शिक्षक द्वारा किए गए कुछ प्रयासों का परिणाम है कि ज्यादातर बच्चे हस्तकला में दक्ष तो हो ही रहे हैं, उनमें सौंदर्यबोध भी विकसित हो रहा है और वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बन रहे हैं.
परवेश्वरन दीनदयाल अनुसंधान संस्थान के निदेशक भी बने जहां वे 1982 तक कार्य करते रहे. फिर उन्होंने केरल में काम करने का सोचा और एक नया संगठन भारतीय विचार केंद्रम को सुव्यवस्थित आकार देने का निश्चय किया.
फरवरी का महीना है. यानी कि बसंत है. फ़िज़ा में एक अलग महक, प्रकृति प्रेमियों का सबसे प्यारा महीना और प्रेमियों के इज़हार का असल वक़्त. काफी कुछ है इस महीने में करने को. प्रेम की मुकम्मल यात्रा का खूबसूरत पड़ाव है बसंत.
दलित पैंथर आंदोलन की गतिविधियों की दृष्टि से मई 1972 से लेकर जून 1975 तक की अवधि सबसे महत्वपूर्ण थी. इस काल में दलित पैंथर आंदोलन ने तूफान-सा बरपा दिया था.
हमारे देश में एक इलाका ऐसा भी है, जहां हिंदू होने के बाद भी आबादी के एक हिस्से को दाह संस्कार से वंचित होना पड़ रहा है और यह उस तबके की कहानी है जिसे श्मशान घाट का राजा माना जाता है.
कृष्ण बलदेव वैद की लेखनी में मनुष्य जीवन के नाटकीय सन्दर्भों की गहरी पहचान है. अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करते हैं.
एक समय था जब भारतीय लोग तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी होने का सपना देखते थे. अब, चीनी इतने आगे हैं कि वे हमें प्रतिस्पर्धी भी नहीं मानते. यह उनके और अमेरिका के बीच की बात है.