे संबोधित करना है, किसकी उपेक्षा करनी है, और किसे लाभ पहुंचाना है. इसलिए आप उनकी ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती का मजाक उड़ाते रहिए.

क्यों 136 करोड़ भारतीय हाथ पर हाथ धरे कोरोना को कहर ढाने की छूट नहीं दे सकते

कोरोनावायरस से कितने भारतीय संक्रमित हो सकते हैं या कितने मौत के मुंह में समा सकते हैं इसको लेकर कई भयावह आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं जिन्हें सुनकर ऐसा लगता है मानो हम अपनी किस्मत बदलने के लिए कुछ नहीं करेंगे, हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रहेंगे.

भारत अमेरिका के बीच हुआ एक सौदा जिसके मिले छह फायदे- वामपंथियों का भी हुआ सफाया

भारत और अमेरिका के बीच हुई परमाणु संधि दोनों देशों के रिश्ते में आए नये बदलाव की सबसे बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है कि इसने वामपंथ की पोल खोल कर उसे ध्वस्त किया और भारत की राजनीतिक अर्थनीति को नयी दिशा दी

मत-विमत

क्या अब हम कह सकते हैं कि हमें भारत पर गर्व है? आंकड़े तो यही बताते हैं

जैसे-जैसे हम ‘आज़ादी का अमृत काल’ की ओर बढ़ रहे हैं, हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान याद रखने चाहिए और विकास की गति को और तेज़ करना होगा, ताकि सबको ऊर्जा और समृद्धि मिल सके.

वीडियो

राजनीति

देश

विपक्ष ने संसद परिसर में एसआईआर के खिलाफ प्रदर्शन किया

( तस्वीरों के साथ)नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी नेताओं ने मंगलवार...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.