चालू लॉकडाउन, आशंकाएं और अनिश्चितता आर्थिक वृद्धि दर को नीचे खींच रही हैं लेकिन महामारी की दूसरी लहर जब शांत पड़ने लगी है तब अगली तिमाही में आर्थिक कारोबार में सुधार की उम्मीद जागने लगी है.
वैश्विक मांग में सुधार से इंजीनियरिंग वस्तुओं और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है. अप्रैल में निर्यात 2020 की तुलना में 196% और 2019 की तुलना में 17% बढ़ा है.
उम्मीद है भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुकाबले इस साल बेहतर हाल में रहेगी लेकिन कोविड की दूसरी लहर से पहले वृद्धि दर 13% से ज्यादा रहने का जो अनुमान लगाया जा रहा था उसकी जगह यह दर 11% या उससे नीचे ही रह सकती है.
विश्व बैंक द्वारा बुधवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान चीन ने 59.5 अरब डॉलर का धनप्रेषण हासिल किया, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 68.3 अरब डॉलर था.
2021-22 के बजट संबंधी दस्तावेज दर्शाते हैं कि सरकार ने केंद्र की तरफ से वैक्सीन फंडिंग के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की. हालांकि, इस वित्त वर्ष में टीकाकरण पर अब तक 2,520 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
देशभर में हर दिन सामने आ रहे नए केस पिछले साल की तुलना में 300 फीसदी अधिक है, जिसका सीधा-सा मतलब है कि ये बुनियादी ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ाएंगे.
रिजर्व बैंक ने छोटे ऋण लेने वालों और असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को केंद्र में रखकर कदम उठाए हैं, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश की है लेकिन असली बात तो यह है कि उपायों को कितनी गंभीरता से लागू किया जाता है
कोविड-19 से संक्रमित लोगों के इलाज में काम आने वाली वस्तुओं और बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इनके कारोबार में लगी इकाइयों को बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज की एक नयी सुविधा भी शामिल है.