भारत के बड़े शहर बदहाल हो रहे हैं, वे विशाल झोंपड़पट्टियों में तब्दील होते जा रहे हैं, और जब उन्हें सुधारने की कोशिश की जाती है तो ‘कोरल’ यानी मूँगे की चट्टानें आड़े आने लगती हैं जैसा कि मुंबई में हुआ.
यह पहला मौका है जब बिना राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के विधेयक कानून बन गए हैं. यह न्यायपालिका द्वारा अपनी संवैधानिक शक्तियों और मर्यादा का अतिक्रमण है.