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Monday, 25 November, 2024
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समाज-संस्कृति

अलविदा इरफान- अब तुमसे इत्मीनान से मिलना न होगा

मुझे पता था कि ये आदमी कितना जुझारू है और इसीलिए ये भी लगा था कि वो इस बीमारी से भी लड़कर क़ामयाब और स्वस्थ लौटेंगे....और हुआ भी ऐसा ही लेकिन बीमारी भी बड़ी जिद्दी थी, नामाकूल.

लॉकडाउन: युवाओं में बढ़े पढ़ने की संस्कृति, मिजोरम में पसंदीदा किताबें घर-घर पहुंचा रहा संगठन

पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम के सबसे बड़े सामाजिक संगठन यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) ने राजधानी आइजल के सबसे बड़े मोहल्ले रामलूम साउथ में की है अहम पहल.

कोरोनावायरस के दौर में उम्मीदों और संभावनाओं की बानगी बनती कला

'दुकानें बंद हैं, सड़कें वीरान हैं, दूसरे शहर में पड़ी माओं की रातें करती हैं सांय-सांय, कोई घर नहीं आता, दोस्तों को भींच लेने...

स्वतंत्रता संग्राम में तिलक से प्रभावित होकर कांग्रेस से जुड़े हेडगेवार ने बाद में की आरएसएस की स्थापना

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जिन्होंने अपने छोटे से कमरे में एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी- आज देश का ही नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है.

कोरोनावायरस के हार मानने के बाद जो बहारें आएंगी सभी को उसका इंतज़ार होगा

जेठ की तपती दुपहरिया में अमलतास की पीली झालरों संग जुगलबंदी होगी. शायद कोरोना भी तब तक हार मान चुका होगा. कुदरत का श्रृंगार तब और भी जरूरी होगा.

विश्व जल दिवस: ‘कर्मनाशा’ भारत की एक ऐसी नदी जिसे माना जाता है अपवित्र

कर्मनाशा नदी अब कई स्थानों पर सूख चुकी है. बिहार में मिलों और तमाम औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण ये पूरी तरह विषाक्त हो चुकी है.

निराशावादी दौर से निकले ‘आशावादी’ मिलेनियल कवि!

इस दौर के मिलेनियल कवियों की आलोचना की जाती है कि ये लोग निराशावादी लिखते हैं. मगर इन कवियों का तर्क है कि वो वैसा ही लिखते हैं, जैसा लिखा जाना चाहिए.

आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों के नेटवर्क को तोड़ सरकारी स्कूल कमाल कर रहे हैं

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में इन स्कूलों की कहानियां बताती हैं कि सरकारी शिक्षक यदि सही ढ़ंग से अपनी डयूटी निभाएं तो सरकारी स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है.

महाराष्ट्र के सुदूर क्षेत्रों में बच्चे खुद गढ़ रहे कला और विज्ञान की परिभाषाएं, सपनों को दे रहे नए आकार

स्कूल में दाखिल होते ही हर कक्षा में बच्चों द्वारा हाथ से बनाई कई कलाकृतियां चारों तरफ नज़र आती हैं. खास तौर से बच्चों द्वारा बनाई गई सुंदर बांस की टोकरियों जैसी चीजें.

जेएनयू के ‘देशद्रोहियों’ की वजह से मैं कई सालों से होली में घर नहीं गया

बड़ी बात ये है कि भाजपा और आरएसएस वाले भले ही स्वदेशी का राग अलापते हैं, बावजूद इसके देश में 90 प्रतिशत लोग होली मनाने के लिए चाइनीज़ रंगों पर आश्रित हैं.

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अदालत ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पदेन सदस्यों की नियुक्ति का निर्देश दिया

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर मौजूदा केंद्रीय...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.