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Thursday, 19 December, 2024
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नेशनल इंट्रेस्ट

राजनीति में नेताओं के दलबदल और बने रहने के कारण? विचारधारा, धन, सत्ता से इतर भी जवाब खोजिए

भारतीय राजनीति इतनी आकर्षक नहीं होती अगर इसकी राहें टेढ़ी-मेढ़ी न होतीं, इसकी खासियत यही है कि साफ-सपाट सी दिखने वाली किसी बात का भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं होता, किसी भी स्थिति को लेकर दावे के साथ नहीं कहा जा सकता-बेशक इसका कारण यही होगा.

UPSC रिफॉर्म, चीन-पाक खतरे से निपटना और कृषि सुधार को लागू करना; तीसरे कार्यकाल में मोदी को क्या करना चाहिए

ओबीसी का मुद्दा, चुनाव सुधार, दल-बदल विरोधी कानून का खात्मा और यूनिवर्सल बेसिक इनकम की शुरूआत उन प्रमुख लक्ष्यों में से हैं, जिन्हें पीएम को तीसरा कार्यकाल जीतने पर अपनाना चाहिए.

पाकिस्तान ने पहली बार सेना के खिलाफ वोट किया है, लोकतंत्र जिंदा तो है पर मर भी चुका है

इतिहास में पहली बार 70 फीसदी से ज्यादा मतदान करके पाकिस्तानी वोटर्स ने फौज के खिलाफ वोटिंग करके शिकस्त दी है, इसे जम्हूरियत की जीत नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?

इंदिरा, राजीव, वाजपेयी-आडवाणी की वह तीन भूलें जिसने बदली भारतीय राजनीति की दिशा

इंदिरा ने इमरजेंसी में आरएसएस को निशाना बनाकर उसे राजनीतिक वैधता प्रदान करने; राजीव ने 1989 में जनादेश का सम्मान नहीं करने; वाजपेयी-आडवाणी ने समय से पहले चुनाव करवाने की जो गलतियां की उन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा बदली.

बीजेपी सरकार को समझना आसान है, बस आप वह किताबें पढ़ लीजिए जो कभी मोदी-नड्डा-शाह ने पढ़ी थीं

कांग्रेस की सरकारों और भाजपा सरकार में मूल अंतर विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता का ही है. विचारधारा कांग्रेस के नेतृत्व की नीतियों को तो दिशा देती थी मगर कभी उन पर राज नहीं करती थी. भाजपा में विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता कट्टरपंथी किस्म की है.

न लोकतंत्र खत्म हुआ है, न संविधान को बदला जा रहा है; विपक्ष को इतिहास से सीखकर धैर्य से काम लेना होगा

इंदिरा गांधी ने जिन्हें इमरजेंसी में जेलों में कैद किया था उनके वारिस भारत के बुनियादी वैचारिक आधारों की आज नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं, उन्हें उसी तरह परास्त किया जा सकता है जैसे 1970 के दशक में इंदिरा को किया गया था.

गाज़ा से पाकिस्तान तक उथल-पुथल के बीच सियासी इस्लाम मजबूत और कमज़ोर दोनों, आपकी नज़र की मर्ज़ी

यहां ज़िक्र उस इस्लाम का नहीं जो एक आस्था है, बल्कि उस सियासी इस्लाम का है जहां आस्था मुल्क का मज़हब है और एक राष्ट्र को परिभाषित करता है और/ या उसके ज्यादातर अनिर्वाचित नेताओं को सत्ता में बनाए रखता है.

राम ने जो मौका दिया था, कांग्रेस ने उसे गंवा दिया; देश के मूड को नज़रअंदाज़ करके इसने पुराने भ्रम को चुना

मंदिर के समारोह में भाग लेने से कांग्रेस के इनकार से सवाल खड़े होते हैं कि 1996 के बाद से उसकी विचारधारा में आया ठहराव क्या आज की चुनावी राजनीति के अनुकूल है? बेहतर होता कि वह हिंदू समुदाय के साथ समारोह में शामिल होती और इस मसले का राजनीतिकरण करने के लिए मोदी-भाजपा-आरएसएस की आलोचना भी करती.

1967 से 2014 तक हुई 5 राजनीतिक उठापटक में छिपा है INDIA एलायंस के लिए संदेश

विपक्ष तब तक विफल होता रहेगा जब तक वह इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ लेता कि मोदी सरकार के खिलाफ उसकी कोई भी मुहिम राजनीतिक विमर्श पर हावी क्यों नहीं हो पाती

DDA दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन गया है और हम इसका वर्चस्व तोड़ने वाले बाजार की तारीफ क्यों करते हैं

जिस शहर में लगभग किसी को कुछ भी निर्माण करने की इजाजत नहीं थी वहां डीडीए फ्लैट विशेषाधिकार जैसा ही था. आज वही डीडीए ख़रीदारों को ढूंढ रहा है जबकि उसके 40,000 से ज्यादा फ्लैट अनबिके पड़े हैं.

मत-विमत

‘एक देश, एक चुनाव’ बुरा विचार है – लेकिन इसलिए नहीं की विपक्ष को ‘मोदी डर’ है

‘सामान्य’ चुनावों में वोटर्स राष्ट्रीय और विधानसभा चुनावों में फर्क समझने लगे हैं और अलग-अलग तरीके से वोट करते हैं. ऐसा ही समकालिक चुनावों में भी होगा, इसमें कोई शक नहीं है.

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राजनीति

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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अमित शाह से मुलाकात की

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.