क्लार्क ने कहा, ‘मुझे लगता है कि एयर इंडिया के लिए सबसे अच्छी बात यह हो सकती थी कि टाटा इसे अपने हाथ में ले ले. इस कमरे में शायद मैं अकेला हूं, जिसने उस समय एयर इंडिया से उड़ान भरी थी, जब टाटा एयर इंडिया चला रही थी और यह उसके स्वामित्व में थी. यह एक अच्छी एयरलाइन थी.'
बदकिस्मती को दोष मत दीजिए. यह बड़ी नाकामी और लापरवाही है. हालात इतने खराब हैं कि पुराने पीएसयू दौर की इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया में भी इस पर बड़े अफसरों पर कार्रवाई हो जाती.