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Friday, 8 November, 2024
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चार बातें, जो तय करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर के झटके से कैसे उबरेगी

चालू लॉकडाउन, आशंकाएं और अनिश्चितता आर्थिक वृद्धि दर को नीचे खींच रही हैं लेकिन महामारी की दूसरी लहर जब शांत पड़ने लगी है तब अगली तिमाही में आर्थिक कारोबार में सुधार की उम्मीद जागने लगी है.

दूसरी कोविड लहर में भारतीय निर्यात क्यों अच्छा कर रहे हैं और नए प्रतिबंध उन्हें कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं

वैश्विक मांग में सुधार से इंजीनियरिंग वस्तुओं और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है. अप्रैल में निर्यात 2020 की तुलना में 196% और 2019 की तुलना में 17% बढ़ा है.

दो हफ्तों में 9वीं बार बढ़े तेल के दाम, मुंबई में पेट्रोल की कीमत 99 रुपये के करीब पहुंची

राजस्थान के श्री गंगानर जिले में पेट्रोल सबसे महंगी 103.52 रुपये लीटर जबकि डीजल 95.99 रुपये प्रति लीटर है.

तमाम संकेतकों में गिरावट, उम्मीद से कम वृद्धि दर- कोविड की इस लहर ने अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया

उम्मीद है भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुकाबले इस साल बेहतर हाल में रहेगी लेकिन कोविड की दूसरी लहर से पहले वृद्धि दर 13% से ज्यादा रहने का जो अनुमान लगाया जा रहा था उसकी जगह यह दर 11% या उससे नीचे ही रह सकती है.

कोविड-19 महामारी के चलते भारत को 2020 में 83 अरब डॉलर की सहायता मिली: विश्व बैंक रिपोर्ट

विश्व बैंक द्वारा बुधवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान चीन ने 59.5 अरब डॉलर का धनप्रेषण हासिल किया, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 68.3 अरब डॉलर था.

वैक्सीन फंडिंग पर मोदी सरकार की हकीकत—राज्यों के लिए 35,000 करोड़ रुपये, केंद्र के लिए जीरो

2021-22 के बजट संबंधी दस्तावेज दर्शाते हैं कि सरकार ने केंद्र की तरफ से वैक्सीन फंडिंग के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की. हालांकि, इस वित्त वर्ष में टीकाकरण पर अब तक 2,520 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

एसोचैम की मांग पर ध्यान दे मोदी सरकार, ऑक्सीजन उपकरणों, दवाओं पर से GST हटाए : NCP

महाराष्ट्र के एनसीपी के प्रमुख जयंत पाटिल ने वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को लिखे गये एक पत्र में इसकी मांग की है.

‘डरावने संकेत’ : ग्रामीण भारत बुरी तरह कोविड की चपेट में, आधे नए मामले यहीं से सामने आ रहे

देशभर में हर दिन सामने आ रहे नए केस पिछले साल की तुलना में 300 फीसदी अधिक है, जिसका सीधा-सा मतलब है कि ये बुनियादी ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ाएंगे.

कोविड की मार खाई इकोनॉमी की मदद के लिए RBI ने की अच्छी शुरुआत, अब बैंकों की आगे आने की बारी

रिजर्व बैंक ने छोटे ऋण लेने वालों और असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को केंद्र में रखकर कदम उठाए हैं, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश की है लेकिन असली बात तो यह है कि  उपायों को कितनी गंभीरता से लागू किया जाता है    

‘फ्यूचर ब्राइट है’ RBI ने वैक्सीन बनाने वालों, अस्पतालों, हेल्थकेयर के लिए 50,000 करोड़ रुपये का पिटारा खोला

कोविड-19 से संक्रमित लोगों के इलाज में काम आने वाली वस्तुओं और बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इनके कारोबार में लगी इकाइयों को बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज की एक नयी सुविधा भी शामिल है.

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