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Thursday, 14 November, 2024
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कॉलेज की पढ़ाई, सरकारी काम, भर्ती परीक्षाएं, सब कुछ हिंदी में हो– शाह के नेतृत्व वाले भाषा पैनल की सिफारिश

संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंदी भाषी राज्यों में हाई कोर्ट की कार्यवाही भी हिंदी में होनी चाहिए. रिपोर्ट उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश करती है जो 'जानबूझकर हिंदी में काम नहीं करते हैं.'

DU में B.COM में एडमिशन लेना चाह रहे ज्यादातर छात्र, रामजस और किरोड़ीमल कॉलेज पहली पसंद

डीयू ने अपनी दाखिला वेबसाइट पर एक नया ‘टैब’ जोड़ा है जिससे छात्रों द्वारा पाठ्यक्रम-कॉलेज को दी जा रही प्राथमिकता पर आंकड़े प्राप्त हो रहे हैं.

MERITE: इंजीनियरिंग की शिक्षा में सुधार के लिए मोदी सरकार की पंचवर्षीय, 20 सूत्रीय कार्य योजना

यह योजना सामाजिक रूप से कमजोर समूहों और कॉलेजों को लक्षित करेगी, जिनके पास पर्याप्त शैक्षणिक और ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

नौकरी के साथ एकेडमिक रेपुटेशन भी खोई’ – कैसे DU के भर्ती अभियान से एड हॉक टीचर्स की हालत हुई बदतर

दर्जनों एडहॉक शिक्षकों ने दावा किया कि इस महीने डीयू की स्थायी शिक्षकों की भर्ती शुरू होने के बाद उनकी नौकरी चली गई. इस प्रक्रिया में इतने सालों की उनकी सर्विस की 'गलत ढंग से' अनदेखी की गई है.

छोटे शहरों के युवाओं के लिए आसान लोन से जगी उम्मीदें, एफोर्डेबल देशों में पढ़ने का सपना हो रहा पूरा

शिक्षा सलाहकारों और वित्तीय संस्थानों का दावा है कि टियर II और III के शहरों में रहने वाले छात्रों की विदेशों में शिक्षा के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है. इन छात्रों का कहना है कि विदेशी डिग्रियां उनके अच्छे भविष्य के लिए मददगार साबित होंगी.

‘गांधी, नेहरू’ से फोकस हटा, मोदी सरकार के राज में यूनिवर्सिटी के नाम बदलने का चलन कैसे बदला

आरएसएस के पूर्व प्रमुख से लेकर 19वीं सदी की मराठी कवयित्री तक, भाजपा शासित तीन राज्यों के विश्वविद्यालयों के नाम बदलकर कम जाने-पहचाने लोगों के नाम पर रखे गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मकसद स्थानीय लोगों के साथ जुड़ना है.

टेक्निकल रेग्युलेटर ने यूनिवर्सिटी, कॉलेजों से वैदिक बोर्ड के छात्रों को मान्यता और एडमिशन देने को कहा

ये कदम अगस्त में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज की तरफ से महर्षि संदीपणि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड को समकक्ष बोर्ड का दर्जा दिए जाने के बाद उठाया गया है.

‘कैसे स्कोर करें के बजाए कैसे स्टडी करें’ – क्यों भारतीय माता-पिता विदेशी स्कूल बोर्ड चुन रहे हैं

डेटा दर्शाता है कि बड़ी संख्या में माता-पिता सीबीएसई को दरकिनार कर रहे हैं और आगे विदेशी कॉलेजों में पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए बच्चों को आईबी और आईजीएससीई स्कूलों में एडमिशन दिला रहे हैं.लेकिन आलोचक‘क्लास सिस्टम’ को लेकर चिंतित हैं.

देश में विदेशी छात्रों की संख्या पिछले सात सालों में 42% बढ़ी, ज्यादातर बच्चे नेपाल और अफगानिस्तान से

सरकार के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादातर दक्षिण एशियाई देश आज भी बड़ी संख्या में अपने छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं. लेकिन भूटान और मलेशिया से आने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है.

MNC में जॉब , मोटी तनख्वाह – IIT-IIM के बाद, छोटे-मोटे प्राइवेट कॉलेज भी अब प्लेसमेंट गेम में पीछे नहीं रहे

ऐसे कॉलेजों के छात्रों को बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओर से 40 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा के ऑफर मिल रहे हैं. इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि आज कंपनियां बड़े-बड़े नामों के बजाय स्किल को ज्यादा तरजीह दे रहीं हैं.

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इटावा/मुजफ्फरनगर/मथुरा, 14 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, इटावा और मथुरा जिलों में बृहस्पतिवार को कोहरे के कारण हुई अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में दो...

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