दुनियाभर के करोड़ों मुसलमानों को अगर यह लगता है कि उन्हें व्यापक ‘इस्लामोफोबिया’ का निशाना बनाया जा रहा है. उनके परम पूज्य पैगंबर मोहम्मद साहब का जानबूझकर अपमान किया जा रहा है, तो यह निश्चित ही उनमें अविश्वास और अलगाव की दहशत पैदा करता है.
मोदी-शाह की नयी राजनीति आपको कबूल है तो आपका ही भला है, नहीं कबूल है तो इस अश्वमेध के घोड़े को चुनौती देने के लिए आपको वायरल होने वाले ट्वीट्स से आगे बढ़कर कुछ करना पड़ेगा.
खुद से ही लड़ता, कमजोर पड़ चुका मीडिया किसी भी सत्तातंत्र के लिए उसके मामले में दखल देने की आदर्श स्थिति बना देता है. हमारे पेशे की बागडोर थामने वालों ने आत्मघाती कदम उठा लिया है.
हम देख चुके हैं कि चुनावों में आर्थिक सुधारों और वृद्धि आदि की बात करने का क्या हश्र होता है, खासकर तब जब आप दोबारा सत्ता में आने के लिए लड़ रहे हों, इसलिए बिहार के इस अहम चुनाव में कोई ‘पंगा’ न लेना ही मोदी को मुफीद नज़र आएगा.
केवल मोदी सरकार और भाजपा ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों से लेकर अदालतें तक सब शक की मानसिकता के शिकार हो गए दिख रहे हैं, क्या भारत एक ‘राष्ट्रीय शक्की देश’ बनता जा रहा है?
भारत आज कई गंभीर, आपस में जटिलता से उलझे हुए संकटों का सामना कर रह है, उसे राजनीतिक जमीन तथा भरोसे की जरूरत है, और यह मोदी और उनकी सरकार के ऊपर है कि वह इसे बनाने की ज़िम्मेदारी किस तरह निभाती है.
नरेंद्र मोदी के आलोचक काफी परेशान हैं कि आखिर इतनी परेशानियां झेलने के बावजूद लोग मोदी के खिलाफ क्यों नहीं हो रहे? वास्तव में लोकप्रिय, मजबूती से सत्ता में बैठे किसी भारतीय नेता को कोई प्रतिद्वंद्वी कभी नहीं हरा पाया है, मोदी ही खुद को हरा सकते हैं.
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कमला हैरिस आधी भारतीय मूल की हैं, भारत के बारे में उनके विचार इससे नहीं तय नहीं होंगे कि वे किस मूल की हैं बल्कि इससे तय होंगे कि अगली जनवरी में भारतीय अर्थव्यवस्था किस हाल मैं होगी.
राम मंदिर भूमि पूजन से भारतीय धर्मनिरपेक्षता की मौत नहीं हुई है. वह तो हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे में ही मौजूद है और उसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना जरूरी है.
इस नई दुनिया में ‘पॉपुलिज़्म’ वाम, दक्षिण, मध्य, सभी मार्गों को ध्वस्त कर रहा है. बेशक हर एक देश, मतदाता समूह, और समाज के लिए यह अलग-अलग रूप में उभर रहा है, इसका आकर्षण और इसकी सफलता इसके प्रयोग में निहित है. यह आपके दिल या दिमाग पर ज्यादा बोझ नहीं डालता.