एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि चीन द्वारा एक अक्षम हो चुके उपग्रह को भौतिक रूप से 'ग्रेवयार्ड ऑर्बिट' में धकेला जाना अंतरिक्ष की हथियारबंदी वाली दौड़ में एक नया खतरा है.
एक इंटरव्यू में लेफ्टीनेंट जनरल पांडे कहा है कि कश्मीर में स्थाई शांति और स्थिरता के लिए सही बीमारी और संकट का पता लगाना जरूरी है. सिर्फ इस बीमारी के लक्षण का इलाज करना कोई समाधान नहीं है.
यह पहली बार है जब भारतीय सेना ने गलवान घाटी, जहां जून 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच घातक झड़प हुई थी, का दौरा करने वाले अपने किसी शीर्ष अधिकारी की तस्वीरें जारी की हैं.
दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने ये भी कहा, कि अफगान-भाषी लोगों के PoK में पहुंचने की ख़बरें मिली थीं, और सैकड़ों अफगानी SIM कार्ड्स LoC के आसपास के इलाक़ों में सक्रिय थे.
कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद, पहली बार साल 2000 में मंत्रियों के एक समूह ने ‘समुद्री मामलों के प्रबंधन के लिए एक शीर्ष निकाय’ के गठन का सुझाव दिया था.’
चीन के सरकारी मीडिया ने 1 जनवरी को ‘नए साल के पहले दिन गलवान घाटी में फहराता राष्ट्रीय ध्वज’ शीर्षक के साथ एडिटेड तस्वीरें जारी की थी. इसे लेकर भारत में राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया था.
भारत की मिलिट्री एकेडमियों से स्नातक हुए कैडेटों को छह महीने के वीज़ा देकर राहत दी गई थी. हालांकि, उन्हें यहां काम करने की अनुमति नहीं है. लिहाजा इनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा था.
गौरतलब है कि 18 फरवरी, 1946 को रॉयल इंडियन नेवी के ‘तलवार’ जहाज पर सवार नौसैनिकों द्वारा विद्रोह शुरू किया गया था और बाद में 78 जहाज इसका हिस्सा बन गए.
भारतीय सरकार ने जनता का मनोबल शांत करने की कोशिश की, जैसे कि कहा ‘ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है’, लेकिन साफ है कि ऐसा नहीं है. वरना हम दुश्मन के साथ क्रिकेट क्यों खेल रहे होंगे?