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Saturday, 1 February, 2025
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समाज-संस्कृति

महाराष्ट्र : ‘मनुष्य-मनुष्य’ एक समान के नारे से मिट रही आदिवासी और गैर-आदिवासी बच्चों के बीच की दूरी

समाज में यदि कई तरह के भेदभाव हैं तो एक शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह स्कूल परिसर में हर तरह के भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करें.

हस्तकला में दक्ष बच्चे बन रहे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील, कचरे से बना रहे उपयोगी सामान

शिक्षक द्वारा किए गए कुछ प्रयासों का परिणाम है कि ज्यादातर बच्चे हस्तकला में दक्ष तो हो ही रहे हैं, उनमें सौंदर्यबोध भी विकसित हो रहा है और वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बन रहे हैं.

संघ का ऐसा स्वंयसेवक जिसे विचारधाराओं के परे उनके कामों को लेकर याद किया जाएगा

परवेश्वरन दीनदयाल अनुसंधान संस्थान के निदेशक भी बने जहां वे 1982 तक कार्य करते रहे. फिर उन्होंने केरल में काम करने का सोचा और एक नया संगठन भारतीय विचार केंद्रम को सुव्यवस्थित आकार देने का निश्चय किया.

समाज की नफरतों के बावजूद भारतीय प्रेमी जाति-धर्म के बंधनों को तोड़ते हुए प्यार कर गुज़रते हैं

फरवरी का महीना है. यानी कि बसंत है. फ़िज़ा में एक अलग महक, प्रकृति प्रेमियों का सबसे प्यारा महीना और प्रेमियों के इज़हार का असल वक़्त. काफी कुछ है इस महीने में करने को. प्रेम की मुकम्मल यात्रा का खूबसूरत पड़ाव है बसंत.

हस्तिनापुर, राखीगढ़ी सहित पुरातात्विक स्थल पर्यटकों के लिए होंगे विकसित, क्या है इनका ऐतिहासिक महत्व

मोदी सरकार ने बजट 2020 में संस्कृति मंत्रालय के लिए 3150 करोड़ रुपए तथा पर्यटन विकास हेतु 2500 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए हैं.

‘दलित पैंथर: एक आधिकारिक इतिहास’ पुस्तक जिसके पन्नों पर भयावह उत्पीड़न और तीखा प्रतिवाद मिलता है

दलित पैंथर आंदोलन की गतिविधियों की दृष्टि से मई 1972 से लेकर जून 1975 तक की अवधि सबसे महत्वपूर्ण थी. इस काल में दलित पैंथर आंदोलन ने तूफान-सा बरपा दिया था.

श्मशान घाट का राजा होने के बावजूद डोम समाज अपने मृतकों के दाह संस्कार से क्यों है वंचित

हमारे देश में एक इलाका ऐसा भी है, जहां हिंदू होने के बाद भी आबादी के एक हिस्से को दाह संस्कार से वंचित होना पड़ रहा है और यह उस तबके की कहानी है जिसे श्मशान घाट का राजा माना जाता है.

शिक्षक ने अंधविश्वास के खिलाफ विज्ञान को बनाया हथियार, बच्चों के साथ बदल रहा बड़ों का दृष्टिकोण

बच्चे यह समझ रहे हैं कि हर घटना के पीछे विज्ञान होता है तथा जादू-टोनों की आड़ में बाबा लोगों को मूर्ख बनाकर उन्हें ठगते हैं.

साहित्यकार कृष्ण बलदेव वैद नहीं रहे, हिंदी की दुनिया उनके प्रति हमेशा अनुदार ही रही

कृष्ण बलदेव वैद की लेखनी में मनुष्य जीवन के नाटकीय सन्दर्भों की गहरी पहचान है. अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करते हैं.

52 स्वतंत्रता सेनानियों की फांसी का गवाह रहा ‘बावनी इमली’, कर रहा है राष्ट्रीय स्तर की पहचान का इंतजार

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में स्थित बावनी इमली घटना की तुलना स्थानीय लोग जालियांवाला बाग नरसंहार के साथ करते हैं.

मत-विमत

क्या हम सच में चीन का विकल्प बन सकते हैं? मोदी का 2014 का भारत को महान बनाने का वादा बिखर चुका है

एक समय था जब भारतीय लोग तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी होने का सपना देखते थे. अब, चीनी इतने आगे हैं कि वे हमें प्रतिस्पर्धी भी नहीं मानते. यह उनके और अमेरिका के बीच की बात है.

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असम सरकार ने प्रस्तावित तीन आरक्षित वनों को गैर अधिसूचित करने का फैसला लिया

गुवाहाटी, 31 जनवरी (भाषा) असम सरकार ने तिनसुकिया जिले में प्रस्तावित तीन आरक्षित वनों (पीआरएफ) को गैर अधिसूचित करने का शुक्रवार को फैसला किया...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.