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शनिवार, 19 अप्रैल, 2025
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जैसे जैसे UP गर्त में जा रहा, योगी के सितारें बुलंद हो रहे हैं- इतने कि वो मोदी से लाइमलाइट की होड़ में है

योगी के राज में उत्तर प्रदेश की हालत शायद ही बेहतर हुई है लेकिन उनका अपनी राजनीतिक हैसियत इतनी जरूर बढ़ गई है कि मोदी को उस पर ध्यान देना पड़ रहा है.

वो 7 कारण जिसकी वजह से मोदी सरकार ने कृषि सुधार कानूनों से हाथ खींचे

कृषि सुधार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बन सकते थे मगर समझदारी तथा धैर्य की कमी और अतीत के प्रति नफरत ने इसे एक संकट में बदल दिया है.

न उड़ता, न पढ़ता 2003 के बाद से लुढ़कता ही रहा है पंजाब

एक समय भारत का सबसे समृद्ध राज्य आज नीचे फिसल गया है और पिछड़ गया है, उसे अब गेहूं-चावल-एमएसपी के नशे से बाहर निकलकर अपनी उद्यमशीलता को फिर से जगाने की जरूरत है.

सोनिया से कश्मकश भरे रिश्ते, कांग्रेस से मन भेद -रायसीना हिल्स की राजनीतिक पैंतरेबाजी पर प्रणब दा की चुप्पी खटकती है

प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों की अंतिम किताब में असली राजनीतिक मसलों से किनारा किया गया है, विस्तार से बताने से बचा गया है, किताब बहुत कुछ बताने की जगह बहुत कुछ छिपा लेती है इसलिए बहुत निराश करती है

मोदी लोकप्रिय हैं, भाजपा जीतती रहती है, लेकिन भारत के इंडीकेटर्स और ग्लोबल रैंकिंग चिंताजनक है

सरकार की अपनी NFHS, साथ ही कई वैश्विक गैर-वाम संस्थानों की रैंकिंग ने भारत के विकास संकेतकों में गिरावट दिखाई है. जिसका खामियाजा जल्दी ही भुगतना पड़ सकता है.

जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र होने का भ्रम: बिना राजनीतिक आज़ादी के कोई आर्थिक आज़ादी टिक नहीं सकती

वैसे, एक महत्वपूर्ण सवाल जरूर उभरता है— लोकतंत्र आर्थिक वृद्धि के लिए अच्छा है या बुरा? कितना लोकतंत्र अच्छा है और कब यह जरूरत से ज्यादा हो जाता है? क्या सीमित लोकतंत्र जैसी भी कोई चीज होती है?

किसान आंदोलन मोदी सरकार की परीक्षा की घड़ी है. सौ टके का एक सवाल -थैचर या अन्ना किसकी राह पकड़ें ?

मोदी चाहें तो आर्थिक सुधारों से अपने कदम उसी तरह वापस खींच सकते है जिस तरह मनमोहन सिंह ने अन्ना आंदोलन के दबाव में खींचे थे, या फिर कृषि सुधारों को मारग्रेट थैचर जैसे साहस के साथ आगे बढ़ा सकते हैं; उनके फैसले पर ही देश की राजनीति की आगे की दिशा तय होगी.

किसानों के विरोध को ना मैनेज कर पाना दिखता है कि मोदी-शाह की BJP को पंजाब को समझने की जरूरत है

मोदी-शाह की भाजपा ने पंजाब और सिखों को सम्मानित साझीदार मानने की जगह उनका कृपालु बड़ा भाई बनने की जो कोशिश की, और कृषि कानूनों के मामले में जो रणनीति अपनाई उस सबने चुनौतियां पसंद करने वाले सिखों को संघर्ष करने का अच्छा बहाना थमा दिया.

पाकिस्तान की राजनीति और इस्लाम के बारे में खादिम हुसैन रिज़वी की लोकप्रियता और अचानक हुई मौत से क्या संकेत मिलता है

पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी सियासत का चेहरा माने जाने वाले मौलाना खादिम हुसैन रिज़वी की अचानक मौत के बावजूद मजहबी कट्टरपंथ के प्रति लोगों का व्यापक आकर्षण खत्म नहीं होने वाला है. 

चीन पर मोदी ने कैसे ‘नेहरू जैसी’ आधी गलती की और सेना में निवेश को नज़रअंदाज किया

मोदी यह मान बैठे कि चीन अपने आर्थिक हितों को दांव पर लगाकर हमारे लिए सैन्य चुनौती बनने की कोशिश नहीं करेगा, इसलिए प्रतिरक्षा पर खर्चे फिलहाल टाले जा सकते हैं. मोदी यहीं पर नेहरू की भूल के मुकाबले आधी भूल कर बैठे. 

मत-विमत

अबकी बार 75 पार—मोदी कहीं नहीं जा रहे, विपक्ष पुरानी सोच में उलझा है

क्या मुफ्त रेवड़ियां विपक्ष को आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं? वे ऐसा जो भी वादा करेंगे, मोदी उससे बेहतर पेशकश कर देंगे. मोदी चूंकि सत्ता में हैं, उनके वादी को ज्यादा विश्वसनीय माना जाएगा.

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पटनायक नौवीं बार बने बीजद के अध्यक्ष, कार्यकर्ताओं से भाजपा के “झूठ” को उजागर करने की अपील की

(फाइल फोटो के साथ) भुवनेश्वर, 19 अप्रैल (भाषा) ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लगातार नौवीं बार बीजू जनता दल (बीजद) का...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.