एक समय, आईएसआई का सोच यह था कि यहां के हिंदू अपने यहां के अल्पसंख्यकों से बदला लेने पर उतर आएंगे. वे भारत में इस तरह का संकट पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं कि इस देश में गृहयुद्ध छिड़ जाए.
क्या मुफ्त रेवड़ियां विपक्ष को आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं? वे ऐसा जो भी वादा करेंगे, मोदी उससे बेहतर पेशकश कर देंगे. मोदी चूंकि सत्ता में हैं, उनके वादी को ज्यादा विश्वसनीय माना जाएगा.
दो महाशक्तियों के इस व्यापार युद्ध ने सभी प्रभावित देशों के लिए संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए हैं. ऐसे देशों में भारत सबसे बड़ा और सबसे निर्णायक देश है, उसे कोविड दौर वाले सुधारों को फिर से आगे बढ़ाना होगा.
ट्रंप जबकि गोली दागने की धमकी दे रहे हैं, अपनी पीठ खुद ठोकने में व्यस्त भारतीय सत्ता-तंत्र को सुर्खियां बनवाने के मोह से छुड़ाने के लिए ऐसी ही धमकी की जरूरत थी.
शास्त्री की विरासत पर ताशकंत में हुए शांति समझौते, और उनके उस जानलेवा दौरे का साया अनुचित रूप से हावी हो जाता है, जबकि ‘हरित क्रांति’ और प्रतिभाशाली वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन की खोज उनकी यादगार विरासतों में शामिल हैं.
राजीव गांधी को बोफोर्स आदि के लिए कोसना फैशन बन गया है लेकिन सच यह है कि हमारे इतिहास में सिर्फ 1985-89 वाला दौर ही ऐसा था जब हथियारों की खरीद भविष्य के मद्देनजर आगे बढ़कर की गई.
मुक्त व्यापार, वैश्वीकरण पर ध्यान दीजिए; केवल यूक्रेन और गाज़ा ही ऐसे मसले नहीं हैं जो भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं. हकीकत यह है कि ट्रंप ने परमाणु अप्रसार के विचार की हत्या करके उसे दफन कर दिया है. परमाणु हथियार फिर से युद्ध-प्रतिरोधक बन गए हैं.
तमाम लोकतांत्रिक देशों में ‘डीप स्टेट’ आज साजिश के आरोपों को जन्म दे रहा है. इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई और अब भारत भी इसमें तेजी से आगे बढ़ रहा है. कई यूरोपीय देश भी इस कारवां में शामिल हो रहे हैं.
केजरीवाल और ‘आप’ समाप्त नहीं, तो ध्वस्त तो हो ही चुके हैं. वैसे, हारने के बाद भी उनके पास अभी पंजाब जैसा बड़ा राज्य है, दिल्ली का नगर निगम है और 43 प्रतिशत वोट हैं.