अमृता प्रीतम की कहानियों से जब भी गुज़रना होता है तो उनमें मानवीय करूणा, महिलाओं की पीड़ा, नारी की स्थिति बड़ी संजीदगी और गंभीरता से उकेरी हुई जान पड़ती है.
बिस्मिल्लाह खान की विरासत जिसे संजोने की जिम्मेदारी परिवार की, सरकार की, प्रशासन की व हर उस नागरिक की है जो प्रेम करता है अपनी संस्कृति से, अपनी कला, अपनी धरोहर से. पर अफ़सोस राजनीति और घरेलू मन-मुटाव के चलते इस विरासत का मोल न तो उनके परिवार के कुछ सदस्य और न ही सरकारें समझ पाई.
आखिर में अनारकली का वो प्रभावशाली संवाद आता है जो आज भी लोगों की जुबां पर है. वो कहती है, 'शहंशाह की इन बेहिसाब बख्शीशों के बदले में ये कनीज़ जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर को अपना ये ख़ून माफ़ करती है.'
भारतीय संगीत परंपरा में एक ऐसा सितारा भी हुआ है जो अपनी पहचान अलग से बनाए हुए है और अपने जाने के 40 बरस बाद भी दिलकश आवाज़ के जरिए हमारे दिलों पर राज कर रहा है.
प्रेमचंद की लेखनी में तो आकर्षक तत्व हैं हीं लेकिन उन रचनाओं के किरदार भी कम अपनी तरफ नहीं खींचते हैं और हमें उस हकीकत के सामने लाकर खड़ा कर देते हैं जो हूबहू उनकी कहानियों की तरह हमारे भी दैनिक जीवन से होकर गुजरती हैं.