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Wednesday, 1 May, 2024
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कठुआ गैंगरेप मामले में सांजी राम सहित 3 दोषियों को उम्रकैद, 3 को 5-5 साल की सजा

100 से ज्यादा सुनवाई और 130 से अधिक गवाहों के बयान को सुनने के बाद, पठानकोट की जिला और सेशन कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाया है.

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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में पठानकोट के जिला न्यायालय के जज तेजविंदर सिंह ने छह आरोपियों को दोषी पाया है, जबकि एक को बरी कर दिया गया है. दोपहर बाद हुई कार्यवाही में तीन दोषियों को आजीवन कारावास और तीन को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है.

पीड़ितों के वकील फारूखी ने बताया कि तीनों दोषियों- सांझीराम, दीपक खजूरिया, प्रवेश को आजीवन कारावास बाकि तीन को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है. वहीं सबूत मिटाने के मामले में तीन पुलिस वालों को भी 5 साल की सजा हुई है.

पीड़ितों के वकील मुबीन फारूकी ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘तीनों को 302 (हत्या) और 376 डी (सामूहिक बलात्कार) के तहत रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) के तहत दोषी ठहराया गया है. हत्या के आरोप के तहत, उन्हें 1 लाख के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास हुआ है, जबकि सामूहिक बलात्कार के आरोप में उन्हें 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ 25 साल जेल की सजा काटनी होगी.’

पुलिस अधिकारियों तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरेंद्र वर्मा को साक्ष्य नष्ट करने के कारण आरपीसी की धारा 201 के तहत पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई है.

इससे पहले न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने मंदिर के संरक्षक व ग्राम प्रधान सांजी राम, एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार को दोषी करार दिया था. जबकि सांजी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया था. दोषियों की सजा की घोषणा दोपहर 2 बजे होनी थी.

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पठानकोट के जिला न्यायालय में जज ने 100 से ज्यादा सुनवाई और 130 से अधिक गवाहों के बयान को सुनने के बाद, यह फैसला सुनाया है.

पिछले जून में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ‘हर दिन कैमरा ट्रायल’ कराने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के बाद आया था.

क्या था पूरा मामला

जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रसाना में आठ साल की एक बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसके बाद हत्या के मामले में विशेष अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया.देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में कैमरा ट्रायल 3 जून को पूरा हो गया था. इस पूरे मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने आज ही फैसले की तारीख दी थी. आज आने वाले फैसले को देखते हुए पंजाब के पठानकोट में चाक चौबंद व्यवस्था की गई है.

जनवरी 2018 में क्या हुआ, कौन-कौन था शामिल

जनवरी 2018 में कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या ने सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था. जिससे इलाके में भयंकर विवाद गहराने से ध्रुवीकरण की संभावना बन गई थी. पुलिस के अनुसार, बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गांव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साजिश का हिस्सा था.

पुलिस के मुताबिक, एक पूर्व राजस्व अधिकारी और प्रसिद्ध स्थानीय व्यक्ति सांझी राम ने लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साजिश रची. अन्य आरोपी सांझी राम के भतीजे (एक किशोर), राम के बेटे विशाल जंगोत्रा, एक स्नातक छात्र, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज, उप-निरीक्षक आनंद दत्ता, और एक अन्य किशोर जोकि नाबालिग का दोस्त, इसमें शामिल थे.

यह मामला 9 अप्रैल 2018 को सुर्खियों में आया जब पुलिस ने कठुआ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया. पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने से रोकने के लिए, स्थानीय वकीलों ने हंगामा किया और निचली अदालतों में कानून-व्यवस्था का मखौल बनाते हुए समाप्त किया. जिसके बाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप कर इस मुकदमे को पठानकोट में स्थानांतरित करने का आदेश देने के साथ ही प्रत्येक दिनों की कार्रवाई कैमरे के समक्ष करने की बात कही.

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