scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमसमाज-संस्कृति

समाज-संस्कृति

जनतंत्र को गढ़ती फर्ज़ी सूचनाएं, गोदी मीडिया की बढ़ती दुनिया और प्रेम के लिए कोना ढूंढते प्रेमी

रवीश कुमार कहते हैं, 'इश्क हमें इंसान बनाता है. जिम्मेदार बनाता है और पहले से थोड़ा-थोड़ा अच्छा बनाता है. जो प्रेम में होता है वह एक बेहतर दुनिया की कल्पना जरूर करता है. जो प्रेम में नहीं है वह अपने शहर में नहीं है.'

26 जनवरी 1950: पहले गणतंत्र दिवस का पहला यादगार फ़्लाई पास्ट

गणतंत्र दिवस परेड में घोड़े, हाथी, मोटरसाइकिल, सेना के ट्रक से लेकर भारी-भरकम टैंक तक निकलते हैं. पर मजाल है कि राजपथ को कोई नुकसान हो. ये सब बिटुमिनस तकनीक का कमाल है.

रमाबाई रानाडे: वह ‘नर्स’, जिसने भारत को नर्सिंग को अच्छी निगाह से देखना सिखाया

आज की तारीख में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने संसद द्वारा पारित इंडियन काउंसिल ऐक्ट 1947 की धारा 3 (1)...

‘पंगा’ फिल्म समीक्षा: एक ऐसी फिल्म जो आपके दिल को छू लेगी और हंसाएगी भी

फिल्म शुरू से ही आपको बहुत प्यारी लगेगी. इसमें हास्य है, व्यंग्य है और दर्शक इससे भली भांति खुद को जोड़ पाएंगे. अश्विनी अय्यर तिवारी का लेखन और निर्देशन हर सीन में चमकता है.

हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए महात्मा गांधी का अंतिम उपवास कैसे हुआ खत्म

गांधी जी ने 13 जनवरी, 1948 को अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया. उनके साथ बिड़ला हाउस में ‘द स्टेट्समैन’ के पूर्व संपादक आर्थर मूर और हजारों अन्य लोग अनशन पर बैठ गए, जिसमें हिंदुओं और सिखों की एक बड़ी तदाद थी और उनमें से कई तो पाकिस्तान से आये शरणार्थी थे.

यातायात सुरक्षा के लिए शहर की सड़कों पर आए महाराष्ट्र के बुलढ़ाना जिले के गांव के बच्चे

बच्चों को यह भी बताया जाता है कि सड़क पर यदि दुर्घटना हो जाए तो एक नागरिक के तौर पर हमारा क्या कर्तव्य होना चाहिए और ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए.

बाबा नागार्जुन: इंदिरा से लोहा लेने वाले कवि की मौत के 20 साल बाद लगा यौन शोषण का आरोप

लोग कहते हैं कि बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग बीमार होते हैं. क्या देश के इतने बड़े कवि नागार्जुन भी बीमार थे? 

क्लब सिंगर उषा सामी अय्यर और फिर उत्थुप..आसान नहीं था ये सफर

उषा की जिंदगी से जुड़ी कई अनकही अनसुनी कहानी इस किताब में पढ़ने को मिलेगी..साथ ही जान पाएंगे कि कैसे जिंदगी करवट लेती रही उषा और मजबूत होती रहीं.

महाराष्ट्र के एक स्कूल में मूकबधिर बच्ची के प्रति बच्चों ने बदला अपना व्यवहार

करीब तीन हजार की आबादी के इस गांव में अधिकतर बौद्ध समुदाय के परिवार हैं. इनमें से ज्यादातर छोटे किसान और मजदूर हैं. वर्ष 1935 में स्थापित इस गांव के स्कूल में कुल 91 बच्चे हैं.

कैसे मर्दों में औरतों के चेहरे मिटा देने की इच्छा प्रबल होती है, ‘छपाक’ देर तक कानों में गूंजती रहेगी

छपाक उस मजबूत महिला की कहानी है जिसे जीवन में जो वो चाहती है वो भले ही न मिलो हो, पर वो उस पाने के इर्द गिर्द एक रास्ता ज़रूर ढूंढ लेती है. ये फिल्म आपकी अंतरात्मा को झकझोर कर रख देगी.

मत-विमत

वीडियो

राजनीति

देश

खाद्य मुद्रास्फीति एक ‘अल्पकालिक झटका’, बिक्री बढ़ाने पर होगा जोर: टाटा कंज्यूमर

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली खाद्य वस्तुएं बनाने वाली प्रमुख कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) मौजूदा खाद्य मुद्रास्फीति...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.