मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित पांच करोड़ छात्र स्कूल स्तर पर संस्कृत का अध्ययन करते हैं जबकि 10 लाख के करीब उच्च स्तर की शिक्षा में.
लड़कियों को टोल कलेक्टर में इसलिए भर्ती किया गया था कि इससे गाली-गलौच में कमी आएगी. लोग लड़की को देखकर ठीक तरीके से बात करेंगे, लेकिन उनके साथ ज़्यादा बदतमीजी की जाती है.
आखिर क्षेत्रीय या राज्य स्तर पर ऐसा क्या घटा था जिसके कारण चुनावी राजनीति का पूरा चरित्र ही बदल गया? जबकि राजनीतिक तौर पर उत्तर प्रदेश पिछड़ों और दलित राजनीतिक चेतना को अभिव्यक्त करने वाले राजनीतिक दलों का मज़बूत उदाहरण पेश करता रहा है.