ज्यादातर स्टूडेंट्स गौतम कुमार को नहीं जानते थे क्योंकि नया शैक्षणिक वर्ष अभी एक महीने पहले ही शुरू हुआ था, लेकिन उनकी मौत ने गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में इस विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है.
21 सालों में जेपीएससी ने सिर्फ 13 परीक्षाएं आयोजित की हैं, जबकि इसे सालाना आयोजित किया जाना चाहिए. ऐसी एक भी सिविल सेवा परीक्षा नहीं हुई है, जिसका मसला अदालत में न गया हो.
रंगमंच के सितारे गोपाल शरमन और जलाबाला वैद्य ने अक्षरा थिएटर को अपने हाथों से बनाया है — सचमुच. आज यह जिस संघर्ष का सामना कर रहा है, वह दिल्ली के रंगमंच परिदृश्य में बड़े अस्तित्वगत संकट का एक छोटा-सा रूप है.
टोल बूथ के मुखबिरों से लेकर इंस्टाग्राम योद्धाओं और चुनाव उम्मीदवारों तक — हरियाणा के गौरक्षक धर्म, कानून और राजनीति के बीच की रेखाओं को धुंधला कर रहे हैं और अपने पीछे अराजकता फैला रहे हैं.
दिल्ली के आईआईसी में एक व्याख्यान के दौरान जेएनयू की प्रोफेसर आर महालक्ष्मी ने कहा कि समय के साथ सात्विक और तामसिक जैसे शब्दों के अर्थ बदल गए हैं. अब ‘हम सिर्फ भोजन को ही नहीं बल्कि खाने वालों को भी देख रहे हैं’.
हिंदी साहित्य में प्रेमचंद, निराला और निर्मल वर्मा जैसे महान लेखकों का बोलबाला है. ओमप्रकाश वाल्मीकि और तुलसीराम जैसी दलित-बहुजन आवाज़ों ने यथास्थिति को हिलाकर रख दिया, लेकिन अभी भी एक नए सिद्धांत की कमी है.
1970 के दशक में उर्दू बाज़ार में 50 से ज़्यादा किताबों की दुकानें थीं, लेकिन अब सिर्फ 5 ही बची हैं. बाज़ार अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह उर्दू प्रिंटिंग, प्रकाशन और कविताओं के युग का आखिरी दौर है.
फरीदाबाद में गौरक्षकों द्वारा मारे गए 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा के पिता ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर अवैधता बंद होनी चाहिए. आरोपी अनिल कौशिक से मिलने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं इसका समर्थन नहीं करता’.
हरियाणा के हंसवास खुर्द गांव में गोमांस खाने के आरोप में भीड़ द्वारा 25-वर्षीय युवक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद साथी प्रवासी मज़दूरों ने असम और बंगाल लौटने का फैसला किया है. ‘पुलिस हमें यहां कब तक बचा सकती है?’
छात्रों ने कहा कि केआईआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें बेदखल करने के आदेश के बाद उन्हें नेपाल लौटने के लिए उधार लेना पड़ा, जिसके कारण नेपाल के प्रधानमंत्री ने दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भुवनेश्वर भेजा.