आज भी पढ़ी-लिखी लड़कियों के शादी से बाहर निकलने या रहने की व्यवस्था घर के बड़े-बुज़ुर्गों के हाथों में है. कुछ ऐसा ही हाल है तेजप्रताप और एश्वर्या की शादी का.
हिंदीे के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह की मृत्यु से साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त है. पर नामवर सिंह ने कोई ख़ाली जगह नहीं छोड़ी, उन्होंने अपनी जगह बनायी और उसे बख़ूबी भर दिया. कोई और नामवर सिंह नहीं हो सकता.
ज़ोया अख्तर ने साबित कर दिया है कि वह बिलकुल आज के समय की, युवाओं की डायरेक्टर हैं. युवा नब्ज़ को पकड़ती हैं, घिसी-पिटी नहीं बिलकुल नई और मौलिक जवां कहानियों के साथ.