सेवानिवृत्त सेना के सूबेदार मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर 10 दिनों के लिए एक नजरबंदी शिविर में रखा गया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि हत्या के दोषी की दुर्दशा भी इससे बेहतर है.
कर्मचारी न केवल काम टालते हैं बल्कि ऑफिस भी समय पर नहीं पहुंच रहे थे जिसकी शिकायत लगातार मेयर देवीदास काले को मिल रही थी और वह कर्मचारियों को आगाह भी कर रहे थे.
अगर भागवत का समावेशिता का आह्वान वास्तविक है, तो उन्हें अपने वैचारिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विघटनकारी तत्वों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए.