भोपाल, एक सितंबर (भाषा) देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठन ‘‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ’’ ने सोमवार को दावा किया कि पिछले दो सालों में सरकारी एजेंसियों के सहयोग से मध्यप्रदेश में 36,838 बाल विवाह रुकवाए गए हैं और इस दौरान मानव तस्करी के शिकार 4,777 बच्चों को मुक्त कराया गया।
संगठन के संस्थापक भुवन ऋभु ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ देश के 250 से भी अधिक गैर सरकारी संगठनों के साथ जेआरसी ने कानून लागू करने वाली संस्थाओं के सहयोग से अप्रैल 2023 से अगस्त 2025 के बीच मध्यप्रदेश के 41 जिलों में 36,838 बाल विवाह रुकवाए, मानव तस्करी के शिकार 4,777 बच्चों को मुक्त कराया तथा यौन शोषण के शिकार 1200 से अधिक बच्चों की मदद की।’’
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2023 से जुलाई 2025 के बीच महज इन दो सालों में कानून लागू करने वाली संस्थाओं के साथ मिलकर जेआरसी के कार्यो से यह साबित होता है कि यदि कानून को उद्देश्य और तात्कालिकता के साथ लागू किया जाये तो बच्चे वास्तव में सुरक्षित होंगे।
उन्होंने कहा कि देश में 3,74,000 बाल विवाह रोक कर, मानव तस्करी के शिकार एक लाख से अधिक बच्चों को मुक्त कराकर, यौन शोषण के शिकार 34 हजार से अधिक बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा मुहैया करकर और 63 हजार से अधिक मामले में कानूनी कार्रवाई शुरु करके भारत ने यह साबित किया है हम एक ऐसा राष्ट्र बन सकते हैं जहां बच्चों के खिलाफ अपराध करके कोई कानून से बच नहीं पाएगा।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि साइबर जगत में बच्चों के आनलाइन यौन शोषण के एक हजार से अधिक मामले दर्ज कर हमने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का शासन हर बच्चे की सुरक्षा करेगा और हर जगह करेगा।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 23.3 के मुकाबले मामूली कम है लेकिन कुछ जिलों जैसे राजगढ़ (46 प्रतिशत), श्योपुर (39.2), झाबुआ (36.5) तथा आगर मालवा (35.6) में स्थिति गंभीर है।
ऋभु ने कहा मध्यप्रदेश में जेआरसी नेटवर्क के 17 सहयोगी संगठन पिछले दो सालों से राज्य के 41 जिलों में काम कर रहे है। यह नेटवर्क बाल विवाह, बच्चों की तस्करी, बाल यौन शोषण और बाल श्रम की रोकथाम के लिए जागरूकता के प्रसार और कानूनी हस्तक्षेप के उपायों की दोहरी रणनीति पर काम करता है।
जेआरसी ‘‘ बाल विवाह मुक्त भारत ’’ अभियान के सहयोग में भी अग्रिम मोर्चे पर है जिसका लक्ष्य 2023 तक भारत से बाल विवाह का अंत करना है।
भाषा दिमो बृजेंद्र
संतोष
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