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Monday, 24 February, 2025
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नेशनल इंट्रेस्ट

किसान आंदोलन मोदी सरकार की परीक्षा की घड़ी है. सौ टके का एक सवाल -थैचर या अन्ना किसकी राह पकड़ें ?

मोदी चाहें तो आर्थिक सुधारों से अपने कदम उसी तरह वापस खींच सकते है जिस तरह मनमोहन सिंह ने अन्ना आंदोलन के दबाव में खींचे थे, या फिर कृषि सुधारों को मारग्रेट थैचर जैसे साहस के साथ आगे बढ़ा सकते हैं; उनके फैसले पर ही देश की राजनीति की आगे की दिशा तय होगी.

किसानों के विरोध को ना मैनेज कर पाना दिखता है कि मोदी-शाह की BJP को पंजाब को समझने की जरूरत है

मोदी-शाह की भाजपा ने पंजाब और सिखों को सम्मानित साझीदार मानने की जगह उनका कृपालु बड़ा भाई बनने की जो कोशिश की, और कृषि कानूनों के मामले में जो रणनीति अपनाई उस सबने चुनौतियां पसंद करने वाले सिखों को संघर्ष करने का अच्छा बहाना थमा दिया.

पाकिस्तान की राजनीति और इस्लाम के बारे में खादिम हुसैन रिज़वी की लोकप्रियता और अचानक हुई मौत से क्या संकेत मिलता है

पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी सियासत का चेहरा माने जाने वाले मौलाना खादिम हुसैन रिज़वी की अचानक मौत के बावजूद मजहबी कट्टरपंथ के प्रति लोगों का व्यापक आकर्षण खत्म नहीं होने वाला है. 

चीन पर मोदी ने कैसे ‘नेहरू जैसी’ आधी गलती की और सेना में निवेश को नज़रअंदाज किया

मोदी यह मान बैठे कि चीन अपने आर्थिक हितों को दांव पर लगाकर हमारे लिए सैन्य चुनौती बनने की कोशिश नहीं करेगा, इसलिए प्रतिरक्षा पर खर्चे फिलहाल टाले जा सकते हैं. मोदी यहीं पर नेहरू की भूल के मुकाबले आधी भूल कर बैठे. 

ट्रंप भले ही हार जाएं लेकिन अमेरिका में ट्रंपवाद का उभार हो चुका है, यह प्रदर्शन से ज्यादा पॉपुलिज्म पर निर्भर है

भारत में जैसे मोदीत्व चल रहा है वैसे ही अमेरिका में ट्रंपवाद शुरू हो गया है. नस्लीय या सामाजिक अधिकारों के लिए बढ़ती सजगता जनता को उकसाने की राजनीतिक कला को बढ़ावा दे रही है.

किन पांच वजहों से पैदा हुआ है दुनियाभर में इस्लाम पर संकट

दुनियाभर के करोड़ों मुसलमानों को अगर यह लगता है कि उन्हें व्यापक ‘इस्लामोफोबिया’ का निशाना बनाया जा रहा है. उनके परम पूज्य पैगंबर मोहम्मद साहब का जानबूझकर अपमान किया जा रहा है, तो यह निश्चित ही उनमें अविश्वास और अलगाव की दहशत पैदा करता है.

ट्रम्प या बाइडेन? भारत-अमेरिका के संबंध में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दोनों देशों के बीच रणनीतिक गलबहियां हैं

भारत और अमेरिका एक-दूसरे से गहरी गलबहियां कर चुके हैं, पुराने बहाने इतिहास में दफन कर दिए गए हैं और सर्वोपरि राष्ट्रहित ही रणनीतिक फैसले करवा रहा है.

मोदी-शाह के अश्वमेध यज्ञ में NDA बलि चढ़ाने वाले घोड़े की तरह है जिसके सहारे वो भारतीय राजनीति की नई परिभाषा लिख रहे हैं

मोदी-शाह की नयी राजनीति आपको कबूल है तो आपका ही भला है, नहीं कबूल है तो इस अश्वमेध के घोड़े को चुनौती देने के लिए आपको वायरल होने वाले ट्वीट्स से आगे बढ़कर कुछ करना पड़ेगा.

अर्णब के रिपब्लिक बनाम दूसरे चैनलों की लड़ाई में कैसे मीडिया खुद अपनी ‘कब्र’ खोद रहा है

खुद से ही लड़ता, कमजोर पड़ चुका मीडिया किसी भी सत्तातंत्र के लिए उसके मामले में दखल देने की आदर्श स्थिति बना देता है. हमारे पेशे की बागडोर थामने वालों ने आत्मघाती कदम उठा लिया है.

मोदी अगर सच्चे सुधारक हैं तो वे वोडाफोन के प्रेत को दफन करेंगे और बिहार के चुनाव प्रचार में आर्थिक सुधारों को मुद्दा बनाएंगे

हम देख चुके हैं कि चुनावों में आर्थिक सुधारों और वृद्धि आदि की बात करने का क्या हश्र होता है, खासकर तब जब आप दोबारा सत्ता में आने के लिए लड़ रहे हों, इसलिए बिहार के इस अहम चुनाव में कोई ‘पंगा’ न लेना ही मोदी को मुफीद नज़र आएगा.

मत-विमत

प्रकृति लम्साल की आत्महत्या के बाद KIIT यूनिवर्सिटी में नेपाल के छात्रों ने कहा — ‘माफी काफी नहीं’

छात्रों ने कहा कि केआईआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें बेदखल करने के आदेश के बाद उन्हें नेपाल लौटने के लिए उधार लेना पड़ा, जिसके कारण नेपाल के प्रधानमंत्री ने दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भुवनेश्वर भेजा.

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राजनीति

देश

भारतीय राजनीति में विदेशी धन के उपयोग पर श्वेतपत्र प्रकाशित किया जाना चाहिए: माकपा

डानकुनी (पश्चिम बंगाल), 23 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल में 2011 के विधानसभा चुनाव से विदेशी धन का इस्तेमाल होने का आरोप लगाते हुए...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.