संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, IIT ने 2018 के बाद से 3 संस्थानों में सबसे अधिक छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं दर्ज की है, जबकि NIT में ऐसी 24 मौतें और IIMS में 4 मौतें हुई हैं.
इस कदम का उद्देश्य मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या को रोकना है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उम्मीद है कि इससे इस साल लगभग 1,500 अतिरिक्त सीटें उपलब्ध होंगी.
एआईसीटीई के आंकड़े बताते हैं कि 2021-2022 में 1,20,946 छात्रों को प्रबंधन के क्षेत्र में नौकरियों के प्रस्ताव मिले, जिसमें इसके पिछले वर्ष महामारी के कारण काफी गिरावट नजर आई थी. प्लेसमेंट के प्रतिशत में भी पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है.
माता-पिता अपने बच्चों को व्हाइटहैट जूनियर और कैंपके-12 जैसे प्लेटफॉर्म से हटा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसका कोई मतलब नजर नहीं आ रहा है. हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लेकर हाइप भले ही कम हो गई है लेकिन उम्मीदें अभी बाकी हैं.
कई भारतीय मेडिकल छात्र जो युद्धग्रस्त यूक्रेन से भाग आये थे, बाद में अपनी डिग्री पूरी करने के लिए लौट गये. लेकिन यूक्रेन की वॉर एनिवर्सरी अब उनके डर को बड़ा रही है.
एजुकेशन टेस्टिंग सर्विस (ETS) भारतीय सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रीय मूल्यांकन नियामक ‘परख’ स्थापित करने के लिए काम कर रही है, जो परीक्षा के लिए मानदंड स्थापित करेगी.
एक उज्ज्वल भविष्य की आशाओं से भरे जीवन से दूर, तालिबान द्वारा उच्च शिक्षा के उनके अधिकारों को रद्द करने के फरमान को लागू करने के बाद से अफगान महिलाएं घरेलू नीरसता में फंस रही हैं.
कोविड प्रतिबंधों के कारण विदेश से ऑनलाइन डिग्री पूरी करने वाले मेडिकल छात्रों का दावा है कि भारत में 1 के बजाय 2 साल की इंटर्नशिप अनिवार्य करने का नया नियम उनके करिअर और आर्थिक हालत को प्रभावित कर रहा है.