पाकिस्तान की फौज ऊंची बोली लगाने वाले के लिए किराये पर उपलब्ध रही है, चाहे वह मुस्लिम हो या ईसाई. पाकिस्तान कभी किसी मुसलमान की मदद के लिए आगे नहीं आया, चाहे वे फिलस्तीन के हों या गज़ा के; हां, वह शोर जरूर मचाता रहा है.
ट्रंप से मिलकर मुनीर एबटाबाद कांड के बाद अमेरिका से रिश्ते में आई सलवटों को दूर करके सामान्य स्थिति बहाल करने में कामयाब हुए हैं, व्हाइट हाउस की यह तस्वीर बताती है कि पाकिस्तान किस तरह अपना वजूद बचाता रहा है, कभी-कभी किस तरह फलता-फूलता रहा है, किस तरह सोचता रहा है
अपने ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट का पाकिस्तान के गोल्ड मेडलिस्ट से होड़ लेने पर शांत रहने और पाकिस्तान के साथ एक सामान्य क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने पर तूफान खड़ा करने का पाखंड तीन बातें उजागर करता है.
बाढ़ के कारण दशकों के सबसे मुश्किल दौर में, पंजाब को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी आएंगे. अगर उनके पास बिहार दौरे का समय है, तो पड़ोसी पंजाब का एक छोटा सा दौरा क्यों नहीं?
आसिम मुनीर मानते हैं कि उनके डंपर ट्रक के रास्ते में यहां-वहां कुछ ठोकर हो सकते हैं लेकिन वे इसे ड्राइव करके इसे और खुद को मौत के मुंह तक नहीं ले जाने वाले हैं. वे इसे एक सामरिक और रणनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं.
पुतिन इसे अपनी जीत मान रहे हैं. यूरोपीय देशों ने बड़े पश्चिमी गठबंधन को बचाने के लिए ट्रंप की शर्तों पर उनसे समझौता करने का फैसला किया है. अब देखते हैं कि भारत के लिए इसमें क्या सबक छिपा है.
अब जबकि मई की 87 घंटे लंबी जंग में IAF और PAF दोनों ने एक-दूसरे के विमान गिराने का औपचारिक दावा किया है, तो बड़ा सवाल यह उठता है: क्या ऐसे आंकड़े वाकई मायने रखते हैं?
अमेरिका को चुनौती देना भारत के किसी नेता के लिए आमतौर पर निजी जोखिम नहीं होता. विदेशी दबाव की बात आते ही देश एकजुट होकर उस नेता के साथ खड़ा हो जाता है जिसे वे इस लड़ाई में अपना अगुआ मानते हैं.
ट्रंपियन कूटनीति से अपनी रक्षा करने के लिए सबसे पहले हमें अपने सत्तातंत्र के अंदर के विमर्श में जो विरोधाभास हैं उनका विश्लेषण करना होगा. आप तब से शुरू कर सकते हैं जब 2014 की गर्मियों में मोदी सत्तासीन हुए थे.