एसकेएम के नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के अलावा एमएसपी, हमारे खिलाफ मामलों को वापसी, बिजली विधेयक 2020 और वायु गुणवत्ता अध्यादेश को वापस लेना और हमारे मरने वाले दोस्तों के लिए एक स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने जैसे मुद्दे लंबित है.
जोहल का कहना है कि कृषि क्षेत्र में सुधार आपसी सहमति से किए जाने चाहिए. वो आगे कहते हैं कि कृषि क़ानून वापस लिए जाने के बाद भी मौजूदा व्यवस्था किसानों के पक्ष में नहीं है.
मौत के बाद जितेंद्र उर्फ कल्लू की पीठ पर दिखे नीले निशानों के कारण पुलिस पर बर्बरता के आरोप लगे हैं. परिवार का कहना है कि वह काफी डरा हुआ था लेकिन उसने पिटाई के बात से इनकार किया था. परिजन चाहते हैं कि उसकी मौत के जिम्मेदार लोगों को सजा मिले.
उत्तराखंड और कर्नाटक उन राज्यों में थे, जिन्होंने केंद्रीय कृषि कानूनों के आधार पर अपने कानून बना लिए थे. अब जहां पर्वतीय राज्य कानून को रद्द किए जाने का स्वागत कर रहा है, वहीं दक्षिणी सूबे के मंत्री ‘चकराए’ हुए हैं.
कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने कृषि से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति के गठन की भी घोषणा की है. विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श वाला रुख अपनाने से बेहतर नतीजे सामने आ सकते हैं.
कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से घर लौटने की अपील की और कहा कि सरकार सभी मुद्दों के समाधान के लिए वैज्ञानिकों, किसान संगठनों और अधिकारियों की समिति गठित करेगी.